असम सरकार का फैसला: मृत सरकारी कर्मचारी के माता-पिता को भी मिलेगी अनुकंपा अनुदान की 20 फीसदी राशि
के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा 2024-08-14 07:05:11
असम सरकार का फैसला: मृत सरकारी कर्मचारी के माता-पिता को भी मिलेगी अनुकंपा अनुदान की 20 फीसदी राशि
सरकारी कर्मचारियों की अनुकंपा अनुदान राशि को लेकर असम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार मृत सरकारी कर्मचारी की अनुकंपा अनुदान राशि की 20 फीसदी रकम माता-पिता को देगी। जबकि अनुदान की 80 फीसदी राशि जीवन साथी को मिलेगी। असम के मुख्यमंत्री हिंमत बिस्व सरमा ने मंगलवार को सरकारी कर्मचारियों की अनुकंपा अनुदान राशि को लेकर बड़ी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि अक्सर दुख की घड़ी में पैसे को लेकर परिवार बंट जाता है। सरकारी कर्मचारी लगातार इसकी मांग कर रहे थे। हम नहीं चाहते कि दुख की घड़ी में परिवार बंट जाएं। इसलिए हमने सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसकी अनुकंपा राशि का 20 फीसदी हिस्सा उसके माता-पिता को देने का फैसला किया है। इससे परिवार जुड़े रहेंगे।
वहीं उन्होंने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में सरकारी नौकरी पाने वाले युवाओं को नियुक्ति पत्र का वितरण किया। सरमा ने कहा कि जब हम सत्ता में आए थे तो हमने वादा किया था कि हम एक लाख नियुक्ति पत्र देंगे। आज हमने 99097 नियुक्ति पत्र बांटकर एक मील का पत्थर हासिल किया है। मुझे यकीन है कि इस महीने या अगले महीने के भीतर हम एक लाख नियुक्तियों का आंकड़ा पार कर लेंगे।
उन्होंने कहा कि असम में किसी भी सरकार ने इतने पारदर्शी तरीके से इतना रोजगार नहीं दिया है। आने वाले वर्षों में हम 50,000 और नियुक्ति पत्र देंगे। इसके लिए सरकार ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। असम में युवाओं को रोजगार देने के लिए बड़े स्तर पर काम किया जा रहा है।
असम में बिना भ्रष्टाचार लाखों युवाओं को मिली सरकारी नौकरी
सात अगस्त को डेरगांव में एक कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि राज्य में लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी मिली और भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। पूरी भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी रही। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार में बड़ी शैक्षिक और गुणात्मक पीढ़ी सरकारी नौकरी से वंचित थी। मैनें 2001-2004 तक विश्लेषण के बाद पाया कि असम पुलिस में 30-35 फीसदी भर्तियां समुदाय विशेष से की जाती हैं। इसके बाद असम सरकार पुलिस और वन रक्षक बलों में भर्ती में हर समुदाय, धर्म और जाति के लोगों को प्राथमिकता दे रही है।