विनेश फोगाट को न्याय से किया गया वंचित? प्रियंका चतुर्वेदी ने IOA पर साधा निशाना


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-13 16:34:14



विनेश फोगाट को न्याय से किया गया वंचित? प्रियंका चतुर्वेदी ने IOA पर साधा निशाना

भारतीय कुश्ती की स्टार विनेश फोगाट को हाल ही में एक गंभीर विवाद का सामना करना पड़ा है, जो देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले पर भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और केंद्रीय सरकार पर तीखा हमला किया है। लेकिन सवाल यह है कि विनेश को न्याय से वंचित करने का आरोप आखिर क्यों लगाया गया और यह विवाद किस दिशा में जा सकता है? आइए जानते हैं इस पूरे मामले की तह तक।

भारतीय खेलों की दुनिया में हाल के दिनों में सबसे बड़ा विवाद भारतीय कुश्ती की स्टार विनेश फोगाट के साथ जुड़ा हुआ है। विनेश, जिन्होंने 50 किलो वेट कैटिगरी में फाइनल तक पहुंचने की शानदार सफलता हासिल की थी। लेकिन फाइनल के दिन महज 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया। यह विवाद केवल खेल के मैदान तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि इसने राजनीति और समाज के कई अन्य हिस्सों को भी छू लिया है।

प्रियंका चतुर्वेदी, जो कि शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की राज्यसभा सांसद हैं, ने हाल ही में इस मामले पर सोशल मीडिया पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विनेश को न्याय से वंचित किया गया है और IOA ने अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ लिया है। चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि IOA को यह स्वीकार करना चाहिए कि वे फोगाट के मामले पर सही तरीके से विचार नहीं कर रहे हैं और इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।

दरअसल, यह विवाद तब शुरू हुआ जब पीटी उषा, जो कि IOA की अध्यक्ष हैं, ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। पीटी उषा ने कहा कि एथलीटों का वजन मैनेज करना उनकी अपनी जिम्मेदारी है और इसके लिए डॉक्टर दिनशॉ पारदीवाला और उनकी टीम को दोषी ठहराना गलत है। उषा का यह बयान विनेश फोगाट के समर्थकों और अन्य लोगों के बीच नाराजगी का कारण बना, जिन्होंने इसे फोगाट के प्रति अन्याय के रूप में देखा।

विनेश फोगाट, जो कि भारतीय कुश्ती की प्रमुख एथलीट हैं, ने इस मामले में कई बार अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके वजन के कारण उन्हें जानबूझकर प्रतियोगिता से बाहर किया गया। उनका सपना था कि वे इस फाइनल में स्वर्ण पदक जीतें, लेकिन वजन के कारण उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। उनके सपनों के चूर होने के बाद उन्होंने खेल से संन्यास लेने का फैसला किया, जिससे उनके समर्थकों और खेल प्रेमियों में गहरा आक्रोश है।

 

इस मामले में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार भी गर्म हुआ है। संसद में हंगामा हुआ और कई सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया। उन्हें लगता है कि पूर्व IOA प्रमुख नरेंद्र बत्रा, डॉक्टर पारदीवाला और उनकी टीम इस पूरे विवाद के लिए जिम्मेदार हैं। इस पूरे विवाद ने भारतीय खेलों की व्यवस्था और उसके प्रबंधन पर भी सवाल खड़े किए हैं।

 

पिछले वर्षों में भारतीय खेलों में कई विवाद हुए हैं, लेकिन यह विवाद विशेष रूप से विवादास्पद है क्योंकि इसमें एक प्रमुख एथलीट की प्रतिष्ठा और करियर का सवाल है। पिछले सालों में भी विभिन्न खेल संघों पर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन विनेश फोगाट के मामले ने एक नई दिशा को जन्म दिया है। इसका असर न केवल खेलों पर पड़ा है, बल्कि इसमें राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं को भी शामिल किया गया है। इससे पहले भी कई एथलीटों को विभिन्न विवादों का सामना करना पड़ा है, लेकिन विनेश का मामला विशेष रूप से संवेदनशील है क्योंकि इसमें स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद थी।


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