ओलंपिक मेडल्स की क्वालिटी पर उठे सवाल, एक सप्ताह में उड़ा रंग 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-12 14:59:21



ओलंपिक मेडल्स की क्वालिटी पर उठे सवाल, एक सप्ताह में उड़ा रंग 

ओलंपिक खेलों में मेडल जीतना हर एथलीट का सपना होता है, लेकिन क्या होगा अगर आपके मेहनत से जीते मेडल का रंग कुछ ही दिनों में उतरने लगे? अमेरिकी स्केटबोर्डर नाइजाह हस्टन ने हाल ही में इसी तरह की समस्या का सामना किया, जिससे ओलंपिक मेडल की क्वालिटी को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। 

पेरिस 2024 ओलंपिक के दौरान, अमेरिका के प्रसिद्ध स्केटबोर्डर नाइजाह हस्टन ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था। लेकिन उनकी इस जीत की खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। नाइजाह ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने ओलंपिक मेडल की तस्वीर साझा की, जिसमें दिखाया गया कि मेडल का रंग इतने ही दिनों में उतर गया।

हस्टन ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में मेडल की तस्वीर और वीडियो साझा करते हुए लिखा कि ये ओलंपिक मेडल तब अच्छे लगते हैं जब वे बिल्कुल नए होते हैं, लेकिन इसे थोड़ी देर के लिए पसीने के साथ अपनी त्वचा पर रखने और फिर वीकेंड में अपने दोस्तों को दिखाने के बाद, इसकी क्वालिटी सामने आती है। उन्होंने अपने मेडल की हालत दिखाते हुए कहा कि इसके कुछ हिस्सों का रंग उतरने लगा है, और कुछ हिस्सों में खुरदरापन भी आ गया है।

ओलंपिक मेडल्स की गुणवत्ता पर सवाल

पेरिस 2024 के मेडल्स के बारे में बताया गया था कि उन्हें एफिल टॉवर के निर्माण में उपयोग किए गए लोहे के टुकड़ों से तैयार किया गया है, जो उन्हें अनोखा बनाता है। लेकिन अब नाइजाह हस्टन द्वारा उठाए गए सवाल ने इन मेडल्स की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह पहला मौका नहीं है जब ओलंपिक मेडल्स की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इससे पहले भी पिछले ओलंपिक में कुछ एथलीट्स ने मेडल्स की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे। हालांकि, पेरिस 2024 में इस तरह का मामला सामने आना आश्चर्यजनक है, क्योंकि आयोजकों ने इस बार के मेडल्स को सबसे अनोखे और टिकाऊ बताया था।

पूर्व के वर्षों में क्या हुआ?

ओलंपिक मेडल्स की गुणवत्ता को लेकर पहले भी कई बार विवाद हुए हैं। रियो 2016 ओलंपिक के दौरान भी कई एथलीट्स ने शिकायत की थी कि उनके मेडल्स का रंग उतर रहा है। तब आयोजन समिति ने कहा था कि मेडल्स को बनाने में इस्तेमाल किए गए रसायनों की वजह से ऐसा हो सकता है।

लंदन 2012 ओलंपिक में भी कुछ एथलीट्स ने मेडल्स के रंग बदलने की शिकायत की थी। लंदन आयोजन समिति ने कहा था कि मेडल्स को साफ रखने के लिए एथलीट्स को विशेष निर्देश दिए गए थे, लेकिन कुछ एथलीट्स ने उन निर्देशों का पालन नहीं किया।

निष्कर्ष

नाइजाह हस्टन का मामला ओलंपिक मेडल्स की गुणवत्ता पर फिर से सवाल खड़ा कर रहा है। आयोजकों को इस मामले पर ध्यान देना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याएं सामने न आएं। ओलंपिक जैसे वैश्विक आयोजन में मेडल्स की गुणवत्ता में किसी भी तरह की कमी का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। एथलीट्स को वह सम्मान मिलना चाहिए, जिसके वे हकदार हैं, और मेडल्स की गुणवत्ता उसकी गारंटी होनी चाहिए।


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