क्या बचकाने सवाल पूछकर मामले को टाल रहा CAS? 13 अगस्त तक टला फैसला
के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा 2024-08-12 09:51:59
क्या बचकाने सवाल पूछकर मामले को टाल रहा CAS? 13 अगस्त तक टला फैसला
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट को गोल्ड मेडल के मैच से पहले उस समय बड़ा झटका लगा जब उन्हें अचानक डिसक्वालिफाई कर दिया गया। यह फैसला खेल जगत के लिए अप्रत्याशित था और इसने विनेश के सपनों पर पानी फेर दिया।
विनेश को लेकर सवाल यह है कि उन्होंने अपनी अपील के लिए खेल पंचाट (CAS) से मदद ली है, लेकिन अब तक इस मामले का कोई अंतिम फैसला नहीं आया है। CAS ने विनेश से तीन बचकाने सवाल पूछे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि इनका जवाब उनकी अपील की दिशा और परिणाम को निर्धारित करेगा।
CAS के सवाल:
खेल पंचाट (CAS) ने विनेश फोगाट से तीन सवाल पूछे हैं जो अपने आप में यह बताते हैं कि किस तरह खेल पंचाट मामले को टाल रहा है।
1. नियम की जानकारी
पहला सवाल यह है कि क्या विनेश को इस बात की जानकारी थी कि उन्हें अगले दिन भी वज़न देना है? यह सवाल इस मामले के आधार को चुनौती देता है, जहां वज़न की समस्या को लेकर विनेश का डिसक्वालिफिकेशन हुआ था।
इस सवाल को लेकर यह बिलकुल स्पष्ट है कि विनेश या अन्य कोई भी खिलाडी जो इतने उच्च स्तरीय खेल में भाग ले रहा है वो निश्चित रूप से नियमों की जानकारी रखता है। इसके अलवा हर खिलाडी के साथ उसके कोच व अन्य विशेषज्ञों की टीम रहती है। इसलिए नियमों की जानकारी नहीं होने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है।
2. सिल्वर मेडल का साझा
दूसरा सवाल क्यूबा की रेसलर के साथ सिल्वर मेडल साझा करने को लेकर है। विनेश से पूछा गया है कि क्या क्यूबा की रेसलर उनके साथ यह मेडल साझा करने को तैयार हैं? यह सवाल विनेश की अपील की मुख्य मांग से जुड़ा है, जहां उन्होंने सिल्वर मेडल की मांग की है।
यह सवाल भी कहीं ना कहीं आयोजकों की मानसिकता को दर्शाता है। जब किसी सार्वजानिक मंच से किसी पुरस्कार की घोषणा किन्ही दो खिलाडियों या प्रतिभागियों के लिए सम्मिलित रूप से की जाती है तो उसे स्वीकार करना उन खिलाडियों या प्रतिभागियों की जिम्मेदारी होती है ना की स्वैच्छिक।
3. फैसले की सार्वजनिक घोषणा
तीसरा सवाल यह है कि क्या विनेश इस अपील का फैसला सार्वजनिक रूप से घोषणा चाहते हैं या फिर उन्हें निजी तौर पर बताया जाए?
बेशक यह सवाल इस मामले की संवेदनशीलता को दर्शाता है, जहां एक निर्णय की घोषणा का असर कई पहलुओं पर पड़ सकता है। लेकिन यहाँ भी विचारणीय बात यह है कि आयोजकों द्वारा एक खिलाडी के चार वर्षों की मेहनत के प्रतिफल के रूप में पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है ना कि अनुकम्पा स्वरुप। विनेश ने लगातार मैच जीतकर खुद को इस लायक साबित किया है। फाइनल में प्रवेश के लिए उसने विश्व की नम्बर एक खिलाडी को हराया है। ऐसे में चुपचाप निजी तौर पर निर्णय बताने से आयोजको का क्या अभिप्राय है?
राजनीति छोड़ें, विनेश का साथ दें
अपने वर्षो की मेहनत से जो खिलाड़ी देश का परचम दुनिया में लहरा रहे हैं, उनके लिए भारत के सभी नेताओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर आवाज उठानी चाहिए। बेहतर होगा कि ऐसे समय में आपसी आरोप-प्रत्यारोप का दौर छोड़कर सभी एक स्वर में विनेश के लिए आवाज उठाएं। चाहे कोई किसी दल का नेता हो, किसी विचारधारा से प्रेरित हो, यदि देशप्रेम की भावना जरा भी बाकी है तो इस मुद्दे पर सभी को एक मंच पर आना चाहिए।
जनता भी छेड़े एक मुहीम
ओलंपिक में नियमों के दोहरेपन को देखते हुए बायकाट मालदीव जैसी एक मुहीम की आवश्यकता है। इतने बड़े स्तर पर विनेश के पक्ष में आवाज बुलंद होनी चाहिए की सारी दुनिया में एक सन्देश जाए कि हम अपने देश के रियल हीरो का कितना सम्मान करते हैं। इस से ना सिर्फ दुनिया में भारत की एकता का सन्देश जाएगा बल्कि देश के लिए मेहनत करने वाले खिलाडियों का मनोबल भी बढेगा।
अजय त्यागी, प्रधान संपादक, Rex TV India
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