जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन का निधन: भारतीय सेना को भारी क्षति


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-20 07:02:18



जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन का निधन: भारतीय सेना को भारी क्षति

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भारतीय सेना और पूरे राष्ट्र ने अपने पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। 83 वर्ष की आयु में चेन्नई में उनका निधन हो गया, जिससे देश ने एक महान सैन्य नेता और राष्ट्रभक्त को खो दिया। अपने चार दशकों से अधिक की सेवा के दौरान, उन्होंने भारतीय सेना को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और देश की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया।

भारतीय सेना का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ

जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन का जन्म 5 दिसंबर, 1940 को तिरुवनंतपुरम, केरल में हुआ था। राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC) और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 13 दिसंबर, 1959 को आर्टिलरी रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त किया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवा की, जिसमें गजाला फील्ड रेजिमेंट, दो पैदल सेना ब्रिगेड, और एक तोपखाने ब्रिगेड की कमान शामिल थी। उनकी सेवा का हर अध्याय देश की सुरक्षा और सम्मान के प्रति उनकी निष्ठा का प्रमाण है।

ऑपरेशन पराक्रम का अद्वितीय नेतृत्व

जनरल पद्मनाभन को सबसे अधिक याद किया जाएगा ऑपरेशन पराक्रम के दौरान उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए। 1 अक्टूबर, 2000 को सेनाध्यक्ष बनने के बाद, उन्होंने इस ऑपरेशन का नेतृत्व किया, जो भारतीय सेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। उनका नेतृत्व, सैनिकों के कल्याण के प्रति समर्पण, और सेना के आधुनिकीकरण के लिए उनकी रणनीतिक दृष्टि आज भी प्रेरणा स्रोत हैं।

उत्तर और दक्षिणी कमान का नेतृत्व

1996 में, जनरल पद्मनाभन ने उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का पदभार संभाला और बाद में दक्षिणी कमान का नेतृत्व किया। इन पदों पर उनके कार्यकाल ने भारतीय सेना को मजबूत किया और देश की सुरक्षा में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

पैडी के नाम से मशहूर: साथियों के बीच लोकप्रियता

अपने साथी सैनिकों के बीच जनरल पद्मनाभन पैडी के नाम से मशहूर थे। उनकी सरलता और विनम्रता के कारण वह न केवल अपने वरिष्ठों के बीच, बल्कि जवानों के बीच भी अत्यंत लोकप्रिय थे। उनका नाम भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।

सेवानिवृत्ति के बाद भी प्रेरणास्त्रोत

43 वर्षों की अनुकरणीय सेवा के बाद, जनरल पद्मनाभन 31 दिसंबर, 2002 को सेवानिवृत्त हुए। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने न केवल दुश्मनों का सामना किया, बल्कि कई आतंकी घटनाओं को भी नाकाम किया। उनकी विरासत आज भी भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

देश के प्रति अटूट समर्पण

जनरल पद्मनाभन का निधन न केवल भारतीय सेना के लिए, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने देश की सुरक्षा के प्रति जो योगदान दिया है, वह हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी आत्मा को शांति प्राप्त हो, और देश उनके अटूट समर्पण और राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखेगा।


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