ईडी की बड़ी रेड: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हरियाणा में नकली क्रिप्टोकरेंसी रैकेट का पर्दाफाश!
2024-08-05 16:05:34
ईडी की बड़ी रेड: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हरियाणा में नकली क्रिप्टोकरेंसी रैकेट का पर्दाफाश!
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का उभरता बाजार एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार कारण चौंकाने वाला है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हरियाणा में नकली क्रिप्टोकरेंसी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह कार्रवाई न केवल क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि देश में डिजिटल मुद्रा के सुरक्षित उपयोग के महत्व को भी रेखांकित करती है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रविवार को कहा कि फर्जी क्रिप्टोकरेंसी कारोबार घोटाले के सिलसिले में जम्मू, सोनीपत (हरियाणा) और लेह में छापेमारी के दौरान एक करोड़ रुपये नकद और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं। ईडी अधिकारियों ने कहा कि तलाशी और छापेमारी की कार्रवाई 2 अगस्त को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि इस रैकेट के जरिए लद्दाख क्षेत्र के लेह समेत कई इलाकों के लोगों को इमोलिएंट कॉइन नाम की फर्जी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के जरिए 10 महीने की छोटी अवधि में उनके निवेश को दोगुना करने का आश्वासन देकर ठगा जाता था। यह पहली बार था जब ईडी ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में छापेमारी की।
अधिकारियों ने कहा कि इस नकली क्रिप्टोकरेंसी का प्रतिनिधित्व और प्रचार सोनीपत के नरेश गुलिया द्वारा एमोलिएंट कॉइन लिमिटेड नामक एक कंपनी के माध्यम से किया गया था, जिसे सितंबर 2017 में यूनाइटेड किंगडम में शामिल किया गया था।
अधिकारियों ने आगे बताया कि लेह में इस कारोबार को जम्मू के अजय कुमार चौधरी और चरणजीत सिंह उर्फ चुन्नी और लेह के अत्तिउल रहमान मीर ने बढ़ावा दिया था। निवेशकों को भरोसा दिलाया गया था कि उनका निवेश 10 महीने में दोगुना हो जाएगा और नकली क्रिप्टोकरेंसी की मार्केटिंग के ज़रिए उन्हें एक निश्चित प्रतिशत कमीशन मिलेगा।
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा मार्च 2020 में दर्ज की गई एफआईआर से शुरू हुई है। इस कथित धोखाधड़ी के कारोबार से एकत्र किए गए धन को लूटा गया और आरोपियों द्वारा निजी इस्तेमाल और विभिन्न अचल संपत्तियों और परिसंपत्तियों की खरीद के लिए इस्तेमाल किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेजों, संपत्ति के दस्तावेज और डिजिटल उपकरणों के अलावा 1 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि नकदी और दस्तावेज किस स्थान या परिसर से जब्त किए गए।
अधिकारियों ने कहा कि लोगों को उन धोखेबाजों से सावधान रहना चाहिए जो उनके निवेश को दोगुना करने की पेशकश करते हैं, जो आरबीआई और सार्वजनिक भविष्य निधि तथा अन्य वास्तविक वित्तीय निवेशों द्वारा दी जाने वाली वास्तविक ब्याज दरों से कहीं अधिक है।
उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका नहीं है जब भारत में क्रिप्टोकरेंसी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों में नकली क्रिप्टोकरेंसी और पोंजी स्कीम के मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में, मुंबई और दिल्ली में भी ऐसे घोटाले उजागर हुए थे, जहाँ निवेशकों को बड़ी रकम का लालच देकर उनके पैसे लूटे गए थे।
ईडी और अन्य जांच एजेंसियों ने इन मामलों में कार्रवाई की थी, लेकिन इस बार का घोटाला बड़े पैमाने पर और सुनियोजित तरीके से संचालित हो रहा था। सरकार ने इसके लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग और निवेश को सुरक्षित बनाने के लिए नए कानून और नियम बनाए गए हैं।