कनूनी पेशे में अधिकतम लैंगिक प्रतिनिधत्व के लिए और अधिक प्रयास आवश्यक - डी वाई चंद्रचूड


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा   2024-07-04 20:56:44



कनूनी पेशे में अधिकतम लैंगिक प्रतिनिधत्व के लिए और अधिक प्रयास आवश्यक - डी वाई चंद्रचूड 

भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने लैंगिक प्रतिनिधित्व की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। साथ ही कहा कि कानूनी पेशे में अधिकतम लैंगिक प्रतिनिधित्व हासिल करने की दिशा में और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कानूनी पेशे से ताल्लुक रखने वालों से अधिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में न्यायिक सेवा के सबसे निचले स्तर के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में अब 60 प्रतिशत से अधिक भर्तियां महिलाओं की होती हैं। 

सीजेआई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को टाउन हॉल स्थित कलकत्ता उच्च न्यायालय के बार लाइब्रेरी क्लब के द्विशताब्दी समारोह में कानूनी बिरादरी के लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि लैंगिक प्रतिनिधित्व के मामले में प्रगति हो रही है, लेकिन यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता बनी हुई है कि हमारे न्यायिक संस्थान वास्तव में सभी के लिए समावेशी और मिलनसार हों। महिला वकीलों की मौजूदगी के बावजूद, उनकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने वाली सुविधाओं की बेहद कमी है।

सीजेआई ने कहा कि घरेलू और पेशेवर दोनों क्षेत्रों का प्रबंधन महिलाओं के लिए एक कठिन काम हो सकता है। महिलाओं की अक्सर बहुआयामी पहचान होती है। उन पर अपने पेशेवर करियर के साथ घरेलू कार्यों और बच्चों के पालन-पोषण को भी संतुलन करने की जिम्मेदारी होती है। 

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों के लिए 25 रुपये में भोजन की शुरुआत की गई, जिससे सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाली 2000 से अधिक उन महिलाओं को काफी हद तक मदद मिली, जिन्हें खाना बनाने का समय नहीं मिल पाता था। उन्होंने कहा कि इस तरह की एक छोटी सी पहल महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ा बदलाव लाती है। सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 75 साल के इतिहास में कुल 313 महिलाओं को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया है। इस फरवरी में, एक विशेष चयन में एक बार में 12 महिलाओं को वरिष्ठ वकील नामित किया गया था।


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