असम विधानसभा का ऐतिहासिक निर्णय: मुस्लिम विवाह और तलाक कानून को किया समाप्त
के कुमार आहूजा 2024-08-30 19:12:53
असम विधानसभा का ऐतिहासिक निर्णय: मुस्लिम विवाह और तलाक कानून को किया समाप्त
असम विधानसभा ने आज एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया, जिसके तहत 89 साल पुराना असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 समाप्त कर दिया गया है। यह निर्णय असम सरकार द्वारा असम अनिवार्य पंजीकरण मुस्लिम विवाह और तलाक विधेयक, 2024 के प्रस्ताव के मद्देनजर लिया गया है, जिसका उद्देश्य मुस्लिम विवाह पंजीकरण में काज़ी प्रणाली को समाप्त करना और बाल विवाह को रोकना है।
असम सरकार का उद्देश्य: बाल विवाह और काज़ी प्रणाली का अंत
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हम मुस्लिम विवाह पंजीकरण प्रक्रिया में काज़ी प्रणाली को समाप्त करना चाहते हैं। इसके साथ ही, हम राज्य में बाल विवाह को रोकना चाहते हैं। यह विधेयक असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को समाप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया था और इसके प्रस्ताव के तहत, विवाह और तलाक की पंजीकरण प्रक्रिया को नए नियमों के तहत लाने का इरादा है।
विपक्ष का विरोध: एआईयूडीएफ ने अदालत में जाने की धमकी दी
विपक्षी पार्टी, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने काज़ी प्रणाली को समाप्त करने के खिलाफ अपनी आपत्ति व्यक्त की है। एआईयूडीएफ के नेता अमीनुल इस्लाम ने कहा कि हम बाल विवाह के खिलाफ हैं, और सरकार को पूर्व अधिनियम में कुछ संशोधन करने चाहिए थे, लेकिन उन्होंने इसे समाप्त कर दिया। अब हम इस मुद्दे को अदालत में ले जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं देखते।
कानूनी बदलाव: 1935 के अधिनियम को समाप्त कर नया कानून लागू
असम रिइपीलिंग बिल, 2024 का उद्देश्य असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और इसके नियमों को समाप्त करने के लिए एक नया विधेयक लाना है। यह अधिनियम ब्रिटिश भारत सरकार द्वारा असम के मुस्लिम धार्मिक और सामाजिक प्रबंधों के लिए अपनाया गया था। विधेयक के अनुसार, विवाह और तलाक की पंजीकरण अनिवार्य नहीं है और पंजीकरण की प्रक्रिया असंविधानिक है, जिससे नियमों के अनुपालन में कमी और विवादों का सामना करना पड़ रहा है।
असम सरकार की चिंता: अवैध विवाह
असम मंत्री जोगेन मोहन ने कहा कि वर्तमान अधिनियम के तहत 21 वर्ष (पुरुष) और 18 वर्ष (महिला) से कम उम्र के विवाह पंजीकरण की गुंजाइश है, और इस कानून के कार्यान्वयन के लिए कोई ठोस निगरानी नहीं है, जिससे अदालतों में बड़े विवाद उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा, मुस्लिम विवाह रजिस्टारों और नागरिकों द्वारा अवैध या बाल विवाह को लेकर दुरुपयोग की संभावना रहती है।