अपनी पसंद से किसी के साथ जिंदगी बिताना या शादी करना मूल अधिकार का हिस्सा : इलाहाबाद हाईकोर्ट


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा  2024-06-13 06:58:15



अपनी पसंद से किसी के साथ जिंदगी बिताना या शादी करना मूल अधिकार का हिस्सा : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि बालिग को बिना शादी किए अपनी पसंद से किसी के साथ रहने या शादी करने से कोई रोक नहीं सकता है। हाईकोर्ट ने मामले में वयस्क याचियों के खिलाफ अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर रद्द कर दी। कोर्ट ने एसपी व एसएचओ को याची को जहां चाहे जाने देने व उनकी सुरक्षा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह उसका अनुच्छेद 21के अंतर्गत मिले जीवन का मूल अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अलग मत होने के कारण किसी भी नागरिक को दूसरे की हत्या करने का अधिकार नहीं है।  

हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य का दायित्व है कि मानव जीवन की रक्षा करे। कोर्ट ने उस मजिस्ट्रेट की आलोचना की है जिसके सामने वयस्क लड़की ने अपने चाचा व परिवार से जान का खतरा बताया और मजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज कराने के बजाय उन्हीं लोगों को लड़की की अभिरक्षा सौंप दी, जिनसे उसने जीवन को खतरा बताया था। कोर्ट ने कहा कि आनर किलिंग की घटनाओं से कोई अनजान नहीं है। इसलिए मानव जीवन बचाना महत्वपूर्ण है।

कार्रवाई न करने के लिए SP-SHO जवाबदेह 

कोर्ट ने कहा कि किसी वयस्क को दूसरे की अभिरक्षा में सौंपा नहीं जा सकता और उसकी मर्जी के खिलाफ किसी के साथ उसे रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि लड़की के मजिस्ट्रेट के समक्ष जीवन को खतरे के बयान के बाद आरोपी पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा एसपी सिद्धार्थनगर व एसएचओ बांसी कोई कार्रवाई न करने के लिए समान रूप से जवाबदेह हैं। उन्होंने याची को किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं दी।

कोर्ट ने याचियों के खिलाफ बांसी थाने में चाचा मोहम्मद जहीर द्वारा दर्ज कराई एफआईआर रद्द कर दी है। साथ ही पुलिस अधिकारियों को आदेश दिया है कि याची जहां चाहे जा सकती है। उसके चाचा या परिवार वाले उसे कोई नुकसान न पहुंचाने पाएं। अन्यथा वे कोर्ट के प्रति जवाबदेह होंगे। 

दरअसल, याची नाजिया अंसारी व हिदायत ने हाई कोर्ट में याचिका पेश की थी। याची का कहना था कि उसकी आयु 21 वर्ष है और वह बालिग है। उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा और हैदराबाद में 17 अप्रैल 24 को  मुस्लिम रीति से शादी की है। तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड के सीईओ ने शादी का प्रमाणपत्र भी दिया है। इसके बावजूद चाचा द्वारा अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर के तहत पुलिस ने याची के पति को गिरफ्तार कर लिया और याची को अवैध अभिरक्षा में ले लिया। मजिस्ट्रेट के आदेश से उसे उसकी मर्जी के खिलाफ उसके चाचा को सौंप दिया गया, जिससे उसने हत्या की उसने आशंका जताई थी। 

मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि चाचा को एफआईआर दर्ज कराने या धमकाने का अधिकार नहीं था। ऐसी एफआईआर अवैध व अधिकारातीत है। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर माना है। जस्टिस जे जे मुनीर और जस्टिस  अरुण कुमार सिंह देशवाल की डिवीजन बेंच ने आदेश दिया है।


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