1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए कानून, 5 लाख से ज्यादा अधिकारियों ने ली ट्रेनिंग
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-06-27 05:29:28
1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए कानून, 5 लाख से ज्यादा अधिकारियों ने ली ट्रेनिंग
देशभर की कानून प्रवर्तन एजेंसियां 1 जुलाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इस दिन भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू होंगे। देश भर में 5.65 लाख से अधिक पुलिस, जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन अधिकारियों को नए आपराधिक कानूनों को लेकर ट्रेनिंग दी गई है।
मामले से परिचित लोगों ने कहा कि नए कानून को लेकर विभिन्न मंत्रालयों द्वारा आयोजित किए गए वेबिनार में लगभग 40 लाख जमीनी स्तर के पदाधिकारियों ने भाग लिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नागरिक नए कानूनों और उनके जीवन पर उनके प्रभाव से पूरी तरह से अवगत हों।
36 सहायता दल और कॉल सेंटर बनाए गए
इसके अलावा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नई प्रणाली में निर्बाध ट्रांजिशन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है। ब्यूरो ने नए आपराधिक कानूनों को अमल में लाने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की निरंतर समीक्षा और सहायता के लिए 36 सहायता दल और कॉल सेंटर बनाए हैं।
साथ ही गृह मंत्रालय ने नए कानूनों के अधिसूचित होने के तुरंत बाद विभिन्न प्रक्रियाएं शुरू की हैं, ताकि नए कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके और पुलिस, जेल, अभियोजकों, न्यायिक, फोरेंसिक कर्मियों के साथ-साथ जनता सहित सभी हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा की जा सके।
अदालती कार्यवाही में टेक्नोलॉजी होगी यूज
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि नए आपराधिक कानून जांच, मुकदमे और अदालती कार्यवाही में टेक्नोलॉजी के उपयोग पर जोर देते हैं, इसलिए एनसीआरबी ने मौजूदा अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) एप्लिकेशन में 23 संशोधन किए हैं। यह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को नई प्रणाली में बिना किसी बाधा के ट्रांजिशन के लिए तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है।
अधिकारी ने बताया कि एनसीआरबी ने नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की निरंतर समीक्षा और सहायता के लिए 36 सहायता दल और कॉल सेंटर भी बनाए हैं। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने अपराध स्थलों, न्यायिक सुनवाई और इलेक्ट्रॉनिक रूप से अदालती समन की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सुविधा के लिए ई-सक्ष्य, न्यायश्रुति और ई-समन जैसे एप्लिकेशन विकसित किए हैं।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठकें
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने नए कानूनों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ नियमित बैठकें की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 1 जुलाई से नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए टेक्नोलॉजी, क्षमता निर्माण और जागरूकता पैदा करने के मामले में पूरी तरह से तैयार हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (BPR&D) ने ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित किए हैं और सभी हितधारकों के साथ इन्हे साझा किया गया है। इसने 250 ट्रेनिंग कोर्स /वेबिनार/सेमिनार भी आयोजित किए हैं, जिनमें 40,317 अधिकारियों/कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने कहा कि इसके तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने 5,84,174 व्यक्तियों की क्षमता निर्माण का कार्य भी किया है, जिसमें 5,65,746 पुलिस अधिकारी और जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन पक्ष के कर्मचारी शामिल हैं। iGOT- कर्मयोगी भारत और बीपीआरएंडडी भी नए आपराधिक कानूनों पर तीन-तीन ट्रेनिंग कोर्स चला रहे हैं, जिनमें अब तक 2,17,985 अधिकारी नामांकित हो चुके हैं।
वेबिनार के माध्यम से नए कानूनों का प्रचार
अधिकारी के अनुसार जनता में जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए, महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालयों ने वेबिनार के माध्यम से नए कानूनों का प्रचार-प्रसार किया है, जिसमें लगभग 40 लाख जमीनी स्तर के पदाधिकारियों ने भाग लिया है। उन्होंने कहा कि कानून विभाग ने राज्यों की राजधानियों में चार सम्मेलन भी आयोजित किए, जिनमें भारत के चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के जज और डोमेन विशेषज्ञों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
नए कानूनों की जानकारी छात्रों तक पहुंचाने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने 1,200 विश्वविद्यालयों, 40,000 कॉलेजों और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने लगभग 9,000 संस्थानों में सूचनात्मक फ़्लायर्स वितरित किए हैं। सार्वजनिक प्रसारक दूरदर्शन और आकाशवाणी ने भी नए कानूनों के महत्वपूर्ण प्रावधानों और लाभों को उजागर करने के लिए देश भर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए।
बता दें कि नए कानून भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इन्हें पिछले साल 11 अगस्त को संसद में पेश किया गया था और फिर संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया, जहां पैनल के कुछ सुझावों को शामिल करके 12 दिसंबर, 2023 को नए विधेयकों का एक सेट पेश किया गया, जिसके बाद दोनों सदनों में बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया।