राहुल गांधी की राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग पर केंद्र का बड़ा बयान: कानून में कोई प्रावधान नहीं


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-11 07:04:19



राहुल गांधी की राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग पर केंद्र का बड़ा बयान: कानून में कोई प्रावधान नहीं

केरल के वायनाड में हुई विनाशकारी भूस्खलन के बाद राहुल गांधी की मांग ने एक नई बहस को जन्म दिया है। क्या सरकार इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करेगी या नहीं? केंद्र सरकार ने इस पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। आइए जानते हैं, क्यों सरकार के पास इस मांग को मानने का कोई कानूनी आधार नहीं है।

राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग और सरकार का जवाब

केरल के वायनाड जिले में हाल ही में हुए भूस्खलन ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली और कई लोग अब भी लापता हैं। इस भयानक आपदा ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। लेकिन सरकार के सूत्रों ने साफ कर दिया है कि प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है।

सरकार के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। यह बयान तब आया जब राहुल गांधी ने लोकसभा में इस मांग को जोर-शोर से उठाया और कहा कि केंद्र सरकार को इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए, ताकि प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा और पुनर्वास पैकेज मिल सके।

पिछले वर्षों में क्या हुआ?

यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग उठी हो। 2013 में लोकसभा में दिए गए एक उत्तर में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री मुल्लप्पल्ली रामचंद्रन ने स्पष्ट किया था कि प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार ने उस समय भी कहा था कि किसी भी आपदा की गंभीरता को मामले-दर-मामले के आधार पर आंका जाता है। इसमें आपदा की तीव्रता, प्रभावित राज्य सरकार की क्षमता और योजना के भीतर उपलब्ध विकल्पों को ध्यान में रखा जाता है।

हालांकि, गंभीर प्रकृति की आपदाओं के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) द्वारा अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाती है, लेकिन इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।

राहुल गांधी का आग्रह और सरकार का रुख

राहुल गांधी ने लोकसभा में इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को वायनाड में हुई भूस्खलन की घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए। उन्होंने मांग की कि सरकार प्रभावित लोगों के लिए एक व्यापक पुनर्वास पैकेज दे और मुआवजा बढ़ाए।

राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि मैंने अपनी बहन के साथ वायनाड का दौरा किया और वहां की स्थिति को खुद देखा। यह घटना वास्तव में विनाशकारी है। 200 से अधिक लोग मारे गए हैं, और कई लोग अभी भी लापता हैं। लेकिन मृतकों की संख्या 400 से अधिक हो सकती है।

उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस आपदा के शिकार लोगों की मदद के लिए सभी संसाधनों का उपयोग किया जाए और इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।

सरकार का कानूनी आधार और वास्तविकता

हालांकि, सरकार का कहना है कि संविधान और कानून के तहत प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार के अनुसार, आपदा की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हर मामले का अलग-अलग आकलन किया जाता है और उसी के आधार पर राहत और पुनर्वास के उपाय तय किए जाते हैं।

यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन कानून और संविधान की सीमाओं के भीतर इसे लागू करना संभव नहीं है।

वायनाड भूस्खलन की गंभीरता और प्रशासनिक कार्रवाई

वायनाड में हुए भूस्खलन ने बड़ी संख्या में लोगों की जान ले ली और हजारों परिवारों को बेघर कर दिया। इस आपदा के बाद राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों ने राहत और बचाव कार्यों में तेजी दिखाई। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य पुलिस, सेना और स्थानीय स्वयंसेवकों ने मिलकर राहत कार्यों को अंजाम दिया।

राहुल गांधी ने इस दौरान राहत कार्यों में लगे सभी संगठनों की सराहना की और कहा कि यह देखकर खुशी होती है कि सभी समुदाय मिलकर एकजुट होकर मदद कर रहे हैं।

भविष्य की दिशा और संभावनाएं

इस घटना के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार आगे किस प्रकार की नीतियों को अपनाती है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन राहत और पुनर्वास के लिए अतिरिक्त सहायता और संसाधन जुटाने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।

राहुल गांधी की मांग ने निश्चित रूप से इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन यह देखना बाकी है कि सरकार इसके प्रति क्या रुख अपनाती है और कैसे आगे बढ़ती है।

निष्कर्ष

वायनाड की भूस्खलन की घटना ने एक बार फिर से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सरकार की नीति और प्रावधानों पर सवाल खड़े किए हैं। सरकार की ओर से आए बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून और संविधान के भीतर राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की कोई गुंजाइश नहीं है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए जाते हैं और सरकार किस प्रकार से प्रभावित लोगों की मदद करती है।


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