महिलाओं ने सामूहिक रूप से ओखड़ा ग्यारस की पूजा-अर्चना की 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-08-01 09:06:01



महिलाओं ने सामूहिक रूप से ओखड़ा ग्यारस की पूजा-अर्चना की 

भीलवाडा। (पंकज पोरवाल) सावन महीने की एकादशी पर बुधवार को महिलाओं ने मंदिरों और अपने घरों में सामूहिक रूप से ओखड़ा ग्यारस की पूजा-अर्चना की। इस अद्वितीय धार्मिक आयोजन ने पूरे क्षेत्र में उत्साह और आध्यात्मिकता का माहौल बना दिया। जानें, क्यों यह पूजा इतनी महत्वपूर्ण है और इसके पीछे की धार्मिक कथाएं क्या कहती हैं।

भीलवाड़ा में सावन की एकादशी को महिलाओं ने विशेष पूजा-अर्चना करते हुए ओखड़ा ग्यारस का आयोजन किया। इस अवसर पर सैकड़ों महिलाओं ने एकत्र होकर भगवान विष्णु की आराधना की और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। ओखड़ा ग्यारस, जिसे कामिका एकादशी भी कहा जाता है, का सावन महीने में विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

महिलाओं ने सामूहिक रूप से व्रत रखकर और पूजा-अर्चना करते हुए अपने परिवार के कल्याण और समृद्धि की कामना की। पूजा के दौरान महिलाओं ने तुलसी, पंचमेवा और मखाने की खीर का भोग लगाया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

बता दें कि सावन महीने की कामिका एकादशी के महत्व को बताते हुए पंडितों ने बताया है कि इस दिन व्रत रखने से ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक क्षत्रिय ने ब्राह्मण की हत्या कर दी थी और उसे इस दोष से मुक्ति पाने के लिए कामिका एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी गई थी।


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