80 साल के बुजुर्ग का कमाल! हनुमान चालीसा सुनते-सुनते करा ली हार्ट की बाईपास सर्जरी 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-07-13 08:29:10



80 साल के बुजुर्ग का कमाल! हनुमान चालीसा सुनते-सुनते करा ली हार्ट की बाईपास सर्जरी 

बिहार की राजधानी पटना से एक भक्ति और हौंसले का अनोखा मामला सामने आया है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) के हृदय रोग विशेषज्ञों ने बुधवार को बिना बेहोश किए एक 80 वर्षीय बुजुर्ग की बाईपास सर्जरी की। बुजुर्ग ने इच्छा जताई थी कि उन्हें हनुमान चालीसा सुनाया जाए। इसलिए मोबाइल पर हनुमान चालीसा बजता रहा और मरीज सर्जरी की प्रक्रिया भी देखते रहे। डॉक्टरों के प्रश्नों का जवाब भी देते रहे।

बिना बेहोश किए बाईपास सर्जरी का असर यह हुआ कि दो घंटे बाद ही रोगी ने सामान्य भोजन किया। चंद घंटों बाद ही वे खुद को पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर रहे हैं और चल-फिर रहे हैं। सर्जरी आयुष्मान भारत कार्ड से निशुल्क की गई। यह जटिल सर्जरी कार्डियोथोरेसिक के विभागाध्यक्ष डॉ. शील अवनीश के नेतृत्व में की गई। इसमें सीटीवीएस विभाग के ही डॉ. तुषार कुमार, डॉ. अभिनव, डॉ. समर के अलावा एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दुबे, डॉ. आलोक भारती व डॉ. आलोक कुमार शामिल थे।

डॉ. शील अवनीश ने बताया कि इस सप्ताह के अंत तक रोगी को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। जटिल होने के कारण अवेक कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (अवेक सीएबीजी) सर्जरी लाखों में किसी एक रोगी की होती है। प्रदेश में यह इस तरह की पहली सर्जरी है। निदेशक डा. प्रो. बिन्दे कुमार, उप निदेशक डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने इस जटिल सर्जरी के लिए डॉ. शील अवनीश व उनकी टीम को बधाई दी है।

कई बड़े अस्पतालों से मायूस होकर आए थे आईजीआईएमएस

उम्र 80 वर्ष, हृदय की दो मुख्य धमनियों में 99 प्रतिशत ब्लॉकेज, इसके अलावा मधुमेह, गठिया, अस्थमा समेत कई अन्य गंभीर रोग। हृदय रोग विशेषज्ञ बाईपास सर्जरी अनिवार्य बता रहे थे, लेकिन विभिन्न राज्यों के कई बड़े-बड़े अस्पतालों में उन्हें मायूसी ही मिली। कोई बाईपास सर्जरी कर जोखिम नहीं लेना चाहता था। ऐसे में किसी के बताने पर करीब एक माह पूर्व दरभंगा के कुशेश्वर स्थान निवासी कुशेश्वर यादव आइजीआइएमएस आए और डॉ. शील अवनीश से मिले।

जांच में दो मुख्य धमनियां 99 प्रतिशत तक ब्लॉक थीं। सर्जरी ही अंतिम विकल्प था। कुछ दवाओं से उनकी हालत स्थिर कर पांच जुलाई को उन्हें भर्ती किया गया। सर्जरी के लिए स्थिति को सही देखकर 10 जुलाई को अवेक सीएबीजी विधि से सर्जरी की गई।

जटिल रोगियों के बेहतर प्रबंधन को होती यह सर्जरी

डॉ. शील अवनीश ने बताया कि अधिक उम्र, हृदय के अलावा कई अन्य क्रानिक रोगों से पीड़ित लोगों में बांह या जांघ से नस निकाल कर उन्हें ब्लाक नसों की जगह जोड़ना बहुत जटिल होता है। ऐसे में मरीज को यदि बेहोश कर दिया जाएगा तो रोगी की प्रतिक्रिया तुरंत नहीं मिल पाती है। ऐसे में समय पर जटिलता से निपटने में देर हो सकती है। अवेक विधि में मरीज होश में रहता है और कोई परेशानी होने पर तुरंत डाक्टर को बताता है, जिससे सर्जरी के परिणाम बेहतर होने की संभावना बढ़ जाती है।

इसके अलावा जब रोगी खुद पूरी प्रक्रिया देखता है तो उसकी मानसिक शक्ति मजबूत होती है और वह आइसीयू में जल्द रिकवरी करता है। हालांकि, सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया विशेषज्ञों की अहम भूमिका होती है।

क्या है अवेक सीएबीजी सर्जरी?

अवेक कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (अवेक सीएबीजी) कई मामलों में सामान्य बाईपास से अलग होती है।

इसमें रोगी को पूरा बेहोश करने की बजाय जिस अंग में जब प्रोसिजर होता है, उसे सुन्न किया जाता है। बांह या जांघ से नस निकालते और हृदय की अवरुद्ध धमनियों की जगह लगाते समय छोटा चीरा लगता है। सामान्य प्रक्रिया में सर्जरी के छह-सात घंटे बाद मरीज को होश आता है, जबकि इसमें वह डॉक्टर से बातचीत करता रहता है। अबतक एम्स दिल्ली, एम्स भोपाल व एक सर्जरी रिम्स रांची में की गई है।


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