धनशोधन मामलों में सजा दर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-08 15:42:13



धनशोधन मामलों में सजा दर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

भारत के धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सजा दर की चौंकाने वाली हकीकत पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा सवाल उठाया है। क्या ईडी अपने अभियोजन की गुणवत्ता पर सही से ध्यान दे रहा है? इस पर उच्चतम न्यायालय ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है जब ईडी को वैज्ञानिक जांच पर जोर देना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की धनशोधन मामलों में सजा की दर को लेकर गंभीर चिंता जताई है। जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की तीन जजों की पीठ ने कहा कि ईडी को अपने अभियोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। लोकसभा में दिए गए एक बयान का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि 2014 से 2024 तक के बीच ईडी ने कुल 5,297 मामले दर्ज किए, जबकि इनमें से सिर्फ 40 मामलों में दोषसिद्धि हासिल की गई।

अदालत का रुख: केस को अदालत में साबित करने की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के एक व्यवसायी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। व्यवसायी को कोयला परिवहन पर अवैध लेवी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस पर पीठ ने ईडी से कहा कि अभियोजन पक्ष और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। अदालत ने कहा कि जहां आप संतुष्ट हैं कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है, उन मामलों को अदालत में साबित करने की जरूरत है।

वैज्ञानिक जांच पर जोर

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी को अभियोजन की गुणवत्ता सुधारने के लिए वैज्ञानिक जांच करनी चाहिए। पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से कहा कि आपको कुछ वैज्ञानिक जांच करनी चाहिए। इस पर राजू ने दलील दी कि धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत बयानों को साक्ष्य माना जाता है।

गिरफ्तारी के आदेश की समीक्षा

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को आरोपी को विश्वास करने के कारण बताने की आवश्यकता होती है। उन्होंने पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि वर्तमान मामले में गिरफ्तारी का आदेश कायम रह सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले में माना था कि गिरफ्तारी के आधार के अलावा, आरोपी को विश्वास करने के कारण भी बताए जाने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश

शीर्ष अदालत की पीठ, जिसने पहले सुनील कुमार अग्रवाल को अंतरिम जमानत दी थी, ने अपने पहले के आदेश को पूर्ण बना दिया। इस मामले में पीठ ने स्पष्ट किया कि ईडी को अपने अभियोजन की गुणवत्ता पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है ताकि दोषसिद्धि की दर में सुधार हो सके।

पिछले वर्षों में धनशोधन मामलों की स्थिति

पिछले वर्षों में धनशोधन मामलों की स्थिति में कमी नहीं आई है। साल 2014 से 2024 के बीच दर्ज 5,297 मामलों में केवल 40 मामलों में दोषसिद्धि हासिल की गई है। यह दर्शाता है कि ईडी के अभियोजन में कहीं न कहीं कमी रह जाती है। इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में ईडी की जांच की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं।


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