वायनाड भूस्खलन: 300 से अधिक मौतें, छठे दिन भी राहत और बचाव कार्य जारी!


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-05 06:36:30



वायनाड भूस्खलन: 300 से अधिक मौतें, छठे दिन भी राहत और बचाव कार्य जारी!

वायनाड में हुए भयंकर भूस्खलन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस विनाशकारी प्राकृतिक आपदा में अब तक 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, और छठे दिन भी राहत और बचाव कार्य जारी है। यह भूस्खलन न केवल वायनाड बल्कि पूरे केरल राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। 

वायनाड जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने भूस्खलन की स्थिति पैदा कर दी। यह भूस्खलन इतना विकराल था कि कई गाँव और बस्तियाँ पूरी तरह से मलबे के नीचे दब गए। अब तक की रिपोर्ट्स के अनुसार, इस आपदा में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों चूरलमाला और मुंडक्कई में सेना का राहत व बचाव कार्य छठे दिन भी जारी है। अभी भी मलबे में कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। वहीं, राज्य के तीन जिलों के लोगों के लिए जीवन रेखा रही चलियार नदी भूस्खलन के बाद से विनाश का प्रतीक बन गई है।

राहत और बचाव कार्यों में लगे दलों ने दिन-रात एक करके कई लोगों को मलबे से बाहर निकाला है, लेकिन चुनौती अभी भी बड़ी है। एनडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों ने मिलकर राहत कार्यों को अंजाम दिया है। सड़कों पर मलबा हटाने, फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने और उनके लिए अस्थायी आश्रयों का इंतजाम करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

केरल के पर्यटन मंत्री पीए मोहम्मद रियास का कहना है कि उत्तरी केरल के भूस्खलन प्रभावित इलाकों में छठे दिन भी बचाव अभियान जारी रहेगा और उन स्थानों पर अधिक बल और उपकरण तैनात किए गए हैं, जहां शवों के बरामद होने की संभावना ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि वायनाड, मलप्पुरम और कोझिकोड जिलों से बहने वाली चलियार नदी के 40 किलोमीटर के हिस्से में खोज अभियान जारी रहेगा, क्योंकि मलप्पुरम में नीलांबुर के पास कई शव और अवशेष बरामद किए गए हैं। भूस्खलन से तबाह हुए मुंडक्कई और चूरलमाला इलाकों में बचाव अभियान पिछले कुछ दिनों की तरह ही जारी रहेगा और उन स्थानों पर अधिक बल और उपकरण तैनात किए जाएंगे, जहां शवों के मिलने की संभावना अधिक है।

पुनर्वास के बारे में पीड़ितों के विचार जानेंगे: रियास

जो लोग प्राकृतिक आपदा से जिंदा बच गए हैं, उनके पुनर्वास के बारे में पर्यटन मंत्री ने कहा कि सभी के साथ चर्चा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिविरों और अस्पतालों में रह रहे लोगों के विचारों को प्राथमिकता दी जाएगी। मगर अभी चर्चा नहीं की जाएगी। इन सब पर बात तब होगी जब यह लोग बात करने की स्थिति में होंगे।

मंत्री ने कहा कि पहचान और अन्य महत्वपूर्ण रिकॉर्ड खो चुके लोगों की मदद के लिए तत्काल हस्तक्षेप किया जाएगा। वहीं, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा किसी भी तरह से बाधित न हो, इसके लिए भी कदम उठाए जाएंगे। राज्य सरकार ने हाल ही में पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक नई टाउनशिप स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की है।

वायनाड जिला कलेक्टर मेघश्री ने रविवार को बताया कि बचाव अभियान पूरे जोरों पर है। आज 1300 से अधिक बलों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान जोर-शोर से चल रहा है। आज, 1,300 से अधिक बलों को तैनात किया है। स्वयंसेवक भी मौजूद हैं। कल बचाव अभियान के लिए गए स्वयंसेवक वहां फंस गए थे, आज हम सावधानी बरत रहे हैं ताकि ऐसा न हो।

पीड़ितों के घरों की रखवाली के लिए पुलिस गश्त शुरू

इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय ने जानकारी दी है कि चूरलमाला और मुंडक्कई इलाकों में पुलिस की रात्रि गश्त शुरू की गई है। रात में पीड़ितों के घरों या क्षेत्रों में अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसमें कहा गया है कि बचाव अभियान के उद्देश्य से पुलिस की अनुमति के बिना रात में कोई भी यहां के घरों और क्षेत्रों में प्रवेश नहीं कर सकता है।

वहीं, राज्य स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि वायनाड के चूरलमाला और मुंडक्कई में 30 जुलाई को हुए बड़े भूस्खलन में मरने वालों की संख्या शुक्रवार तक 308 है। नवीनतम अपडेट के अनुसार, 215 शव और 143 शरीर के अंग बरामद किए गए, जिनमें 98 पुरुष, 87 महिलाएं और 30 बच्चे शामिल हैं। उन्होंने आगे बताया कि 212 शवों और 140 अंगों के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और रिश्तेदारों ने अब तक 148 शवों की पहचान कर ली है।

पश्चिमी घाट में दो प्रमुख सहायक नदियों के संगम से बनने वाली नदी आपदा में जान गंवाने वाले अधिकांश पीड़ितों के शवों को अपने साथ ले गई है। नौसेना, पुलिस, दमकल एवं बचाव दल, एनडीआरएफ और स्थानीय निवासियों सहित विभिन्न एजेंसियों ने शनिवार को नदी से तीन और शव बरामद किए और शरीर के 13 हिस्से बरामद किए।

अधिकारियों के अनुसार, इन बरामदगी के साथ चलियार नदी में पाए गए शवों की कुल संख्या 73 और शरीर के अंगों की संख्या 132 हो गई है, जिससे कुल संख्या 215 हो गई है। वहीं, मलप्पुरम जिले के एक अधिकारी ने कहा कि बरामद शवों में 37 पुरुष, 29 महिलाएं, तीन लड़के और चार लड़कियां शामिल हैं।

पहले क्या हुआ था

वायनाड जिले में पहले भी भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इस बार की आपदा ने सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पिछले साल भी इस जिले में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था, जिसमें कई लोगों की जान गई थी और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने आपदा प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए थे, लेकिन इस बार की स्थिति ने सभी प्रयासों को ध्वस्त कर दिया है।

इस बार की आपदा के पीछे मुख्य कारण है लगातार हो रही भारी बारिश और जलवायु परिवर्तन। मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी की थी, लेकिन इतनी बड़ी आपदा की संभावना का अंदाजा लगाना मुश्किल था।


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