स्वच्छ परियोजना में खुला भ्रष्टाचार: 10 लाख से ज्यादा के बैग खरीदे, मामला खुला तो वर्क ऑर्डर किया निरस्त


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा  2024-06-16 12:37:52



स्वच्छ परियोजना में खुला भ्रष्टाचार: 10 लाख से ज्यादा के बैग खरीदे, मामला खुला तो वर्क ऑर्डर किया निरस्त

जनजाति विभाग के तहत संचालित स्वच्छ परियोजना में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। बिना सक्षम अधिकारी की स्वीकृत के यहां पर 2344 बैग 465 रुपए की दर से 10 लाख 89 हजार 960 रुपए में खरीद लिए गए। इस मामले में परियोजना निदेशक को नोटिस देकर 7 दिन में जवाब मांगा है। स्वच्छ परियोजना के कार्यवाहक परियोजना अधिकारी पुनीत रावल का कहना है कि फर्म को भुगतान नहीं किया गया है और टेंडर भी निरस्त कर दिया गया है।

ईटीवी भारत की रिपोर्ट के अनुसार बैग की डिलीवरी स्वच्छ परियोजना को 12 मई को मिली। जबकि बिल कार्यालय में 31 मार्च को ही पहुंच गया था। मामला सामने आने के बाद परियोजना अधिकारी ने वर्क ऑडर निरस्त कर दिया है। हालांकि इससे पहले ही संबंधित फर्म बैग बिकवाली पर लगने वाला जीएसटी जमा कर चुकी थी। इसलिए उसने बैग वापस लेने से इंकार कर दिया है। अब इस मामले में परियोजना निदेशक को नोटिस देकर 7 दिन में जवाब मांगा गया है।

रिपोर्ट के अनुसार स्वच्छ परियोजना निदेशक प्रभा गौतम ने उदयपुर से बांसवाड़ा स्वच्छ परियोजना कार्यालय में कार्यवाहक परियोजना अधिकारी पुनीत रावल के नाम 12 जून को नोटिस जारी किया। इसका कुल 10 बिंदुओं पर 7 दिन में जवाब मांगा गया है। इस नोटिस में कहा गया है कि कार्यवाहक परियोजना अधिकारी ने बिना निदेशालय की अनुमति के आचार संहिता में ही कुल 2344 बैग प्रति 465 रुपए की दर से 10 लाख 89 हजार 960 में खरीदे हैं। इसके साथ ही आचार संहिता में प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन कराया है। इसके साथ ही यह भी उल्लेख किया है कि प्रशिक्षण में भी करीब 30 हजार रुपए कीमत के पैन, डायरी और फोल्डर भी क्रय किए गए हैं। निदेशक ने पत्र में लिखा है कि कार्यालय में खुला भ्रष्टाचार हो रहा है।

13 ब्लॉक में टेंट बिल में गड़बड़ 

रिपोर्ट के अनुसार परियोजना में बांसवाडा जिले के सभी 13 ब्लॉक में प्रशिक्षण आयोजित किए गए। इसके लिए परियोजना की तय टेंट फर्म से बिल लिए गए। जबकि काम लॉकल स्तर पर करवाया गया। इसमें प्रति कार्यक्रम करीब 6000 रुपए के भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई है। इस तरह से हजारों का घपला हुआ बताया गया है।

बिना स्वीकृत संविदा पर रखा 

रिपोर्ट के अनुसार बीते दिनों में कार्यालय में एक मल्टी टेलेंट सर्विस पद पर एक कर्मचारी को लगाया गया है। इसको निदेशालय ने गलत माना है। इस मामले में लिखा है कि बिना निदेशालय की स्वीकृति के किसी को काम पर नहीं लगाया जा सकता है। कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों को लेकर बताया गया है कि यहां पर माहौल ठीक नहीं है। कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। कई कर्मचारियों को हटाने के लिए भी धमकाया जा रहा है।

भुगतान नहीं, टेंडर निरस्त 

रिपोर्ट के अनुसार स्वच्छ परियोजना, कार्यवाहक परियोजना अधिकारी पुनीत रावल का कहना है कि हमने भुगतान नहीं किया है। टेंडर भी निरस्त कर दिया है। बैग गोदाम में पड़े हैं। संबंधित फर्म को वापस करने के लिए लिख दिया है। वैसे बैग तो पहले भी खरीदे गए हैं, इसमें से 100 से ज्यादा बैग अभी रखे हैं। निदेशक ने जो भी नोटिस दिया है उसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट समय पर भेज दी जाएगी।

नोटिस से आए जवाब के बाद कार्रवाई 

रिपोर्ट के अनुसार निदेशक प्रभा गौतम ने बताया कि इस मामले में प्रोजेक्ट मैनेजर ज्यादा जानकारी दे सकते हैं। वहीं मैनेजर अरुण जोशी ने बताया कि निदेशक ही इस मामले में जानकारी दे सकती हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बांसवाड़ा विधायक अर्जुन सिंह बामनिया की ओर से इस मामले में निदेशक को बीते दिनों सभी तथ्यों का उल्लेख करते हुए एक पत्र लिखा था। इसके बाद निदेशालय की नींद उड़ी। साथ में अब निदेशालय स्तर से इस मामले को छिपाने की कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि इससे पहले बांसवाड़ा विधायक इस महकमे के मंत्री हुआ करते थे।


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