पूजा खेडकर पर UPSC का बड़ा एक्शन: IAS बनने का सपना टूट गया!
के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा 2024-08-01 06:00:27
पूजा खेडकर पर UPSC का बड़ा एक्शन: IAS बनने का सपना टूट गया!
महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की किस्मत ने अचानक एक बड़ा मोड़ लिया है। UPSC ने उनके खिलाफ FIR दर्ज करते हुए भविष्य में किसी भी सिविल सेवा परीक्षा में बैठने से प्रतिबंधित कर दिया है। आखिर क्या है इस विवाद की पूरी कहानी? आइए, जानते हैं विस्तार से।
महाराष्ट्र कैडर की आईएएस पूजा खेडकर, जिन्होंने 2022 में UPSC परीक्षा पास की थी, अब गंभीर विवाद में फंस गई हैं। उन पर फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करने और नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगे हैं। पूजा ने अपने चयन के दौरान दावा किया था कि वह दृष्टिबाधित हैं और नॉन-क्रिमी लेयर ओबीसी वर्ग से हैं। हालांकि, बाद में यह खुलासा हुआ कि उनके पास करोड़ों की संपत्ति है और उनके दावे झूठे थे। UPSC ने उन पर फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करने और नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में FIR दर्ज की है। उनके खिलाफ शुरू की गई जांच में पाया गया कि उन्होंने अपने चयन के लिए गलत जानकारी दी और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।
पूजा खेडकर का प्रशिक्षण पहले ही रद्द कर दिया गया था और उन्हें मसूरी अकादमी में वापस बुला लिया गया था। अब UPSC ने उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए सिविल सेवा परीक्षा-2022 की उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी है। इसके अलावा, उन्हें भविष्य में किसी भी सिविल सेवा परीक्षा में बैठने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि पूजा खेडकर का चयन UPSC की ओर से चुनौती के बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) में गया, जहां उनके खिलाफ रिपोर्ट दी गई। CAT ने UPSC को मामले की गंभीरता से जांच करने का निर्देश दिया था। पूजा ने एमआरआई रिपोर्ट के जरिए अपनी दृष्टिबाधिता का दावा किया, लेकिन जांच में यह दावा भी झूठा पाया गया। इस पर उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई और भविष्य में सिविल सेवा परीक्षा में बैठने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि UPSC सिविल सेवा परीक्षा की चयन प्रक्रिया बहुत कठोर होती है। इसमें हर साल लाखों अभ्यर्थी भाग लेते हैं, लेकिन बहुत कम ही सफल हो पाते हैं। पहले भी कई अभ्यर्थियों पर फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करने के आरोप लगे हैं, लेकिन पूजा खेडकर का मामला सबसे गंभीर है क्योंकि इसमें उच्च स्तर की धांधली का आरोप है। UPSC ने चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। यह मामला भी इसी दिशा में एक कदम है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।