सावधान! गूगल पर नौकरी ढूँढने के चक्कर में शख्स ने गवाएं 23 लाख! इंटरनेशनल गैंग का पर्दाफाश
के कुमार आहूजा 2024-08-27 10:42:25
सावधान! गूगल पर नौकरी ढूँढने के चक्कर में शख्स ने गवाएं 23 लाख! इंटरनेशनल गैंग का पर्दाफाश
देहरादून के एक शख्स को गूगल पर सर्च करके नौकरी ढूंढना भारी पड़ गया। ठगों ने नौकरी के चक्कर में उसके 23 लाख रुपए हड़प लिए। मामले में दिल्ली से तीन साइबर धोखाधड़ी के मास्टरमाइंड गिरफ्तार किए गए हैं, जो दुबई, चीन, और पाकिस्तान के एजेंटों के साथ मिलकर भारत में करोड़ों की धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे थे। इस गिरफ्तारी से भारत में चल रहे एक बड़े साइबर क्राइम नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश
स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए तीन अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखेबाजों को दिल्ली से गिरफ्तार किया। ये आरोपी दुबई, चीन, और पाकिस्तान के एजेंटों के साथ मिलकर भारतीय नागरिकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर रहे थे।
साइबर धोखाधड़ी का शिकार: एक देहरादून निवासी की कहानी
मोहब्बेवाला, जनपद देहरादून निवासी शख्स ने जून 2024 में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके द्वारा नौकरी के लिए आनलाइन naukri.com सर्च किया गया था। इस पर अज्ञात साइबर ठगों द्वारा उसको व्हाट्सएप नंबर से फोन कर बताया गया कि उन्हें naukri.com से आपका रिज्यूम मिला है। इसके लिये पहले आपको रजिस्टेशन चार्ज 14,800 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। पीड़ित द्वारा भुगतान कर दिया गया। इसके बाद lintojacob@hrsuntorybfe.com से इन्टरव्यू के लिए SKYIP से फोन आया।
साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसा युवक
ठगों द्वारा करीब 1 घंटे तक टेक्निकल इंटरव्यू लिया गया। उसके बाद 22 नवंबर 2023 को फाइनल राउंड के लिए इंटरव्यू लेने के बाद सलेक्शन हो जाने की बात कही गई। दस्तावेज वैरिफिकेशन, जॉब सिक्यिोरिटी, फास्ट ट्रैक वीजा और IELTS exam आदि के नाम पर क्विक सोल्यूशन (Quick Solution) अकाउंट में रुपये जमा कराये गये। इसके बाद पीड़ित को बताया गया कि उसके द्वारा IELTS exam के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया। जिस कारण वीजा कैंसिल किया जा रहा है। पीडित का पैसा 03 महीने में वापस करने की बात कही गयी। इसके बाद इसी प्रकार पीड़ित को अन्य व्हाट्सएप नंबर से दोबारा कॉल आयी और coca cola uk as AVP (Operation) में वेकैन्सी होना बताकर फिर से वही रजिस्ट्रेशन, इंटरव्यू आदि दोहराकर पीड़ित से दोबारा अलग-अलग खातों में भुगतान कराकर कुल 22,96,000 रुपये की साइबर ठगी की गई। पीड़ित की शिकायत के आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
फर्जी ईमेल आईडी और कंपनियों का नाम
इन अपराधियों ने बड़ी कंपनियों के नाम से मिलती-जुलती फर्जी ईमेल आईडी का उपयोग करके पीड़ित को ठगा। साइबर ठगों द्वारा पीड़ित की ई-मेल आईडी पर जानी-मानी कम्पनियों के नाम से मिलती जुलती ई-मेल आईड jacob@carriercocacola.com, lintojacob@hrsuntorybfe.com, support@jobphent.se, support@jobphent.com और contact@recuritmentjob.in से सम्पर्क किया गया। उन्होंने पीड़ित को प्रतिष्ठित कंपनियों की नौकरियों का झांसा देकर अपनी चाल में फंसाया।
साइबर अपराधियों की गिरफ़्तारी
एसटीएफ की टीम ने व्यापक जांच के बाद अलमास आज़म, अनस आज़म, और सचिन अग्रवाल को दिल्ली के जनकपुरी वेस्ट मेट्रो स्टेशन से गिरफ्तार किया। इनके पास से 42 बैंक पासबुक, चेकबुक, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और 16 सिमकार्ड बरामद हुए।
गिरोह का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह दुबई, चीन, और पाकिस्तान से संचालित होता था। दुबई से मास्टरमाइंड, चीनी एजेंट्स के माध्यम से व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जरिए निर्देश प्राप्त करते थे, जबकि भारतीय सहयोगी बैंक खाते और अन्य संसाधनों का प्रबंध करते थे।
क्रिप्टो करेंसी का उपयोग
साइबर ठगों ने क्रिप्टो करेंसी का भी उपयोग किया। उन्होंने बिनांस और ट्रस्ट वॉलेट जैसे प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल कर USDT को भारतीय रुपये में परिवर्तित किया और इस प्रक्रिया से भारी मुनाफा कमाया।
मास्टरमाइंड्स का कुबूलनामा
गिरफ्तारी के बाद आरोपियों ने स्वीकार किया कि उनके दुबई, चीन, और पाकिस्तान से सीधे कनेक्शन हैं। उनके फोन में व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर बैंक खातों की डिटेल्स और क्यूआर कोड के आदान-प्रदान की चैट्स पाई गईं।
एसटीएफ की जाँच में हुआ खुलासा
एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ कि इस प्रक्रिया में दुबई का मास्टरमाइंड (पाकिस्तानी एजेंटों) भारतीय सहयोगी को शामिल करता है, जो पूरे बैंक खाते के किट प्राप्त करते हैं। वहीं, चीनी एजेंट व्हाट्सएप और टेलीग्राम के माध्यम से क्रिप्टो भुगतान और वास्तविक समय (real time) में यूपीआई डिटेल के लिए निर्देश देते हैं। गिरोह के अन्य सदस्य बिनांस और ट्रस्ट वॉलेट जैसी क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म से USDT (जो क्रिप्टो लेन-देन में उपयोग होता है) खरीदते हैं। USDT को बिनांस वॉलेट में ट्रांसफर किया जाता है और जुड़े हुए विदेशी ठग इसे 90 रुपये प्रति USDT के बजाय 104 रुपये प्रति USDT के भाव से भारतीय रुपये भेजते हैं। मुनाफे को आपस में बांटा जाता है। इसमें 7 रुपये सचिन और बाकी 7 रुपये अलमास आजम और अनस आजम दोनों भाइयों को दिया जाता है। दोनों भाइयों को प्रत्येक फर्जी खाते के लिए अतिरिक्त कमीशन भी मिलता है।
एसटीएफ की चुनौतीपूर्ण जांच
एसटीएफ की टीम ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिश दी। आरोपी अपने ठिकाने बदलकर पुलिस को चकमा दे रहे थे, लेकिन आखिरकार वो एसटीएफ के हत्थे चढ़ ही गए। एसटीएफ ने घटना के साक्ष्य के तौर पर विभिन्न तकनीकी और डिजिटल प्रमाण इकट्ठे किए। इनमें बैंक खातों, मोबाइल नंबरों, और व्हाट्सएप चैट्स का डाटा शामिल है, जो कि अपराधियों के खिलाफ मजबूत सबूत प्रदान करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खात्मा
एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने कहा कि इस गिरोह की गिरफ्तारी से साइबर अपराधियों के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों द्वारा दुबई, चाइना और पाकिस्तान से कनेक्शन होना स्वीकार किया गया है। जिनके सम्बन्ध में इनके मोबाइल फोन में भी व्हाट्सएप, टेलीग्राम के माध्यम से चैटिंग होनी पायी गई। जिसमें आपस में बैंक खातों की यूपीआई आईडी, खातों की डिटेल्स, क्यूआर कोड, स्कैनर आदि का आदान प्रदान किया गया है। इसके अलावा USDT क्रीप्टोकरेंसी में एक दूसरे से खातों में भारतीय रुपए का ट्रांजेक्शन सम्बन्धी चैट्स पाई गयी हैं।