चीनी सेना द्वारा एलएसी पर की जा रही खुदाई को लेकर मल्लिकार्जुन खरगे और अमित मालवीय में वाक् युद्ध 


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-07-09 09:04:12



 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को पार्टी की मांग दोहराते हुए कहा कि केंद्र सरकार को चीन के साथ सीमा पर स्थिति को लेकर देश को विश्वास में लेना चाहिए।

खरगे ने सोशल मीडिया एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा की है, जिसमें उन्होंने उपग्रह चित्रों का हवाला देते हुए दावा किया कि चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के आसपास के क्षेत्र में लंबे समय से खुदाई कर रही है, हथियारों और ईंधन को स्टोर करने के लिए भूमिगत बंकरों और बख्तरबंद वाहनों के लिए निर्माण कर रही है। खरगे ने आगे कहा कि चीन पैंगोंगत्सो के पास उस जमीन पर सैन्य अड्डा कैसे बना सकता है जो मई 2020 तक भारत के कब्जे में थी।

65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट भारत ने खो दिए

खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति कायम नहीं रखने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि हमने डेपसांग प्लेन्स, डेमचोक और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र सहित 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) पर कब्जा खो दिया है।

खरगे ने कहा कि मोदी की चीनी गारंटी जारी है क्योंकि उनकी सरकार अपनी लाल आंख पर 56 इंच के बड़े चीनी ब्लिंकर लगाती है। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बार फिर एलएसी पर सीमा की स्थिति पर देश को विश्वास में लेने की अपनी मांग दोहराती है। हम अपने बहादुर सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

खरगे के ट्वीट पर भाजपा ने पलटवार किया

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा कि जिस क्षेत्र की बात आप कर रहे हैं, उस पर 21 अक्टूबर 1962 को चीनी सैनिकों ने हमला करके कब्जा कर लिया था, उस वक्त जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे।

बीजेपी आईटी डिपार्टमेंट के मुखिया अमित मालवीय ने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट करके लिखा कि खड़गे जी, या तो आप सैन्य इतिहास और 1962 में हमारी जमीन पर चीन के अवैध कब्जे के बारे में कुछ नहीं जानते हैं या जानबूझकर फेक न्यूज फैला रहे हैं। 

आपकी जानकारी के लिए बता दूं। सिरिजाप, यह क्षेत्र, जिस पर 21 अक्टूबर 1962 को चीनी सैनिकों ने हमला किया था और कब्जा कर लिया था। तब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। इसलिए, हम बालक बुद्धि के परदादा के पापों की कीमत चुका रहे हैं और इसका 2020 से कोई लेना-देना नहीं है।

मालवीय ने आगे कहा कि कई सैन्य पत्रिकाओं ने इस तथ्य को दर्ज किया है, जिसमें 1963 में प्रकाशन प्रभाग द्वारा प्रकाशित मानचित्रों में चीनी आक्रामकता भी शामिल है। आप एक प्रति प्राप्त करिए और खुद को शिक्षित कर लीजिए।


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