शादीशुदा महिला की पढ़ाई पर रोक? प्रिंसिपल ने कहा -माहौल बिगड़ जाएगा 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-09 10:24:11



शादीशुदा महिला की पढ़ाई पर रोक? प्रिंसिपल ने कहा -माहौल बिगड़ जाएगा  

शादी के बाद स्कूल पहुंची छात्रा को क्लास में बैठने से रोका 

बड़ा सवाल -क्या शादीशुदा महिलाओं के लिए पढ़ाई भी सपना है?

शादी के बाद भी पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाली अल्मोड़ा की सिमरन के साथ हुई नाइंसाफी ने समाज को हिलाकर रख दिया है। आखिर कब तक शादीशुदा बालिकाओं को शिक्षा से वंचित किया जाएगा?

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो हमारे समाज की सोच और उसमें व्याप्त पूर्वाग्रहों को उजागर करता है। यहां की एक 19 वर्षीय छात्रा, परिजनों ने जिसकी हाल ही में शादी की है, उसे क्लास में बैठने से मना कर दिया गया। इसका कारण सिर्फ इतना है कि अब वह एक शादीशुदा महिला बन चुकी है। यह घटना देश के उस हिस्से में हुई है, जो अपनी शिक्षा व्यवस्था और महिला सशक्तिकरण के लिए जाना जाता है।

क्लास में बैठने से मना किया गया

अल्मोड़ा के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली सिमरन, जो कि कक्षा 11 की छात्रा है, को स्कूल प्रशासन ने क्लास में बैठने से रोक दिया। सिमरन के परिवार ने बीते 28 जुलाई को उसकी शादी कर दी थी। शादी के बाद जब सिमरन ने अपने स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की इच्छा जताई और अपने स्कूल पहुंची तो, उसे स्कूल प्रशासन ने यह कहकर रोक दिया कि विवाहित छात्रों के लिए स्कूल की नीतियाँ अलग हैं, और उनके लिए क्लास में बैठने की अनुमति नहीं है।

स्कूल प्रशासन का तर्क

स्कूल की प्रिंसिपल, विजया पंत ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि यह पहली बार है कि किसी विवाहित छात्रा ने क्लास में भाग लेने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि स्कूल के नियमों के अनुसार, विवाहित छात्रों के प्रवेश की अनुमति नहीं है, क्योंकि इससे अन्य छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि उच्च अधिकारी अनुमति देते हैं, तो सिमरन को क्लास में बैठने की अनुमति दी जा सकती है।

शादीशुदा महिलाओं के अधिकारों पर सवाल

इस घटना ने समाज में शादीशुदा महिलाओं के अधिकारों और उनकी शिक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के मामले यह दिखाते हैं कि हमारी सोच में अभी भी बदलाव की जरूरत है।

पिछले सालों की घटनाओं का विश्लेषण

महिलाओं के शिक्षा अधिकार को लेकर ऐसे मामले नए नहीं हैं। पिछले सालों में भी विभिन्न राज्यों में इसी तरह के मामले सामने आए हैं, जहां शादीशुदा महिलाओं को पढ़ाई से वंचित किया गया है। 2018 में राजस्थान के एक स्कूल में एक विवाहित छात्रा को एडमिशन देने से मना कर दिया गया था। इसके अलावा, महाराष्ट्र में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसमें एक छात्रा को शादी के बाद स्कूल आने से मना कर दिया गया था।

समाज में बदलाव की जरूरत

ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि हमारे समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव की बहुत जरूरत है। शिक्षा हर व्यक्ति का अधिकार है, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित। सरकार और शिक्षा विभाग को इस दिशा में सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि शादीशुदा महिलाओं को भी उनके अधिकारों से वंचित न किया जा सके।


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