मौत के बाद भी इन्तजार - वेतन के इंतजार में सेवानिवृत्ति से पहले ही चल बसा कर्मचारी दाऊ दयाल शर्मा


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-06-26 11:40:08



मौत के बाद भी इन्तजार - वेतन के इंतजार में सेवानिवृत्ति से पहले ही चल बसा कर्मचारी दाऊ दयाल शर्मा

हिंदी के साहित्यकार हरिशंकर परसाई की कहानी भोलाराम का जीव में भोलाराम को 5 साल से पेंशन का इंतजार था और वो इसी इंतजार में देह त्याग देता है। डीग जिला गांव सिकरोरी निवासी दाऊ दयाल शर्मा की कहानी भी कुछ इसी तरह की है। हिंदी साहित्य समिति में 35 साल तक सेवा देने वाले दाऊ दयाल शर्मा को बीते 5 साल से अपने वेतन का इंतजार था और इसी वेतन के इंतजार में शर्मा ने सेवानिवृत्ति से महज एक माह पहले देह त्याग दी। अब परिजनों को दाऊ दयाल शर्मा की मौत के बाद उनके वेतन के मिलने का इंतजार है।

दाऊ दयाल शर्मा की 2 जून 1989 को हिंदी साहित्य समिति भरतपुर में लिपिक के रूप में नौकरी लगी। शर्मा अन्य 5 कर्मचारियों के साथ यहां पूरे सम्मान के साथ नौकरी कर रहे थे। इनमें से चार कर्मचारी तो सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन वर्ष 2003 में यहां कार्यरत दाऊ दयाल शर्मा और लिपिक त्रिलोकीनाथ शर्मा का वेतन रोक दिया गया। दाऊ दयाल शर्मा और त्रिलोकी दोनों ने वेतन के लिए स्थानीय नेता, प्रशासन और राज्य सरकार तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। आखिर में दोनों कर्मचारी न्यायालय की शरण में चले गए।

वेतन के इंतजार में देहांत 

बेटे वासुदेव शर्मा ने बताया कि पिता दाऊ दयाल शर्मा 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन एक माह पूर्व 22 अप्रैल 2024 को उनका देहांत हो गया। दाऊ दयाल शर्मा को सितंबर 2019 से यानी करीब 5 साल से हिंदी साहित्य समिति से वेतन नहीं मिला था। दाऊ दयाल शर्मा तो वेतन के इंतजार में चल बसे, लेकिन त्रिलोकीनाथ शर्मा अभी भी वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दाऊ दयाल की मौत के बाद उनके परिजनों को भी उनके 5 साल के बकाया वेतन मिलने का इंतजार है।

1 करोड़ रुपए बकाया 

त्रिलोकी नाथ ने बताया कि लंबी लड़ाई के बाद मई 2003 से अगस्त 2019 तक का दोनों कर्मचारियों को वेतन मिल गया था, लेकिन सितंबर 2019 से अब तक त्रिलोकी नाथ और दाऊ दयाल को वेतन नहीं मिला। दोनों कर्मचारियों का करीब 1 करोड़ रुपए से अधिक का वेतन बकाया है। ऐसे में जनवरी में न्यायालय ने हिंदी साहित्य समिति की नीलामी के लिए नोटिस भी चस्पा कर दिया था, लेकिन अभी तक न तो त्रिलोकी नाथ को वेतन मिला है और न ही मृतक दाऊ दयाल के परिजनों को।

गौरतलब है कि हिंदी साहित्य समिति की स्थापना 13 अगस्त 1912 को हुई थी। जब दोनों कर्मचारी का बकाया वेतन का मामला न्यायालय में पहुंचा तो उसके बाद कांग्रेस सरकार ने हिंदी साहित्य समिति को अपने अधीन ले लिया था। कांग्रेस सरकार ने हिंदी साहित्य समिति के लिए 5 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा भी की थी, लेकिन वो भी नहीं मिला। अब मृतक दाऊ दयाल शर्मा के परिजनों और कर्मचारी त्रिलोकी नाथ शर्मा को नई सरकार से उम्मीद है।


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