दिल्ली एम्स में डॉक्टरों का गुस्सा फूटा: कोलकाता की घटना के बाद रोड ब्लॉक कर किया प्रदर्शन


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-13 07:05:26



दिल्ली एम्स में डॉक्टरों का गुस्सा फूटा: कोलकाता की घटना के बाद रोड ब्लॉक कर किया प्रदर्शन

कोलकाता के सरकारी अस्पताल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई घिनौनी वारदात के बाद देश भर के डॉक्टरों का गुस्सा फूट पड़ा है। दिल्ली के एम्स में डॉक्टरों ने सड़क पर उतरकर अपने आक्रोश का इजहार किया है। डॉक्टरों का यह आंदोलन न सिर्फ उनके अधिकारों की रक्षा के लिए है, बल्कि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति गंभीर सवाल भी खड़े करता है। क्या डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकारों की लापरवाही अब एक बड़ी समस्या बन चुकी है? आइए, इस घटना की तह तक जाते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिरकार डॉक्टरों का गुस्सा क्यों इस कदर बढ़ गया है।

कोलकाता की घटना: डॉक्टरों की सुरक्षा पर सवाल

कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई गंभीर वारदात ने देश भर के डॉक्टरों में गहरी चिंता और गुस्सा पैदा कर दिया है। इस घटना के बाद से डॉक्टरों के बीच सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

इस घटना में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ बुरी तरह से बदसलूकी की गई थी, जिसके बाद डॉक्टर्स के बीच यह मांग जोर पकड़ने लगी कि अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। यह घटना न केवल एक महिला डॉक्टर के साथ हुई थी, बल्कि यह पूरे मेडिकल पेशे के सम्मान पर चोट थी।

एम्स दिल्ली में गुस्सा फूटा: रोड ब्लॉक और मार्च

इस घटना के बाद दिल्ली के एम्स (AIIMS) में डॉक्टरों का गुस्सा फूट पड़ा। डॉक्टरों ने एम्स के बाहर रोड ब्लॉक कर दिया और सड़क पर मार्च निकाला। यह प्रदर्शन डॉक्टरों की उस नाराजगी का प्रतीक था जो कोलकाता की घटना से पैदा हुई थी।

एम्स के डॉक्टरों ने इस प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा। उनका कहना था कि जब तक उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जाएगा, वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि वे मरीजों को परेशानी में नहीं डालना चाहते, इसलिए आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी, लेकिन उनकी मांगे पूरी की जानी चाहिए।

FORDA का सख्त रुख: देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी

दिल्ली में डॉक्टरों के इस आंदोलन का नेतृत्व FORDA (Federation of Resident Doctors' Association) कर रहा है। FORDA के अध्यक्ष डॉ. अविरल माथुर ने इस घटना की कड़ी निंदा की और देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी दी।

उन्होंने कहा कि जब तक डॉक्टरों की सुरक्षा और अन्य मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। डॉक्टरों की मांगों में मुख्य रूप से अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना और डॉक्टरों के साथ होने वाली बदसलूकी को रोकने के लिए सख्त कानून बनाना शामिल है।

डॉक्टरों की मांगें: सुरक्षा और सम्मान

डॉक्टरों की इस हड़ताल का मुख्य मुद्दा उनकी सुरक्षा और सम्मान है। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में काम करने के दौरान उन्हें लगातार हिंसा और बदसलूकी का सामना करना पड़ता है, जो अब असहनीय हो चुका है।

उन्होंने सरकार से मांग की है कि अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाई जाए और डॉक्टरों के साथ होने वाली किसी भी तरह की बदसलूकी के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाए। यह सिर्फ डॉक्टरों के लिए नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए जरूरी है कि डॉक्टर सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें।

पिछले सालों में डॉक्टरों पर बढ़ते हमले

पिछले कुछ वर्षों में डॉक्टरों पर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। 2020 में, कोविड-19 महामारी के दौरान भी डॉक्टरों को कई जगहों पर हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। इस तरह की घटनाएं डॉक्टरों के मनोबल को तोड़ती हैं और उनके कामकाज में बाधा डालती हैं।

2021 में भी देश भर में डॉक्टरों पर कई हमले हुए थे, जिसके बाद डॉक्टरों ने कई बार प्रदर्शन किया था। बावजूद इसके, सरकार द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी साबित हुए हैं। यह समय है कि सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे और इस मुद्दे को गंभीरता से ले।

डॉक्टरों की हड़ताल का असर

इस हड़ताल का असर सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में डॉक्टरों ने इस घटना के खिलाफ आवाज उठाई है। FORDA के अनुसार, करीब तीन लाख रेजिडेंट डॉक्टर इस हड़ताल में शामिल हैं।

इस हड़ताल का असर अस्पतालों में दिखने लगा है, जहां मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि, डॉक्टरों ने आपातकालीन सेवाओं को चालू रखा है, लेकिन सामान्य सेवाओं पर इसका बड़ा असर पड़ा है।

सरकार की प्रतिक्रिया

इस हड़ताल के बाद सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह डॉक्टरों की मांगों को पूरा करे। दिल्ली सचिवालय में दिल्ली के सभी अस्पतालों की बैठक होने वाली है, जिसमें डॉक्टरों की मांगों पर चर्चा की जाएगी।

FORDA के अध्यक्ष ने कहा है कि वह इस बैठक में अपनी मांगें रखेंगे और उम्मीद जताई कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करेगी। हालांकि, अब तक सरकार की ओर से इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

भविष्य की दिशा

डॉक्टरों की यह हड़ताल एक बड़े आंदोलन की दिशा में बढ़ रही है। अगर सरकार ने समय पर कदम नहीं उठाया, तो यह हड़ताल और भी व्यापक रूप ले सकती है।

यह समय है कि सरकार डॉक्टरों की मांगों को गंभीरता से ले और उनके लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करे। डॉक्टरों की सुरक्षा न केवल उनके व्यक्तिगत हित में है, बल्कि यह पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।

पिछले कुछ वर्षों में डॉक्टरों पर बढ़ते हमलों की घटनाओं ने कई बार स्वास्थ्य व्यवस्था को संकट में डाल दिया है। 2019 में, पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों पर हुए हमलों के बाद भी देश भर में डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। इसके बावजूद, डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान डॉक्टरों पर हुए हमलों ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया। अब 2024 में, कोलकाता की घटना के बाद, डॉक्टरों ने फिर से अपनी आवाज उठाई है और इस बार वे अपनी सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।


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