अल सवेरे बड़ी खबर कांग्रेस  के सभी सांसद अयोग्य, चुनाव चिन्ह जब्त, पंजीकरण खारिज? केवल दिवास्वप्न या होगी कार्यवाही 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-10 03:16:11



 अल सवेरे बड़ी खबर कांग्रेस  के सभी सांसद अयोग्य, चुनाव चिन्ह जब्त, पंजीकरण खारिज? केवल दिवास्वप्न या होगी कार्यवाही 

 एक जनहित याचिका ने किया बड़ा दावा!

कांग्रेस पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 में जनता को किए गए एक वायदे पर अब अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं को 8500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था, लेकिन चुनाव के बाद इस वादे को पूरा नहीं किया। याचिकाकर्ता ने इसे जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 121(1)(ए) के उल्लंघन का मामला बताते हुए कांग्रेस के सभी 99 सांसदों को अयोग्य घोषित करने, पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त करने और पार्टी का पंजीकरण रद्द करने की मांग की है।

कांग्रेस पार्टी पर लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को गुमराह करने का आरोप

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने एक नई योजना का ऐलान किया था, जिसे गारंटी कार्ड योजना कहा गया। इसके तहत, गरीब, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों को हर महीने 8500 रुपये देने का वादा किया गया था। यह वादा चुनाव बाद के पहले महीने से ही पूरा किया जाना था, लेकिन चुनाव के बाद यह वादा अधूरा रह गया। इस वायदे ने कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को भारी संख्या में वोट दिलाए, लेकिन यह वादा मात्र एक चुनावी हथकंडा साबित हुआ।

याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने गारंटी कार्ड योजना के तहत वोट के बदले में धनराशि देने का झूठा वादा किया, जो जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 121(1)(ए) का उल्लंघन है। इसके अलावा, इसे भारतीय न्याय संहिता और भारतीय दंड संहिता के तहत भी एक दंडनीय अपराध बताया गया है।

अदालत का हस्तक्षेप और कांग्रेस के सांसदों की अयोग्यता

याचिकाकर्ता भारती सिंह ने अधिवक्ता ओ पी सिंह और शाश्वत आनंद के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि कांग्रेस पार्टी के सभी 99 सांसदों को अयोग्य घोषित किया जाए, पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त किया जाए और पार्टी का पंजीकरण रद्द किया जाए।

यह याचिका चुनाव आयोग के खिलाफ भी है, जिसमें कहा गया है कि आयोग ने कांग्रेस पार्टी के इस वायदे को लेकर कोई उचित कार्रवाई नहीं की। हालांकि, चुनाव आयोग ने 2 मई को एक एडवाइजरी जारी की थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी द्वारा उसे नजरअंदाज करते हुए उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त करने की मांग

याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त किया जाए और उसका पंजीकरण रद्द किया जाए। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस पार्टी ने जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन करते हुए मतदाताओं को वोट के बदले पैसे का लालच दिया, जो एक गंभीर अपराध है।

याचिकाकर्ता का दावा है कि इस मामले में चुनाव आयोग ने उचित कार्रवाई नहीं की है, इसलिए अब अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई होने की उम्मीद है।

निष्कर्ष

कांग्रेस पार्टी के खिलाफ दायर इस जनहित याचिका ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। अगर अदालत याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देती है, तो कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके 99 सांसद अयोग्य घोषित हो सकते हैं और पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त किया जा सकता है। साथ ही पार्टी का पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है। यह मामला भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

अतीत की घटनाएं और इस मुद्दे का संदर्भ

लोकसभा चुनाव में इस तरह के वायदे और जनहित याचिकाओं का इतिहास काफी पुराना है। इससे पहले भी कई बार पार्टियों ने चुनावी वायदे किए हैं जो बाद में विवाद का कारण बने। वर्ष 1971 में इंदिरा गांधी के गरीबी हटाओ अभियान से लेकर 2019 के न्याय योजना तक, राजनीतिक दलों ने कई बार ऐसे प्रलोभन वाले वादे किए हैं, जिनके कारण कानूनी चुनौतियां उठीं। हालांकि, अधिकतर मामलों में अदालत ने पार्टियों को महज चेतावनी देकर छोड़ दिया, लेकिन वर्तमान मामले में कांग्रेस पार्टी को गंभीर कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।


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