जयपुर में मासूम का अपहरण: किडनैपर से जुड़ी दिल को छू लेने वाली कहानी


के कुमार आहूजा  2024-08-31 14:51:22



जयपुर में मासूम का अपहरण: किडनैपर से जुड़ी दिल को छू लेने वाली कहानी

जयपुर में सामने आए एक भावुक कर देने वाले मामले ने सभी का ध्यान खींचा है। एक वीडियो में, 14 महीने पहले अगवा किए गए मासूम बच्चे को जब पुलिस ने उसके किडनैपर से छुड़ाया, तो वह किडनैपर से अलग होने के लिए तैयार नहीं हुआ। बच्चे की इस मासूमियत और उसके किडनैपर के साथ बने इस अनोखे रिश्ते ने सभी को हैरान कर दिया।

किडनैपर की गिरफ्तारी और बच्चे की बरामदगी

इस घटना की शुरुआत 14 जून 2023 को जयपुर के सांगानेर सदर इलाके से हुई, जब 11 महीने के बच्चे कुक्कू उर्फ पृथ्वी का अपहरण हो गया। किडनैपर तनुज चाहर, जो यूपी के अलीगढ़ जिले में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात था, ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर इस बच्चे को उसके घर से किडनैप कर लिया। इसके बाद, जयपुर पुलिस ने तनुज की तलाश शुरू की, लेकिन वह अपनी ड्यूटी से भी गायब हो गया। यूपी सरकार ने उसे सस्पेंड कर दिया, और कई राज्यों में उसकी तलाश शुरू हो गई।

पुलिस की साधु बनकर छापेमारी

जयपुर पुलिस को यह सूचना मिली कि तनुज ने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली है और साधु का वेश धारण कर मथुरा-वृंदावन के परिक्रमा मार्ग में कहीं कुटिया बनाकर रह रहा है। इसके बाद, पुलिस ने भी अपनी पहचान छिपाने के लिए साधु का भेष बना लिया और भजन गाते हुए उसकी कुटिया तक जा पहुंची। लेकिन तनुज को भनक लग गई, और वह बच्चे को लेकर भाग निकला।

पुलिस की मेहनत रंग लाई: आरोपी की गिरफ्तारी

27 अगस्त को, जयपुर पुलिस ने आखिरकार तनुज को मथुरा के सुरीर थाना क्षेत्र से पकड़ लिया और बच्चे को सुरक्षित वापस लाया। इस कार्रवाई में पुलिस की सूझबूझ और तनुज की चालबाजियों को मात देने की उनकी कोशिशें रंग लाई।

मासूमियत और भावना: बच्चे का किडनैपर के साथ जुड़ाव

जब बच्चे को उसके माता-पिता से मिलाने की कोशिश की गई, तो वह अपनी मां की बजाय किडनैपर के पास जाने की जिद करने लगा। पुलिसकर्मी बच्चे को किडनैपर से मिलाने के लिए एक कमरे में ले गए, जहां बच्चा तनुज से लिपटकर जोर-जोर से रोने लगा। इस दृश्य को देखकर तनुज की भी आंखों में आंसू आ गए।

किडनैपर के दावे: बच्चे को अपना मानने की जिद

तनुज ने 14 महीने तक इस मासूम को अपने पास रखा और उसे अपना बच्चा बताने लगा। पूछताछ में पता चला कि तनुज ने बच्चे की मां को अपने पास रखने की कोशिश की, लेकिन जब वह नहीं मानी, तो उसने बच्चे का अपहरण कर लिया। इसके बाद, तनुज ने कई बार बच्चे की मां को धमकियां भी दीं, ताकि वह उसकी बात माने।

पुलिस से बचने की तनुज की तरकीबें

तनुज, जो खुद पुलिस में तैनात था, ने पुलिस से बचने के लिए कई चालें चलीं। उसने मोबाइल का उपयोग न के बराबर किया, और जहां भी इस्तेमाल किया, वहां दोबारा नहीं गया। अपनी पहचान छिपाने के लिए वह कभी दाढ़ी बढ़ा लेता, तो कभी उसे कलर कर लेता। इन सब चालबाजियों के बावजूद, पुलिस ने उसे पकड़ने में सफलता पाई।

मासूम के साथ बिताए 14 महीने: एक अनोखी कहानी

यह घटना न केवल एक अपराध की है, बल्कि उस मासूम के साथ बिताए गए 14 महीने की एक अनोखी कहानी भी है। बच्चे ने तनुज को अपने पिता के रूप में स्वीकार कर लिया था, और इसी वजह से जब उसे पुलिस ने छुड़ाया, तो वह तनुज से अलग होने के लिए तैयार नहीं हुआ।

यह घटना न केवल जयपुर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण मामला बन गई है। यह बताती है कि कैसे प्यार और देखभाल एक मासूम को किसी भी व्यक्ति के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ सकते हैं, भले ही वह व्यक्ति उसका अपहरणकर्ता ही क्यों न हो। तनुज के इस मामले ने सभी को गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वह केवल एक अपराधी था या उसके भीतर भी इंसानियत का अंश बाकी था या यह उस बच्चे की मासूमियत का नतीजा था जिसने एक अपराधी के दिल में इंसानियत को जगा दिया। 

कहानी के इस मोड़ पर, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बच्चों की मासूमियत और उनकी भावनाओं को कभी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह घटना इस बात का जीता-जागता उदाहरण है।


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