क्या मनीष सिसोदिया को मिली राहत अस्थायी है? सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी, लेकिन रखीं कड़ी शर्तें


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-10 05:25:26



क्या मनीष सिसोदिया को मिली राहत अस्थायी है? सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी, लेकिन रखीं कड़ी शर्तें

दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है, लेकिन यह राहत शर्तों से भरी हुई है। आबकारी नीति मामले में सिसोदिया को 17 महीने बाद जमानत दी गई, जिसमें कोर्ट ने कई कड़ी शर्तें लगाई हैं। उन्हें अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा, हर हफ्ते थाने में हाजिरी देनी होगी और सबसे महत्वपूर्ण, वे किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकेंगे।

जमानत के साथ शर्तें: सुप्रीम कोर्ट की सख्त हिदायतें

सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते समय कई कड़े निर्देश दिए। सबसे पहले, उन्हें अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराना होगा, जिससे वे देश छोड़कर बाहर न जा सकें। इसके अलावा, उन्हें हर सोमवार को पुलिस स्टेशन में हाजिरी देने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सिसोदिया किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और न ही किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे।

ट्रायल में देरी बनी जमानत का आधार

सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देने के पीछे मुख्य आधार ट्रायल में देरी को बताया। कोर्ट ने कहा कि जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद। इस मामले में ट्रायल का जल्दी खत्म होना संभव नहीं दिख रहा है, इसलिए सिसोदिया को लंबे समय तक जेल में रखना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी को त्वरित सुनवाई का अधिकार है, और स्वतंत्रता का अधिकार एक पवित्र अधिकार है।

मनीष सिसोदिया का मामला और न्यायिक प्रक्रिया

मनीष सिसोदिया पर दिल्ली आबकारी नीति मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके चलते उन्हें 17 महीने जेल में बिताने पड़े। इस दौरान उनकी जमानत याचिकाएं लगातार खारिज होती रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की और अंततः उन्हें जमानत दी। हालांकि, कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देते समय यह भी कहा कि उनके खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं, इसलिए उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना होगा।

अतीत की घटनाएं और इस मुद्दे का संदर्भ

दिल्ली की राजनीति में मनीष सिसोदिया की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में कई सुधार किए, जिन्हें व्यापक प्रशंसा मिली। लेकिन दिल्ली आबकारी नीति मामले ने उनके करियर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इस मामले में उन्हें और उनके सहयोगियों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इससे पहले भी दिल्ली की राजनीति में कई विवाद उठे हैं, जैसे कि अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच टकराव, जो अक्सर सुर्खियों में रहे हैं।

निष्कर्ष

मनीष सिसोदिया को मिली जमानत एक महत्वपूर्ण कानूनी पहलु है, लेकिन उनके लिए यह राहत अस्थायी साबित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कई सख्त शर्तों के साथ जमानत दी है, जिनका पालन करना उनके लिए अनिवार्य होगा। इस मामले का ट्रायल अभी जारी रहेगा और यह देखना होगा कि न्यायालय का अंतिम फैसला क्या होता है।


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