सब धरती कागद करूँ, लेखनि सब वनराय। सात समुंद की मसि करूँ, गुरु गुन लिखा न जाय।।​


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-07-22 04:55:04



सब धरती कागद करूँ, लेखनि सब वनराय। सात समुंद की मसि करूँ, गुरु गुन लिखा न जाय।।​

गुरु, एक ऐसा शब्द है जो ज्ञान, प्रेरणा और मार्गदर्शन का प्रतिबिंब है। गुरु वे होते हैं जो अंधकार में प्रकाश लाते हैं, अज्ञानता को दूर करते हैं और हमें जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं। गुरु के बिना मोक्ष नहीं मिल सकता, गुरु के बिना सत्य और असत्य की पहचान असंभव है, गुरु के बिना मन के दोष अर्थात् मन के विकारों को मिटाना असंभव है। इसलिए संत कबीर दास जी ने उपरोक्त दोहे में कहा है कि सारी धरती यदि कागज बन जाए, सारे वन लेखनी बन जाएं, सारे समुद्र की स्याही बन जाए तब भी गुरु की महिमा उसके गुणगान लिखा जाना संभव नहीं है।

गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब संत। वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।।

कबीर दास जी ने गुरु की महिमा के लिए यह भी कहा है कि गुरु और पारस के अंतर को सभी ज्ञानी पुरुष जानते हैं। पारस मणी के विषय में जग विख्यात है कि उसके स्पर्श से लोहा सोने का बन जाता है।

किन्तु गुरु इतने महान हैं कि अपने गुण-ज्ञान मे ढालकर शिष्य को भी अपने जैसा ही महान बना लेते हैं। 

गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है?

गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल के आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है। इस दिन, शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं। गुरु पूर्णिमा भारत में अपने आध्यात्मिक गुरु के साथ-साथ अकादमिक गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाने वाला पर्व है।

क्या है गुरु पूर्णिमा का इतिहास

मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था। जिन्हें हिंदू धर्म का आदि गुरु माना जाता है। वेदव्यास ने महाभारत, वेदों और पुराणों सहित कई महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी। इसके अलावा, गुरु पूर्णिमा को भगवान कृष्ण ने अपने गुरु ऋषि शांडिल्य को ज्ञान प्रदान करने के लिए चुना था। इसी दिन, भगवान बुद्ध ने भी अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था।

कैसे मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?

इस दिन, लोग अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। गुरु मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर, गुरु शिष्य परंपरा को दर्शाने वाले नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन जरूर करें ये काम

हर इंसान के जीवन में कोई न कोई गुरु होता है, खास बात ये है कि जो किसी को गुरु नहीं मानता है वो भी किसी न किसी से अपने जीवन में सीखता है। हम सब के जीवन में कोई न कोई हमारा आदर्श होता है। वे भी हमारे गुरु के समान होते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोगों को अपने गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहिए। ऐसा करने से न सिर्फ गुरु और शिष्य के बीच का संबंध अच्छा होता है बल्कि दोनों का एक-दूसरे के प्रति सम्मान और बढ़ जाता है।


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