बीकानेर के नाल गांव में हरियाली की नई सुबह, श्मशान घाट पर किया पौधारोपण 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-05 10:53:19



बीकानेर के नाल गांव में हरियाली की नई सुबह, श्मशान घाट पर किया पौधारोपण 

एक अनूठी पहल: जहां मृत्यु का सन्नाटा, वहीं जीवन की हरियाली

बीकानेर जिले के नाल गांव में एक अनूठी पहल के तहत शमशान घाट पर पौधे लगाए गए। एसपीएस मेमोरियल स्कूल नाल बड़ी के प्रधानाध्यापक राजेंद्र सिंह चौहान व मोहन सिंह के नेतृत्व में इस हरियाली अमावस्या पर यह कार्य किया गया। इस खबर में जानिए कैसे यह पहल एक संदेश दे रही है कि जहां जीवन समाप्त होता है, वहीं से नया जीवन शुरू हो सकता है।

हरियाली अमावस्या के मौके पर बीकानेर जिले के नाल गांव में एक अद्वितीय और प्रेरणादायक पहल को अंजाम दिया गया। नाल गांव के रावला बास के शमशान घाट पर पौधा रोपण अभियान का आयोजन किया गया। एसपीएस मेमोरियल स्कूल नाल बड़ी के प्रधानाध्यापक राजेंद्र सिंह चौहान और मोहन सिंह के नेतृत्व में यह कार्य संपन्न हुआ। स्कूल के छात्रों ने इस अभियान में पूरे जोश और उत्साह के साथ हिस्सा लिया और शमशान घाट पर कई पौधे लगाए।

इस पहल के पीछे राजेंद्र सिंह चौहान और मोहन सिंह की सोच थी कि मृत्यु के स्थान पर हरियाली फैलाकर जीवन का संदेश दिया जाए। गांव के लोगों और सरकारी स्कूल के कर्मचारियों ने भी इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। राजेंद्र सिंह ने गांव के लोगों के खेतों में भी पौधे लगाने का कार्य करवाया, ताकि हर जगह हरियाली का संदेश फैले।

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नाल बड़ी के समस्त स्टाफ का इस कार्य में पूरा सहयोग रहा। इस अवसर पर भोजराज सिंह ने बच्चों को पेड़-पौधों के महत्व के बारे में जानकारी दी और मोहन सिंह ने सभी छात्रों को अपने जन्मदिन पर एक-एक पेड़ लगाने का संकल्प दिलवाया। बच्चों ने भी अपने जीवन में अधिक से अधिक पेड़ लगाने और उनकी रक्षा करने का वादा किया।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य था शमशान घाट जैसे स्थान को हरा-भरा बनाना, जहां आमतौर पर लोग सिर्फ दुख और सन्नाटे का अनुभव करते हैं। इसके माध्यम से यह संदेश दिया गया कि मृत्यु के बाद भी जीवन संभव है और इसे हरियाली के माध्यम से दर्शाया जा सकता है। इस तरह के अभियानों से पर्यावरण संरक्षण और समाज में जागरूकता फैलाने में मदद मिलती है।


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