गंगा दशहरा विशेष - राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में दिखा श्रृद्धालुओं का सैलाब, जगह-जगह धर्मिक अनुष्ठान


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा  2024-06-17 16:35:21



गंगा दशहरा विशेष - राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में दिखा श्रृद्धालुओं का सैलाब, जगह-जगह धर्मिक अनुष्ठान 

गंगा दशहरा, जिसे गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है, गंगा के अवतरण (अवतरण) का जश्न मनाने वाला एक हिंदू त्योहार है। हिंदुओं का मानना ​​है कि इस दिन पवित्र नदी गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी थी। गंगा दशहरा हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी ( 10वें दिन) को होता है। यह त्यौहार दस दिनों तक चलता है, जिसमें इस पवित्र दिन से पहले के नौ दिन भी शामिल हैं।

ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा या गंगा दशमी के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि पर मां गंगा की पूजा की जाती है और गंगा स्नान किया जाता है। 

गंगा दशहरा हिंदुओं द्वारा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में मनाया जाता है, जहां गंगा नदी बहती है। हरिद्वार, वाराणसी, गढ़मुक्तेश्वर, ऋषिकेश, इलाहाबाद और पटना समारोह के मुख्य स्थान हैं। जहां भक्त गंगा के तट पर इकट्ठा होते हैं और नदी में आरती करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने से भक्त शुद्धि की स्थिति में आते हैं और उनकी कोई भी शारीरिक बीमारी ठीक हो जाती है। संस्कृत में, दश का अर्थ है दस और हरा का अर्थ है नष्ट करना; इस प्रकार इन दस दिनों के दौरान नदी में स्नान करने से व्यक्ति को दस पापों या वैकल्पिक रूप से दस जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।

हरिद्वार - हरकी पैड़ी पर पैर रखने तक की जगह नहीं

गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी के पावन स्नान पर्व पर गंगा स्नान के लिए हरिद्वार में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों श्रद्धालु तड़के से ही हरकी पैड़ी पर जुटने लगे और गंगा स्नान व दान कर पुण्य कमाया। वहीं हरकी पैड़ी पर इतनी भीड़ उमड़ी कि पैर रखने तक की जगह नहीं है। तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने भी कनखल में गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान किया। 

हरिद्वार में मेला क्षेत्र को तीन सुपर जोन, 10 जोन और 26 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। साथ ही पूरे मेला क्षेत्र में पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई है। 

पुरोहितों का मानना है कि गंगा दशहरा का पर्व तब से शुरू हुआ जब से मां गंगा धरती पर अवतरित होकर हरिद्वार में आईं। इसी दिन गंगा पुत्र भीष्म का भी जन्मदिन होता है। मान्यता है कि इस दिन हरिद्वार हरकी पैड़ी में स्नान करने से 10 प्रकार के पापों का शमन होता है।

भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी कनखल हरिद्वार के प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि देवभूमि शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक दृष्टि से मोक्षदायिनी धरती है। गंगा दशहरा का महात्म्य 10 योग से भी जुड़ा है। इसी योगिनियों में मां गंगा का अवतरण हरिद्वार में हुआ।

इन योग की गणना ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, दिन बुधवार, हस्त नक्षत्र, कन्या राशि में चंद्रमा, वृष राशि में सूर्य, तातिल करण आदि से जोड़ा जाता है। इन 10 योग में इस बार गंगा दशहरा पर छह योग बन रहे हैं।

अमरोहा - तिगरी व ब्रजघाट में गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब

गंगा दशहरा पर तिगरी व ब्रजघाट में गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में स्नान कर पुण्य कमाया। उगते सूरज को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही सुख समृद्धि और परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखने की कामना करते हुए धार्मिक अनुष्ठान कराए।

पुरोहितों को दान दक्षिणा देकर तृप्त किया। गंगा तट हर हर गंगे के उदघोष से गूंज उठा। रविवार को ज्येष्ठ दशहरा पर ब्रजघाट व तिगरी गंगा में स्नान कर पुण्य कमाने की लालसा लिए श्रद्धालु तड़के ही गंगा तट पर पहुंच गए थे। सूर्योदय से पहले ही श्रृद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाना शुरू कर दिया।

श्रद्धालुओं की भीड़ इस कदर उमड़ी की सभी रिकॉर्ड टूट गए। तिगरी निवासी पंडित गंगा शरण शर्मा ने बताया कि ज्येष्ठ दशहरा पर बीते दस साल में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ कभी नहीं आई। तड़के तीन बजे से श्रद्धालुओं के स्नान का सिलसिला शुरू हो गया था। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने तिगरी व ब्रजघाट गंगा तट पर धार्मिक अनुष्ठान कराए। 

 

धौलपुर - तीर्थराज मचकुंड में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

राजस्थान के धौलपुर जिले में गंगा दशहरा के पर्व पर धार्मिक स्थलों पर आस्था का सैलाब उमड़ा। गंगा दशहरा का पर्व श्रद्धालुओं ने आस्था और श्रद्धापूर्वक मनाया। जिले के ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। श्रद्धालुओं ने सुबह से ही तीर्थराज मचकुंड के सरोवर पर आस्था पूर्वक स्नान किया। विधि विधान से पूजा-अर्चना कर दान पुण्य किया। तीर्थराज मचकुण्ड पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान की आरती उतारकर सुख समृद्धि एवं मोक्ष की कामना की।

तीर्थराज मचकुंड के महंत कृष्णदास ने बताया कि हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व होता है। गंगा दशहरा के दिन विधि विधान से मां गंगा की पूजा अर्चना की जाती है। हर साल जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक इस दिन मां गंगा मैया स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थीं। मां गंगा के आशीर्वाद से मानव जाति के समूचे पापों का विनाश होता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने संपूर्ण पापों का विनाश होता है

गंगा दशहरा के दिन शहर भर में श्रद्धालुओं में भारी आस्था और उमंग देखी गई। जिले भर के धार्मिक स्थलों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। सनातन धर्म के लोगों ने दान पुण्य कर पुण्य प्राप्त किया है। तीर्थराज मचकुंड पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखते हुए चौकी इंचार्ज कृष्णअवतार के नेतृत्व में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल तैनात किया गया।

फल सत्तू एवं धन के दान का विशेष महत्व

महंत कृष्णदास ने बताया गंगा दशहरा के दिन सनातन धर्म के लोगों को दान करना चाहिए। दान करने से परिवार में सुख समृद्धि एवं धन की वृद्धि होती है। उन्होंने बताया गंगा दशहरा के दिन फल, सत्तू एवं धन जरूरतमंद लोगों को अवश्य दान करना चाहिए। इसके अलावा वस्त्र भी दान कर सकते हैं। धार्मिक ग्रंथों में दान का विशेष महत्व बताया गया है। जरूरतमंद और अभावग्रस्त लोगों को ध्यान करने से मां गंगा मैया प्रसन्न होती हैं। मानव के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।


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