चैन स्नैचर गैंग का पर्दाफाश, मुख्य सरगना समेत महिला गिरफ्तार, महिलाओं को करते थे टारगेट


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-07-12 15:26:22



चैन स्नैचर गैंग का पर्दाफाश, मुख्य सरगना समेत महिला गिरफ्तार, महिलाओं को करते थे टारगेट

राजधानी जयपुर की शिप्रापथ थाना पुलिस ने चेन स्नेचिंग की वारदातों को अंजाम देने वाली गैंग का पर्दाफाश करने में सफलता हासिल की है। गुरुवार को पुलिस ने चेन स्नेचिंग गैंग के मुख्य सरगना अरुण उर्फ काकू के साथ महिला साथी कोमल मौर्या को गिरफ्तार किया है। आरोपी सड़कों और कॉलोनियों की गलियों में अकेली महिलाओं को टारगेट करते थे। महिलाओं की चेन, मोबाइल और पर्स स्नेचिंग की वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते थे। आरोपी अपनी पहचान को छुपाने के लिए हेलमेट पहनकर वारदातों को अंजाम देते थे।

डीसीपी साउथ दिगंत आनंद के मुताबिक 7 जुलाई 2024 को पीड़ित महिला विमला जैन ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि वह सुबह करीब 8:30 बजे महारानी फॉर्म से मंदिर के रास्ते से मंदिर होते हुए अपने पति के साथ पैदल घर आ रही थी। इस दौरान मोटरसाइकिल पर सवार तीन लोगों ने महिला के गले से सोने की चेन खींचकर तोड़ ली और मौके से फरार हो गए। महिला के चिल्लाने पर लोगों ने बदमाशों का पीछा किया, लेकिन वह तेज रफ्तार से मोटरसाइकिल दौड़ाकर भाग निकले।

जयपुर शहर में लगातार हो रही चेन और मोबाइल स्नेचिंग की वारदातों पर रोकथाम और आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए एसीपी मानसरोवर संजय शर्मा और शिप्रापथ थाना अधिकारी अमित कुमार शर्मा के नेतृत्व में स्पेशल टीम का गठन किया गया। स्नैचिंग की वारदातों के सभी घटनास्थलों के सीसीटीवी फुटेज से वारदात में उपयोग लिए गए वाहन और हुलिए का मिलान करके आरोपियों को चिन्हित किया गया। आरोपियों को चिन्हित करने के बाद उनकी तलाश की गई। मुखबिर की सूचना पर वारदात को अंजाम देने वाले स्नैचर की पहचान करके आरोपी अरुण उर्फ काकू और उसकी महिला साथी कोमल मौर्या को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की गई है। आरोपियों के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है।

वारदात का तरीका 

आरोपी सुबह जल्दी घर से निकलते थे। कॉलोनी में गालियों और पार्कों के आसपास घूमते रहते थे। अकेली महिला को देखकर चेन और मोबाइल स्नेचिंग की वारदात को अंजाम देकर गलियों से होते हुए भाग जाते थे। आरोपी पुलिस को गुमराह करने के लिए वारदात के समय हेलमेट का उपयोग करते थे। हेलमेट होने की वजह से पहचान नहीं होती थी। आरोपी वारदात के उपयोग में बिना नंबर के वाहन का उपयोग करते थे।


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