इंद्रायणी नदी किनारे बने 29 अवैध बंगलों पर चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट ने किया रास्ता साफ
के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा 2024-08-08 20:13:42
इंद्रायणी नदी किनारे बने 29 अवैध बंगलों पर चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट ने किया रास्ता साफ
क्या शहर की सुंदरता की कीमत पर बने हैं अवैध बंगले?
पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) ने घोषणा की है कि वह इंद्रायणी नदी के किनारे बने 29 अवैध बंगलों को ध्वस्त करेगा। यह कदम उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद उठाया गया है, जिसमें एनजीटी के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह घटनाक्रम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून के दायरे में सभी को रहना होगा।
पुणे में अवैध बंगलों पर न्याय की चोट, इंद्रायणी नदी के किनारे अवैध निर्माण
इंद्रायणी नदी, जो पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ इलाके से होकर गुजरती है, पिछले कुछ समय से अवैध निर्माण की चपेट में है। नदी के किनारे बने 29 बंगलों को लेकर स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता तानाजी गंभीरे ने रिवर विला परियोजना के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में याचिका दायर की थी। उनकी याचिका में दावा किया गया था कि यह बंगले ब्लू लाइन क्षेत्र में बनाए गए हैं, जहां विकास गतिविधियों की अनुमति नहीं है।
एनजीटी का आदेश और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
एक जुलाई, 2024 को एनजीटी ने पीसीएमसी को इन अवैध बंगलों को ध्वस्त करने और पर्यावरणीय क्षति मुआवजे के रूप में पांच करोड़ रुपये वसूलने का आदेश दिया था। बंगलों के मालिकों ने इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी, जिससे एनजीटी के आदेश को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है।
पीसीएमसी की कार्रवाई
पीसीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा आवेदन खारिज किए जाने के बाद पीसीएमसी, एनजीटी के आदेश के अनुसार कार्रवाई शुरू करेगी। उन्होंने आगे कहा कि अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी और बंगला मालिकों से मुआवजा वसूलने की कार्रवाई भी की जाएगी।
स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता की भूमिका
तानाजी गंभीरे, जिन्होंने इस परियोजना के खिलाफ आवाज उठाई, ने कहा कि यह जीत सिर्फ मेरी नहीं है, बल्कि पूरे समाज की है जो पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहा है। अवैध निर्माण न केवल प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि आम लोगों के अधिकारों का भी हनन करता है।
पिछले वर्षों की घटनाएं
यह पहला मौका नहीं है जब पुणे में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की गई हो। 2018 में, पुणे नगर निगम ने मुला-मुथा नदी के किनारे बने कई अवैध बंगलों और संरचनाओं को ध्वस्त किया था। 2020 में भी, एनजीटी ने पुणे में कई अवैध निर्माण को लेकर सख्त आदेश जारी किए थे, जिससे कई लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा था।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
इस कदम को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पीसीएमसी के इस फैसले की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी ऐसे अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
संभावित प्रभाव
इस कार्रवाई के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि पुणे और अन्य शहरों में अवैध निर्माण पर रोक लगेगी और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। इससे न केवल इंद्रायणी नदी की स्वच्छता और सुंदरता बहाल होगी, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष
पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ में इंद्रायणी नदी के किनारे बने 29 अवैध बंगलों को ध्वस्त करने का निर्णय पर्यावरण संरक्षण और कानूनी पालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम दिखाता है कि कानून के नियमों का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है और अवैध निर्माण को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।