पर्युषण पर्व में तीसरे दिन पौषध विधि का महत्त्व: आत्मा की शुद्धि और पुष्टि पर जोर


  2024-09-03 14:57:37



पर्युषण पर्व में तीसरे दिन पौषध विधि का महत्त्व: आत्मा की शुद्धि और पुष्टि पर जोर

पर्युषण पर्व का तीसरा दिन, जिसे पौषध विधि के रूप में जाना जाता है, जैन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पावन दिन पर आत्मा की शुद्धि और पुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की विधियों का पालन किया जाता है, जो जीवन में संतुलन और शांति की दिशा में ले जाती हैं। रांगड़ी चौक स्थित पौशधषाला में चल रहे चातुर्मास में इस विधि का महत्व बताया गया।

पौषध विधि का महत्व और प्रकार

रांगड़ी चौक स्थित पौशधषाला में गच्छाधिपति नित्यानंद सुरीश्वरजी के शिष्य मुनि पुष्पेन्द्र म सा और मुनि श्रृतानंद म सा ने पौषध विधि के चार प्रकारों के बारे में बताया। इन चार प्रकारों में आहार पौषध, शरीर सत्कार पौषध, अव्यापार पौषध, और बह्मचर्य पौषध शामिल हैं। आहार पौषध वह विधि है, जो व्यक्ति को अनाहारी पथ की ओर ले जाती है, जबकि शरीर सत्कार पौषध आत्मा की दिशा में गति दिलाने का कार्य करती है। इसी प्रकार अव्यापार पौषध संपत्ति से संतोष की ओर और बह्मचर्य पौषध योग की ओर अग्रसर करती है।

आध्यात्मिक शुद्धि का सर्वोत्तम मार्ग

मुनि पुष्पेन्द्र म सा ने सम्बुत प्रकरण 134वीं गाथा का उल्लेख करते हुए बताया कि पौषध विधि के पालन से अनंत फल की प्राप्ति होती है, जो अंततः मोक्ष के रूप में परिणत होता है। इस विधि का अनुसरण करते हुए व्यक्ति अपने आत्मिक गुणों की शुद्धि, पुष्टि और वृद्धि कर सकता है, जो उसे नरक गति से मुक्त करने में सहायक होता है।

श्रीकल्प सूत्र पूजा का आयोजन

आज सुबह श्रीकल्प सूत्र पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें भंवरी देवी मानिकचंद कोचर गंगानगर परिवार ने लाभार्थी के रूप में भाग लिया। पूजा की शुरुआत गुजरों के मोहल्ले से रांगड़ी चौक तक की पदयात्रा के साथ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रावक और श्राविकाओं ने भाग लिया।

मतिज्ञान और अन्य पूजा के लाभार्थी

इसके साथ ही मतिज्ञान पूजा, श्रृत ज्ञान पूजा, अवधि ज्ञान पूजा, मन: प्रवह ज्ञान पूजा और केवल ज्ञान पूजा का आयोजन किया गया। इन पूजाओं के लाभार्थी विभिन्न परिवार थे, जिन्होंने पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ इस आयोजन में भाग लिया।

हस्त निर्मित पारणों की प्रतियोगिता

प्रवचन से पूर्व बड़ी संख्या में श्राविकाओं ने प्रभु के उपयोग हेतु हाथ से निर्मित आकर्षक पारणों को गुरु महाराज के सामने अर्पण किया। इन पारणों की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसका परिणाम आज घोषित किया गया और विजेताओं का बहुमान किया गया।

संगठन और पूजा के संयोजक

कार्यक्रम के संयोजक अजय बेद ने बताया कि आज की प्रभावना रिद्धकरण हनुमान दास सिपानी, ओसवाल सॉप परिवार द्वारा की गई। इसके अलावा नेमीनाथ भगवान भव यात्रा के दौरान प्रस्तुत नाटिका में भाग लेने वाली 20 प्रतिभागी श्राविकाओं का बहुमान आत्मानंद जैन सभा, हड़मान दास, पन्नालाल परिवार और शांतिलाल हनुजी देवेंद्र कुमार कोचर द्वारा किया गया।


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