सीबीएसई का बड़ा कदम: 12वीं बोर्ड रिजल्ट में होगा 9वीं से 11वीं तक के अंकों का समावेश


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-10 19:20:58



सीबीएसई का बड़ा कदम: 12वीं बोर्ड रिजल्ट में होगा 9वीं से 11वीं तक के अंकों का समावेश

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने छात्रों की शिक्षा को बेहतर और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब कक्षा 12वीं के बोर्ड परीक्षा का परिणाम सिर्फ 12वीं के अंकों पर आधारित नहीं होगा, बल्कि कक्षा 9वीं से लेकर 11वीं तक के अंकों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने इस दिशा में महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जिन पर शिक्षा मंत्रालय गंभीरता से विचार कर रहा है।

क्यों हो रहा है यह बदलाव?

बीते कुछ सालों में शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव देखे गए हैं। सीबीएसई ने हमेशा से ही छात्रों के लिए शिक्षा को अधिक प्रभावी और आसान बनाने की कोशिश की है। इस नए बदलाव का उद्देश्य छात्रों पर बोर्ड परीक्षाओं के दबाव को कम करना और शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना है। इस पहल का विचार यह है कि छात्रों की निरंतरता और उनकी पूरी शैक्षणिक यात्रा का मूल्यांकन किया जाए, न कि केवल एक अंतिम परीक्षा के आधार पर।

एनसीईआरटी का सुझाव: छात्रों के हित में एक बड़ा कदम

एनसीईआरटी ने इस बदलाव को लेकर शिक्षा मंत्रालय को सुझाव दिए हैं, जिनमें कहा गया है कि कक्षा 12वीं का रिजल्ट बनाने में छात्रों के कक्षा 9वीं, 10वीं और 11वीं के अंकों का भी समावेश किया जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि छात्रों की शिक्षा को निरंतर और व्यापक दृष्टिकोण से देखा जा सके। इस सुझाव के पीछे विचार यह है कि छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों का सही आकलन किया जा सके और केवल एक परीक्षा पर निर्भर न रहना पड़े।

10वीं बोर्ड के लिए भी हो सकता है बदलाव

शिक्षा मंत्रालय ने परख के इस सुझाव पर विचार करते हुए कुछ राज्यों से फीडबैक मांगा है। कुछ राज्यों ने सुझाव दिया है कि इस बदलाव को कक्षा 10वीं के बोर्ड परीक्षा में भी लागू किया जा सकता है। इसका मतलब यह होगा कि कक्षा 10वीं का रिजल्ट भी कक्षा 9वीं और 10वीं के अंकों के आधार पर तैयार किया जाएगा। इससे छात्रों पर बोर्ड परीक्षा का दबाव कम होगा और उन्हें अपनी शिक्षा के प्रति अधिक जिम्मेदारी का अहसास होगा।

बीते वर्षों में सीबीएसई द्वारा किए गए बदलाव

सीबीएसई ने पिछले कुछ सालों में शिक्षा के पैटर्न में कई बदलाव किए हैं। 2019 में बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के लिए नए प्रश्नपत्र पैटर्न की घोषणा की थी, जिसमें अधिक वैकल्पिक प्रश्नों को शामिल किया गया था। इसके अलावा, बोर्ड ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए काउंसलिंग सेवाएं भी शुरू की हैं। 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान, बोर्ड ने ऑनलाइन कक्षाओं और परीक्षाओं का आयोजन किया, जिससे छात्रों को शिक्षा में किसी भी प्रकार की रुकावट का सामना न करना पड़े।

क्या होगा इस बदलाव का प्रभाव?

इस नए बदलाव का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि छात्रों पर केवल बोर्ड परीक्षाओं का दबाव नहीं रहेगा। कक्षा 9वीं से लेकर 11वीं तक की शैक्षणिक यात्रा को ध्यान में रखते हुए उनकी शैक्षणिक योग्यता का आकलन किया जाएगा। इससे छात्रों को अपनी पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने की प्रेरणा मिलेगी और वे केवल अंतिम परीक्षा के लिए पढ़ाई नहीं करेंगे।

इस बदलाव पर लोगों की प्रतिक्रिया

छात्रों और अभिभावकों के बीच इस बदलाव को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ का मानना है कि यह बदलाव छात्रों के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे उनकी पूरी शैक्षणिक यात्रा का सही आकलन हो सकेगा। वहीं, कुछ लोग इसे अतिरिक्त दबाव के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि अब छात्रों को कक्षा 9वीं से ही अपनी पढ़ाई में गंभीरता दिखानी होगी।

आगे क्या?

शिक्षा मंत्रालय इस बदलाव पर सभी राज्यों से फीडबैक प्राप्त कर रहा है। इसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि इस नई शिक्षा नीति को कब और कैसे लागू किया जाएगा। अगर यह बदलाव लागू होता है, तो सीबीएसई समेत सभी बोर्डों में छात्रों के रिजल्ट तैयार करने का तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा।


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