हिंदू सगंठनों ने ओवैसी के खिलाफ खोला मोर्चा, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-07-01 07:53:15



हिंदू सगंठनों ने ओवैसी के खिलाफ खोला मोर्चा, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प

दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के सदस्यों ने संसद में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जय फलस्तीन नारे को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान दोनों संगठनों के सदस्यों ने जमकर नारेबाजी की। बताया जा रहा है कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई है।

दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की थी। दोनों संगठनों के सदस्यों ने बैरिकेडिंग के ऊपर चढ़कर नारेबाजी की। उनके हाथों में ओवैसी की आपत्तिजनक तस्वीरें भी देखी गई हैं। 

दरअसल, 25 जून को संसद में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान तेलंगाना के हैदराबाद से एक बार फिर चुनकर सांसद बने असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में अपने शपथग्रहण से नए विवाद को जन्म दे दिया। ओवैसी ने शपथ लेने के आखिर में फलस्तीन के समर्थन में नारा लगाया। इसे लेकर सत्तापक्ष के सांसदों ने विरोध दर्ज कराया। बाद में सभापति ने इसे रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया। 

ओवैसी ने इस बयान को लेकर बाद में पत्रकारों से कहा कि जो मैंने कहा वो आपके सामने है। सब बोल रहे हैं। क्या नहीं बोले। ये किसके खिलाफ है आखिर। बताइए संविधान का कौन सा प्रोविजन है। जो लोग विरोध करते हैं, उनका काम ही वही है। छोड़िए, अब क्या कर सकते हैं।

गौरतलब है कि इस मामले को लेकर सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिकायत की गई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट हरिशंकर जैन ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ शिकायत की और उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की है।

अनुच्छेद 103 के तहत शिकायत दर्ज

एडवोकेट विनीत जिंदल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया है कि उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 103 के तहत राष्ट्रपति के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें विदेशी राज्य फिलिस्तीन के प्रति अपनी निष्ठा दिखाने के लिए ओवैसी को अनुच्छेद 102 (4) के तहत अयोग्य ठहराने की मांग की गई है।

संविधान के अनुच्छेद 102 में अयोग्य ठहराने की व्यवस्था

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों की अयोग्यता के नियम बताए गए हैं। अनुच्छेद 102 (डी) में कहा गया है कि अगर कोई सदस्य भारत का नागरिक होते हुए किसी विदेश राज्य के प्रति निष्ठा जताता है तो उसकी सदस्यता निरस्त की जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद 103 में बताया गया है कि यदि अनुच्छेद 102 के तहत कोई अयोग्य पाया जाता है, तो उस सांसद की सदस्यता पर अंतिम फैसला राष्ट्रपति लेंगे। संविधान के इसी नियम को लेकर भाजपा और अन्य ने ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग की है।

दूसरे देश के प्रति निष्ठा दिखाने पर जा सकती है सदस्यता

सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार दुबे बताते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत सदस्यों की अयोग्यता की कुछ शर्तें हैं। इसमें से एक शर्त यह भी है कि अगर संवैधानिक पद पर आसीन भारतीय नागरिक की भारत के अलावा किसी दूसरे देश के प्रति आस्था या विश्वास हो तो उस परिस्थिति में कोई सदस्य अयोग्य होता है। इसके अलावा लोकसभा सचिवालय के नियम के अनुसार शपथ का मजमून पहले से तय है। उसकी भाषाएं तो अलग-अलग हो सकती हैं पर प्रतिज्ञा का फॉर्मेट एक ही है, वह चाहे हिन्दी-अंग्रेजी या आठवीं अनुसूची में शामिल किसी अन्य भाषा में ही क्यों न हो। लेकिन कोई सदस्य अगर दूसरे देश के प्रति आस्था दिखाता है तो उसे स्पीकर अयोग्य घोषित कर सकते हैं।


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