नहीं मिलेगी ओपीएस? एनपीएस में सुधार पर ही सरकार का फोकस  


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-07-20 12:45:14



नहीं मिलेगी ओपीएस? एनपीएस में सुधार पर ही सरकार का फोकस  

पुरानी पेंशन बहाल होगी या एनपीएस में होगा बदलाव, यह सवाल केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारियों के जेहन में घूम रहा है। 15 जुलाई को वित्त मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी ने स्टाफ साइड (नेशनल काउंसिल, जेसीएम) के प्रतिनिधियों से बातचीत की थी। वह कमेटी, जिसका गठन ही एनपीएस में सुधार करने के लिए किया गया था। कमेटी के गठन को लेकर वित्त मंत्रालय का जो पत्र जारी हुआ था, उसमें ओपीएस शब्द तक नहीं लिखा गया था। इसके चलते कर्मचारी संगठनों ने यह समझकर कि इस बैठक में ओपीएस पर चर्चा ही नहीं होगी तो उन्होंने बैठक का बहिष्कार कर दिया। 

कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के मुताबिक, पुरानी पेंशन पर दाल में कुछ काला है। बैठक के मिनट्स बाहर नहीं आए हैं। जिन प्रतिनिधियों को बैठक के बारे में कुछ पता चल रहा है, उनसे आग्रह किया गया है कि वे कुछ न बोलें। सरकार चाहती है कि अभी मौन रहें। गंभीर मामला है। जल्द ही कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। यह तय है कि ओपीएस नहीं मिलेगा, लेकिन उसके कुछ प्रावधान एनपीएस में सुधार के रूप में दिखाई देंगे। एनपीएस में गारंटीकृत पेंशन जैसा कुछ हो, यह संभावना कम ही है।  

नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल, जिन्होंने इस मामले में सरकार को सुझाव दिए हैं, उनके मुताबिक, कर्मियों को गारंटीकृत पेंशन सिस्टम ही चाहिए। उन्होंने यह भी बताया था कि किस तरह से सरकार, एनपीएस को ओपीएस में बदल सकती है। अगर एनपीएस में ओपीएस वाले सारे फायदे मिल रहे हैं, तो नाम से कोई मतलब नहीं है। पेंशन स्कीम का कोई भी नाम रखा जा सकता है। पटेल कहते हैं कि सरकार एनपीएस में कई संभावनाओं पर विचार कर रही है। लिहाजा अभी तक रिपोर्ट सामने नहीं आई है, लेकिन कुछ बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि एनपीएस में सुधार पर ही सरकार का फोकस है। एनपीएस को मोडिफाई करके उसमें ओपीएस के फायदे शामिल करने का ही इशारा मिल रहा है। 

सम्भावना है कि सरकार कुछ नए प्रावधान कर सकती है। जैसे हमें एनपीएस में हर माह 10 फीसदी सेलरी देनी पड़ती है। सरकार भी 14 फीसदी जमा कराती है। अगर देखा जाए तो कुल 24 रुपए बनते हैं। इसमें कर्मियों का हिस्सा लगभग 41.66 फीसदी बैठता है। सरकार, अगर सेवानिवृत्ति पर कर्मियों को कुल कॉर्पस का 41.66 फीसदी या इससे कुछ कम भी देती है और बचे हुए अंशदान को किसी बैंक में जमा करने पर अंतिम बेसिक सेलरी का आधा और महंगाई भत्ते के साथ पेंशन देने की गारंटी देती है, तो यह ओपीएस ही बन जाएगी। सरकार यह भी तय कर सकती है कि पेंशनर के बाद आश्रित को ओपीएस की तरह 60 फीसदी फैमिली पेंशन मिले। डीए के साथ पे कमीशन का लाभ लागू किया जाए। किसी पेंशनर के न रहने पर सरकार एकमुश्त जमा किए गए धन में से कर्मचारी का अंशदान या समस्त धन नॉमिनी को दे सकती है। अगर सरकार अपना हिस्सा लेना भी चाहे, तो यह सरकार को एक सर्कल मिल जाएगा, जिसमें उसके द्वारा अंशदान दिया हुआ पैसा एक दिन उसी के पास ब्याज सहित पहुंच जाएगा। सरकार एनपीएस में कुछ ऐसे ही प्रावधानों को अंतिम रूप दे सकती है। 

कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स, इस कर्मचारी संगठन ने 15 जुलाई की बैठक से पहले जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा को पत्र लिखकर सूचित कर दिया था कि कर्मियों को ओपीएस से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। वे एनपीएस की समाप्ति और गारंटीकृत ओपीएस की बहाली चाहते हैं। 

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने भी इस बैठक का बहिष्कार किया था। 

एआईडीईएफ के अध्यक्ष एसएन पाठक और महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा था कि कर्मियों को केवल गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए। उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। केंद्र एवं और राज्य सरकारों के 6 करोड़ से अधिक कर्मचारी, एनपीएस को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव कहते हैं कि ओपीएस में पेंशन की गारंटी है। कर्मचारी को एक रुपया दिए बिना ही यह सुविधा मिलती है। 

बतौर यादव, ओपीएस में कर्मचारी के रिटायर होते ही पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। हर छह माह में महंगाई राहत भी मिलती है। फैमिली पेंशन का प्रावधान है। कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को पेंशन मिलेगी। अगर वह भी नहीं रही तो नियमों के अनुसार पेंशन के आगे भी ट्रांसफर होने का चांस रहता है। कुछ शर्तों के साथ लड़की को उसका फायदा मिल सकता है। 

आजीवन पेंशन का साथ रहता है। एनपीएस में दस प्रतिशत कर्मचारी जमा कराता व 14 फीसदी सरकार देती है। सरकार अपने पास से कुछ नहीं दे रही। कर्मचारी, आयकर व जीएसटी दे रहे हैं। सरकार, यहीं से कर्मचारी का शेयर दे रही है। एनपीएस में दो बार ही जमा पूंजी निकलवा सकते हैं, जबकि कर्मचारी को कई बार जरूरी कार्यों के लिए पैसे की आवश्यकता होती है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई, मकान या फ्लैट, शादी व अन्य जरुरतें होती हैं। एनपीएस में कर्मचारी, केवल अपने शेयर से ही राशि निकाल सकते हैं। 

ऐसे में रिटायरमेंट पर क्या बचेगा? अधिकांश कर्मचारी तो 90 फीसदी जमा पूंजी निकाल ही लेते हैं। कॉर्पस कितना बचेगा, ये अंदाजा लगा सकते हैं। केंद्र सरकार, एनपीएस में केवल सपना दिखा रही है। कर्मियों को गारंटीकृत पेंशन ही चाहिए। एनपीएस में कोई भी सुधार मंजूर नहीं हैं। 

बतौर मंजीत पटेल, एनपीएस में 20 साल की सर्विस पूरी करने से पहले ही रिटायर होने वाले कर्मचारियों को ओपीएस जैसी ही मिनिमम पेंशन की गारंटी मिल सकती है। जब कोई व्यक्ति ओपीएस में फुल लेंथ सर्विस पूरी करने से पहले ही यानी प्री मैच्योर रिटायर हो जाता है तो उसे मिनिमम पेंशन 9000 रुपये+DA मिलती है। एनपीएस में ऐसा नहीं है, इसलिए लोगों को 500 रुपये, 600 रुपये, 1200 रुपये जैसी पेंशन मिल रही है। संभव है कि सरकार उन्हें प्रति माह 15000 रुपये (10000+50%DA) राशि देने का प्रावधान कर दे। हर छह महीने में बढ़े हुए डीए का भी लाभ मिल जाए। अंतिम वेतन के 50 फीसदी पर डीए के साथ पेंशन की गारंटी मिल सकती है। सरकार की मंशा है कि एनपीएस को खत्म नहीं किया जाए, बल्कि उसी में ओपीएस के प्रावधान शामिल कर दिए जाएं।


global news ADglobal news ADglobal news AD