सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब राज्य सरकारें SC/ST जातियों की सब कैटेगरी बना सकती हैं


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-02 05:55:52



सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब राज्य सरकारें SC/ST जातियों की सब कैटेगरी बना सकती हैं

क्या आरक्षण की नीतियों में बड़ा बदलाव आ रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के भीतर उप-श्रेणियां बना सकती हैं। यह फैसला किस तरह से आरक्षण की व्यवस्था को प्रभावित करेगा और इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं? जानिए इस महत्वपूर्ण फैसले की पूरी कहानी।

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने एक अहम फैसले में कहा है कि राज्य सरकारें SC/ST समुदाय में उप-श्रेणियां बना सकती हैं ताकि आरक्षण का लाभ सही मायनों में उन समुदायों तक पहुंच सके, जो अब भी अत्यधिक पिछड़े हुए हैं। कोर्ट ने अपने 2004 के फैसले पर पुनर्विचार करते हुए कहा कि उप-श्रेणियों का निर्माण आरक्षण व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ नहीं माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरक्षण और अन्य संवैधानिक लाभ सही मायनों में उन लोगों तक पहुंच सकें, जिन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है। उप-श्रेणियों का निर्धारण करते समय राज्य सरकारें सामाजिक और आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कर सकती हैं, ताकि वास्तविक रूप से पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता दी जा सके।

यह निर्णय उन राज्य सरकारों के लिए भी अहम है जो अनुसूचित जातियों और जनजातियों के भीतर असमानताओं को दूर करने का प्रयास कर रही हैं। विभिन्न राज्यों में SC/ST समुदायों के बीच भिन्नता को देखते हुए, यह निर्णय राज्य सरकारों को अपने विशेष परिस्थितियों के अनुसार उप-श्रेणियों को बनाने और उनकी जरूरतों के अनुसार नीतियाँ तैयार करने की अनुमति देता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सामाजिक न्याय और समता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि वंचित और पिछड़े वर्गों को सही मायनों में आरक्षण का लाभ मिल सके।

इससे पहले, 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने E.V. Chinnaiah बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में फैसला दिया था कि किसी वर्ग को प्राप्त कोटे के भीतर उप-कोटे की अनुमति नहीं है। लेकिन अब, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पुनर्विचार के लिए 7 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया है।


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