मामले की बारीकियों को देखने के लिए मजबूत सामान्य ज्ञान की भावना की आवश्यकता -मुख्य न्यायाधीश 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-07-29 18:01:57



मामले की बारीकियों को देखने के लिए मजबूत सामान्य ज्ञान की भावना की आवश्यकता -मुख्य न्यायाधीश 

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर से निचली अदालत के न्यायाधीशों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि अपराध के महत्वपूर्ण मुद्दों पर याचिकाकर्ता को जमानत न दिया जाना बेहद संदेहास्पद लगता है। मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी मामले की बारीकियों को देखने के लिए मजबूत सामान्य ज्ञान की भावना की आवश्यकता है। 

निचली अदालतों की कार्य प्रणाली पर उठाए सवाल 

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जिन लोगों को निचली अदालतों से जमानत मिलनी चाहिए, उन्हें असल में जमानत नहीं दी जाती। इस वजह से याचिकाकर्ता को उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। इसके अलावा जिन लोगों को उच्च न्यायालय से जमानत मिलनी चाहिए, उन्हें वहां जमानत नहीं मिलती और इस वजह से उन्हें सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करनी पड़ती है। इस देरी से उन लोगों को परेशानी होती है, जिन्हें मनमाने तरीके से गिरफ्तार किया गया है।

एक सवाल के जवाब में मुख्य न्यायाधीश बोले ये बातें 

दरअसल, भारत के मुख्य न्यायाधीश बर्कले सेंटर में मनमानी गिरफ्तारियों से जुड़े एक सवाल के जवाब में ये बातें कहीं। संवाद के दौरान एक व्यक्ति ने कहा कि हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां पहले किसी के द्वारा कोई कृत्य किया जाता है और उसके बाद माफी मांगी जाती है। यह तब सच हो जाता है जब नागरिक संस्थाओं द्वारा राजनीति से प्रेरित होकर कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, और विपक्षी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी सभी तरह की कार्रवाइयां इस भरोसे के साथ की जातीं हैं कि न्याय मिलने में देरी होगी। इसके जवाब में सीजेआई ने कहा कि हमें उन लोगों पर भरोसा करना सीखना होगा, जो इस कानून प्रणाली का हिस्सा हैं। हमें निचली अदालतों को इस बात के लिए प्रेरित करना होगा कि जो लोग जमानत की मांग कर रहे हैं, उनकी चिंताओं का भी ध्यान रखा जाए।

 

मजबूत सामान्य ज्ञान की भावना पर जोर

सीजेआई ने आगे कहा कि आज की मुख्य समस्या ये है कि निचली अदालतों के न्यायाधीश द्वारा किसी को राहत देने के मामले में संदेहास्पद स्थिति नजर आती है। इसका मतलब ये है कि निचली अदालतों के न्यायाधीशों द्वारा अपराध से जुड़े कुछ गंभीर मामलों में याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी जाती। मुख्य न्यायाधीश का कहना है कि न्यायाधीशों को हर मामले की बारीकियों को देखना चाहिए और इसके लिए मजबूत सामान्य ज्ञान की भावना का होना आवश्यक है।


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