गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों में रखना उनके मौलिक अधिकारों का हनन, एनसीपीसीआर ने जमीयत पर लगाए आरोप
के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा 2024-07-15 07:41:07
गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों में रखना उनके मौलिक अधिकारों का हनन, एनसीपीसीआर ने जमीयत पर लगाए आरोप
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा है कि मदरसा इस्लामिक मजहबी शिक्षा सिखाने का केंद्र होता है और शिक्षा अधिकार कानून के दायरे से बाहर होता है। ऐसे में मदरसों में हिंदू व अन्य गैर मुस्लिम बच्चों को रखना न केवल उनके संवैधानिक मूल अधिकार का हनन है बल्कि समाज में धार्मिक वैमनस्य फैलने का कारण भी बन सकता है।
मदरसों के हिंदू बच्चों को बुनियादी शिक्षा का अधिकार मिले
एनसीपीसीआर ने देश की सभी राज्य सरकारों से कहा था कि संविधान के अनुरूप मदरसों के हिंदू बच्चों को बुनियादी शिक्षा का अधिकार मिले, इसलिए उन्हें स्कूल में भर्ती करें और मुस्लिम बच्चों को भी धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार देने के लिए प्रबंध करें। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने आयोग की इसी अनुशंसा के अनुरूप आदेश जारी किया था।
झूठी अफवाह फैला कर लोगों को गुमराह किया जा रहा
उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद नामक इस्लामिक संगठन इस आदेश बारे में झूठी अफवाह फैला कर लोगों को गुमराह कर सरकार के विरुद्ध आमजन की भावनाएं भड़काने का काम कर रहा है। मौलवियों का यह संगठन दारुल उलूम देवबंद की एक शाखा है, जिसके खिलाफ आयोग ने गजवा-ए-हिंद का समर्थन करने के लिए कार्रवाई की है।
पिछले साल उत्तर प्रदेश के देवबंद से सटे हुए एक गांव में चल रहे एक मदरसे में एक गुमशुदा हिंदू बच्चे की पहचान बदलने और खतना कर धर्मांतरण करने की घटना से सांप्रदायिक सामंजस्य बिगड़ा था। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी ये कार्यवाही जरूरी है।
बच्चों के बेहतर भविष्य के निर्माण में भाग लें
एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने कहा कि किसी को भी बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को किसी भी कट्टरपंथी संगठन के बहकावे में नहीं आना चाहिए और वह बच्चों के बेहतर भविष्य के निर्माण में भाग लें।