संविधान पार्क की गड़बड़ियों पर राज्यपाल ने जताई नाराजगी, नहीं किया लोकर्पण, सुधारने के लिए 8 जुलाई तक का दिया अल्टीमेटम


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-06-22 04:01:03



संविधान पार्क की गड़बड़ियों पर राज्यपाल ने जताई नाराजगी, नहीं किया लोकर्पण, सुधारने के लिए 8 जुलाई तक का दिया अल्टीमेटम

जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का शुक्रवार को 20वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। राज्यपाल व कुलाधिपति कलराज मिश्र के आतिथ्य में समारोह में 71 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से नवाजा गया। इसमें 51 छात्राएं शामिल रहीं। छात्राओं के स्पर्धा में आगे आने को राज्यपाल ने देश और प्रदेश के लिए शुभ संकेत बताया। वहीं, समारोह को संबोधित करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि आज के दिन मेरा कुलपति से आग्रह है कि वे इस विश्वविद्यालय में योग पीठ की स्थापना करें, जिससे योग को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सिर्फ मेधावी छात्र ही तैयार नहीं करने चाहिए, बल्कि उन्हें छात्रों को एक बेहतर नागरिक भी बनाना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि केंद्र सरकार की ओर से जारी 100 करोड़ के अनुदान का व्यय विद्यार्थियों और विश्वविद्यालय के हितों पर किया जाएगा।

संविधान पार्क की गड़बड़ियों पर जताई नाराजगी 

राज्यपाल ने कहा कि संविधान में दिए गए अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य पर भी ध्यान देना होगा। उनकी पालना सभी को करनी होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए लगभग सभी विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क तैयार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जेएनवीयू में संविधान पार्क बन चुका है, लेकिन वो सही तरीके से नहीं बना है। इसमें बहुत सारी कमियां हैं। यह गतिविधियां खतरनाक है। दंडनीय भी हो सकती है। ऐसे में उनका आग्रह है कि 8 जुलाई तक वापस इसे सही तरीके से तैयार किया जाए, वो फिर यहां आएंगे और पार्क का लोकार्पण करेंगे।

नई नीति में शोध और अनुसंधान को महत्व 

कुलाधिपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति में शोध और अनुसंधान को महत्व दिया गया है। जिससे रोजगार परक शिक्षण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने जेएनवीयू की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि यहां नई शिक्षा नीति को पूरी तरह से लागू किया जा रहा है। यह कार्य अन्य विश्वविद्यालयों को भी करना चाहिए। उन्होंने आचार्यों से आग्रह किया कि वे शिक्षण के साथ ही छात्रों को नैतिक जीवन के भी गुर सिखाएं। उन्होंने कहा कि रोजगार परक शिक्षा के साथ हमारे संस्कार भी जुड़े रहने चाहिए, जिससे विद्यार्थी आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बन सकें।


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