जब कर लिया इरादा ऊंची उड़ान का। फिर देखना फिजूल है कद आसमान का।। 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-07-26 21:58:37



आरोही क्लब के पर्वतारोहियों ने वो कर दिखाया है, जो कोई नहीं कर पाया

जब कर लिया इरादा ऊंची उड़ान का।

फिर देखना फिजूल है कद आसमान का।। 

इन्हीं पक्तियों को चरितार्थ किया है आरोही क्लब के पर्वतारोहियों ने। हिमाचल प्रदेश के पीर पंजाल रेंज में पर्वत श्रृंखलाओं के बीच छिपा एक ऐसा पहाड़, जिससे दुनिया अनजान थी क्योंकि वह न तो किसी छोर से नजर आता था और न ही उसका कोई प्रामाणिक चित्र था। और तो और, वहां जाने का कोई मानचित्र भी नहीं था, इसलिए उसे 'गुप्त पर्वत' नाम दे दिया गया था। सोनारपुर आरोही क्लब के नौ पर्वतारोहियों ने गुप्त पर्वत पर चढ़कर उसका सारा रहस्य खोल दिया है।

बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सोनारपुर आरोही क्लब के पर्वतारोहियों ने वो कर दिखाया है, जो कोई नहीं कर पाया था। टीम का नेतृत्व करने वाले रूद्र प्रसाद हालदार ने बताया कि मैंने 2007 में अनुभवी पर्वतारोहियों से इस पहाड़ के बारे में सुना था। कोई इसे फतह करने का साहस नहीं दिखा पा रहा था क्योंकि वहां जाना अंधेरे में तीर चलाने जैसा था। पर्वतारोहण के लिए सबसे प्रामाणिक व विश्वसनीय माने जाने वाले कोंटोर मैप में भी उसका सटीक मानचित्र नहीं था। हमने इस बेहद चुनौतीपूर्ण व दुर्गम अभियान के लिए काफी तैयारियां कीं।

कोलकाता से शुरू हुआ अभियान

उन्होंने कहा कि गत तीन जून को कोलकाता से अभियान शुरू किया और पांच को हिमाचल के दालांग पहुंचे। सात को वहां से ट्रैकिंग शुरू की। रास्ते में हमें बर्फीली नदी पार करनी पड़ी। नदी पार करते वक्त ऊपर से चट्टानें गिरनी शुरू हो गई थीं। हमने किसी तरह बचते हुए नदी पार की। दो दिन बाद हम राहु-केतु ग्लेशियर के पास पहुंचे और वहां बेस कैंप लगाया। वहां से और 1,200 मीटर चढ़ने पर हमें गुप्त पर्वत की पहली झलक मिली। उसकी चार चोटियां दिखीं। सबसे बाईं ओर की चोटी सबसे ऊंची थीं। हमने उसी पर चढ़ने का फैसला किया।

रात डेढ़ बजे शुरू की चढ़ाई

हालदार ने बताया कि मौसम काफी खराब था। भारी बर्फबारी के कारण हम चार दिन आगे नहीं बढ़ पाए। आखिरकार 25 जून की आधी रात हमने चढ़ाई करने का फैसला किया और रात करीब 1.30 बजे चार शेरपाओं (पर्वतारोहियों के सहायक) के साथ बढ़ गए। अंधेरी रात में हेड टार्च के साथ बर्फ की चादर से ढके पहाड़ पर रस्सी के सहारे चढ़कर और एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखते हुए हमने प्रात: करीब 8.45 बजे गुप्त पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर कदम रखा। हमने रात का समय इसलिए चुना क्योंकि दिन में धूप निकलने पर हिमस्खलन का खतरा अधिक होता है।

बालकनी जैसी चोटी

टीम में शामिल एकमात्र महिला पर्वतारोही दीपाश्री पाल ने बताया कि गुप्त पर्वत की चोटी बालकनी जैसी है। उसका आगे का हिस्सा आठ-दस फुट बाहर निकला हुआ है। चोटी पर जगह काफी कम है और सतह उबड़-खाबड़ और बेहद ढलान वाली है। थोड़ा सा भी संतुलन बिगड़ने पर सीधे चोटी से नीचे गिरने का खतरा था। हमने अपने उपकरणों से चोटी की ऊंचाई मापी तो 5,988 मीटर पाई।

अब दुनिया को दिखाएंगे राह

टीम के सदस्य सत्यरूप सिद्धांत ने कहा कि हम दुनिया के सामने गुप्त पर्वत की सबसे पहली तस्वीर लेकर आए हैं। हम इस अभियान की रिपोर्ट इंडियन माउंटियनियरिंग फाउंडेशन को सौंपेंगे ताकि भविष्य में गुप्त पर्वत अभियान करने वालों का मार्गदर्शन किया जा सके। हम इसका स्पष्ट नक्शा भी तैयार करके देंगे।

दुनिया के सबसे युवा पर्वतारोही हैं सत्यरूप  

सत्यरूप अलग-अलग महाद्वीपों की सात पर्वत चोटियों और सात ज्वालामुखी शिखरों को फतह करने वाले दुनिया के सबसे युवा पर्वतारोही हैं। गुप्त पर्वत फतह करने वाली टीम के अन्य सदस्यों में नंदीश कल्लीमणि, देबाशीष मजुमदार, नैतिक निलय नस्कर, डॉ. उद्दीपन हालदार, तुहीन भट्टाचार्य और रूद्र प्रसाद चक्रवर्ती शामिल रहे।


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