क्या गुंडों को रखने के लिए है आवास, निजी सचिव पद से हटने के बाद वहां क्यों था बिभव कुमार - सुप्रीम कोर्ट


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-02 07:01:12



क्या गुंडों को रखने के लिए है आवास, निजी सचिव पद से हटने के बाद वहां क्यों था बिभव कुमार - सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली की राजनीति में एक और विवाद तब गहराया जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी बिभव कुमार पर आम आदमी पार्टी (AAP) की सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के आरोप लगे। सुप्रीम कोर्ट में बिभव कुमार ने जमानत की अपील की, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इस मामले में अब कोर्ट की टिप्पणी ने सभी का ध्यान खींचा।

बिभव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया है कि बिभव कुमार ने 13 मई को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर उनके साथ मारपीट की। इस घटना के बाद, 16 मई को एक एफआईआर दर्ज की गई, और 18 मई को बिभव कुमार को गिरफ्तार किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिभव कुमार का मोबाइल फोन जब्त किए जाने से पहले फॉर्मेट कर दिया गया था, जो महत्वपूर्ण सबूतों को छिपाने के प्रयास को दर्शाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिभव कुमार एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो गवाहों पर दबाव डाला जा सकता है या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि ऐसे बर्ताव पर शर्म नहीं आती, क्या गुंडों को रखने के लिए है आवास? कोर्ट ने यह भी पूछा कि निजी सचिव पद से हटने के बाद बिभव कुमार मुख्यमंत्री आवास में क्यों थे?

इस मामले ने आम आदमी पार्टी के अंदरुनी कलह को भी उजागर किया है, जहां पार्टी के नेता खुद एक-दूसरे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं। वहीं, अरविंद केजरीवाल के अन्य सहयोगियों के खिलाफ भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं, जिससे पार्टी की छवि पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।

बता दें कि स्वाति मालीवाल और बिभव कुमार दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें दर्ज करवाई थीं, लेकिन केवल मालीवाल की शिकायत पर कार्रवाई हो रही है। इस मामले ने राजनीतिक दलों के बीच तकरार बढ़ा दी है। विपक्ष ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर निशाना साधा है, जबकि आम आदमी पार्टी ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। वहीं, बिभव कुमा​र ने दावा किया है कि मालीवाल के आरोपों का समर्थन करने के लिए मेडिकल रिपोर्ट नहीं है और इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया है।


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