जन्मतिथि पर विशेष: आत्मकथा लिखना चाहते थे मुकेश, गीत की रिकॉर्डिंग के दिन रखते थे उपवास
के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा 2024-07-23 08:59:00
जन्मतिथि पर विशेष: आत्मकथा लिखना चाहते थे मुकेश, गीत की रिकॉर्डिंग के दिन रखते थे उपवास
दुनिया से जाने वाले, जाने चले जाते हैं कहाँ
शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसके दिल ने मुकेश की दर्द भरी आवाज में गाए इस गीत को ना दोहराया हो। 22 जुलाई 1923 को जन्मे मुकेश चन्द्र माथुर, जिनकी जादुई आवाज ने हर दिल में दस्तक दी और गराइयों तक समां गई। हिंदी सिनेमा को जिसने अपनी अद्भुत आवाज में कई बेहतरीन गाने दिए, वह कोई और नहीं, बल्कि मुकेश हैं। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गाए गीत लोग आज भी गुनगुनाते हैं। यूं तो मुकेश ने अपने जमाने के सभी लीड एक्टर्स के लिए गाने गाए, लेकिन सबसे ज्यादा उन्होंने शोमैन राज कपूर के लिए गाए। इनमें दोस्त-दोस्त ना रहा, आवारा हूं और मेरा जूता है जापानी सहित कई शानदार गाने शामिल हैं। आज उनके जन्मदिवस पर बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुकेश ने अपने सिंगिंग करियर में 1300 से भी ज्यादा गाने गाए थे। मुकेश कभी राज कपूर की आवाज माने जाते थे। 40 के दशक से अपनी गायकी का सफर शुरू करने वाले मुकेश का जन्म दिल्ली के एक माथुर परिवार में 22 जुलाई 1923 को हुआ था। मुकेश फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर गायक थे, लेकिन वह कभी सिंगर नहीं बनना चाहते थे, बल्कि वह तो हीरो बनना चाहते थे।
मुकेश ने हिंदी फिल्म में जो पहला गाना गाया, वह था दिल जलता है तो जलने दे जिसमें अभिनय मोतीलाल ने किया था। मुकेश को 1959 में अनाड़ी' फिल्म के सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायन का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिस दिन मुकेश के गीतों की रिकॉर्डिंग होती थी, उस दिन वह उपवास रखते थे। मुकेश अपने काम के प्रति इतने समर्पित थे कि जब तक उनकी रिकॉर्डिंग नहीं हो जाती थी तब तक वह सिर्फ पानी और गरम दूध ही पीते थे, जिससे उनका गला बिलकुल ठीक रहे और उनके सुरों में कमी न आए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुकेश का एक सपना अधूरा रह गया था। वह सपना था अपनी आत्म कथा लिखने का। मुकेश डायरी लिखा करते थे। मुकेश ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि मैं अपनी जिंदगी की यादों को संजोना चाहता हूं, खुशियों को, दुखों को, संघर्षों को, मेरी इच्छा है कि एक दिन मैं अपनी आत्मकथा लिखूं। लेकिन अफसोस की बात उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। मुकेश ने क्या खूब लगती हो और धीरे धीरे बोल कोई सुन न ले जैसे शरारती गीत भी गाए। तो वहीं जाने कहां गए वो दिन और जीना यहां, मरना यहां जैसे संदेश वाले गाने भी गाए। मुकेश ने कुछ सदाबहार संदेश वाले गीत भी गाए, जो आज भी काफी लोकप्रिय हैं, जैसे- सजन रे झूठ मत बोलो और इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल। यह मुकेश ही थे जो एक तरफ ईचक दाना, बीचक दाना, दाने ऊपर दाना गा सके तो दूसरी ओर कहीं दूर जब दिन ढल जाए जैसा बेहद संजीदा गीत गाया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक इंटरव्यू के दौरान अभिनेता राज कपूर ने कहा था कि अगर मैं जिस्म हूं तो मुकेश मेरी आत्मा। बेशक मुकेश ने हर संगीतकार के साथ काम किया, जिनमें नौशाद, कल्याण जी-आनंद जी, खय्याम, लक्ष्मीकांत-प्यारे लाल हैं, लेकिन शंकर-जय किशन के साथ उन्होंने बेहद शानदार गाने गाए। रमैया वस्तावैय्या, आवारा हूं और मेरा जूता है जापानी जैसे गीत लोग आज भी सुनना पसंद करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुकेश की मृत्यु 27 अगस्त 1976 को डेट्रॉयट, मिशिगन, अमेरिका में दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, जहां वे एक संगीत कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। उस सुबह, वे जल्दी उठे और नहाने चले गए। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई और सीने में दर्द की शिकायत हुई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।