कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर मुकदमा: क्या इस्तीफे की मांग जायज है?


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-20 07:26:00



कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर मुकदमा: क्या इस्तीफे की मांग जायज है?

कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि आवंटन घोटाले में मुकदमा चलाने की मंजूरी ने कांग्रेस सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। राज्यपाल थावर चंद गहलोत द्वारा दी गई इस मंजूरी ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है, जिसमें विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है।

राज्यपाल की मंजूरी: कांग्रेस सरकार पर संकट

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर कथित तौर पर उनकी पत्नी के नाम पर भूमि आवंटन में अनियमितताओं का आरोप है। राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने 17 अगस्त 2024 को सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी, जिससे कर्नाटक की राजनीति में भूचाल आ गया। इस फैसले से कांग्रेस नेतृत्व में चिंता पैदा हो गई है, और विपक्षी बीजेपी-जेडीएस ने नैतिक आधार पर सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग कर दी है।

घोटाले के आरोप: क्या है मामला?

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को केसर गांव में स्थित उनकी 3 एकड़ जमीन के बदले मैसूर के पॉश इलाके विजयनगर में अधिक मूल्यवान प्लॉट आवंटित किए गए। इस भूमि की अदला-बदली को लेकर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ताओं और समाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कई याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया।

विपक्ष का हमला: नैतिक आधार पर इस्तीफा

राज्यपाल की मंजूरी के बाद, बीजेपी और जेडीएस ने सिद्धारमैया से नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की मांग की है। विपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है, जब तक कि इस मामले की पूरी जांच नहीं हो जाती। इस बीच, बीजेपी के नेताओं ने राज्य में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं, जिसमें बेंगलुरु से मैसूर तक की पदयात्रा भी शामिल है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया: साजिश के तहत कार्रवाई

कांग्रेस ने राज्यपाल के इस फैसले को असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी करार दिया है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस निर्णय को एक साजिश बताया और कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ ये आरोप बेबुनियाद हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री का साथ देने की बात कही है। कांग्रेस ने राज्यभर में इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।

इतिहास में क्या हुआ?

ऐसा पहली बार नहीं है जब कर्नाटक के किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई हो। 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर भी इसी प्रकार के आरोप लगे थे, जिसमें उन्हें अंततः इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय भी राज्यपाल ने भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। येदियुरप्पा ने इस्तीफा देने से पहले लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी, जो अंततः उनके पद छोड़ने पर समाप्त हुई थी।

क्या सिद्धारमैया को इस्तीफा देना चाहिए?

इस सवाल का जवाब देना फिलहाल मुश्किल है। कांग्रेस का कहना है कि ये एक राजनीतिक साजिश है, जबकि विपक्ष इसे सिद्धारमैया की नैतिक जिम्मेदारी के रूप में देख रहा है। सिद्धारमैया ने खुद को निर्दोष बताते हुए कानूनी और राजनीतिक लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया है।

कर्नाटक की राजनीति में इस समय जो उठापटक चल रही है, वह आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद मामला अब न्यायालय में पहुंचेगा, जहां से इस मुद्दे का अंतिम फैसला होगा। फिलहाल, सिद्धारमैया इस्तीफा देने के मूड में नहीं हैं, और कांग्रेस भी इस मुद्दे पर पीछे हटने के लिए तैयार नहीं दिख रही है।

निष्कर्ष

कर्नाटक की राजनीति में इस घटनाक्रम ने सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव को और बढ़ा दिया है। आगामी चुनावों के मद्देनजर, यह मामला राजनीतिक और कानूनी रूप से बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इस मामले का अंतिम परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन फिलहाल यह साफ है कि सिद्धारमैया और कांग्रेस को इस मुद्दे पर कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।


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