ग्रीनलैंड की बर्फ में पहली बार मिले विशाल वायरस जो बर्फ़ पर जीवित और सक्रिय हैं
के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा 2024-06-11 07:46:55
ग्रीनलैंड की बर्फ में पहली बार मिले विशाल वायरस जो बर्फ़ पर जीवित और सक्रिय हैं
वैज्ञानिकों को पहली बार ग्रीनलैंड में जमा बर्फ में विशाल (जायंट) वायरसों की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। यह वायरस आकार में बैक्टीरिया से भी बड़े हैं। हालांकि, इसके बावजूद इन विषाणुओं को माइक्रोस्कोप की मदद के बिना नहीं देखा जा सकता। इनके बारे में एक और चिंताजनक बात यह है कि ये वायरस न केवल ज्यादा बड़े होते हैं, बल्कि वातावरण में लंबे समय तक जीवित रहने की इनकी क्षमता भी बहुत अधिक होती है।
शोधकर्ता लॉरा पेरीनी के मुताबिक इसमें सामान्य वायरस की तुलना में बहुत बड़ा जीनोम अनुक्रम होता है। ऐसा वायरस पहली बार 1981 में समुद्र में खोजा गया था। वे आमतौर पर समुद्र में शैवाल को संक्रमित करते हैं। लेकिन यह पहली बार है कि इस तरह की जगह पर विशाल वायरस खोजा गया है। शोधकर्ता फिलहाल इसे एक बुरी खबर नहीं मान रहे हैं। उनका मानना है कि विशाल वायरस किसी प्रकार के गुप्त हथियार के रूप में कार्य कर सकते हैं और बर्फ के पिघलने को कम कर सकते हैं। इससे जुड़ी स्टडी माइक्रोबायोम जर्नल में प्रकाशित की गई है।
बर्फ पिघलने को रोक सकता है?
लॉरा पेरीनी के अनुसार हम वायरस के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते, लेकिन मुझे लगता है कि वे शैवाल खिलने के कारण पिघलने वाली बर्फ को कम करने के तरीके में काम आ सकते हैं। यह कितने विशिष्ट हैं और यह कितना कुशल होगा, हम अभी तक नहीं जानते हैं। लेकिन हमें उनके कुछ सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है। टीम ने बर्फ की चादरों से नमूने इकट्ठे किए, जिनमें गहरे बर्फ के टुकड़े, लाल और हरी बर्फ शामिल थे। डीएनए के विश्लेषण के बाद शोधकर्ताओं को ज्ञात विशाल वायरस से मेल खाने वाले अनुक्रम मिले।
इन्हें जायंट वायरस क्यों कहा गया?
आमतौर पर वायरस, बैक्टीरिया से बहुत छोटे होते हैं। एक सामान्य वायरस का आकार 20 से 200 नैनोमीटर के बीच होता है, जबकि दूसरी तरफ एक आम बैक्टीरिया आकार में करीब दो से तीन माइक्रोमीटर के बीच होता है। सरल शब्दों में कहें तो एक वायरस आकार में बैक्टीरिया से करीब 1,000 गुना छोटा होता है। वहीं दूसरी तरफ विशाल वायरस इससे बिलकुल अलग होते हैं। एक विशाल (जायंट) वायरस ढाई माइक्रोमीटर तक बड़े हो सकते हैं, जोकि आकार में अधिकांश बैक्टीरिया से बड़े होते हैं।
यह वायरस न केवल आकार में बड़े होते हैं साथ ही इनके जीनोम भी सामान्य वायरसों से बेहद बड़ा होता है। उदाहरण के लिए, बैक्टीरिया को संक्रमित करने वाले वायरस, जिन्हें बैक्टीरियोफेज कहा जाता है, उनके जीनोम में करीब एक से दो लाख जेनेटिक अक्षर होते हैं। एक सामान्य फ्लू वायरस में 15000 जेनेटिक अक्षर होते हैं। इसके विपरीत, इन विशाल वायरसों के जीनोम में करीब 25,00,000 जेनेटिक अक्षर होते हैं। वहीं यदि इंसानों की बात करें तो उनके जीनोम में करीब 300 करोड़ जेनेटिक अक्षर मौजूद होते हैं।
शोध में क्या सामने आया?
इन विशाल वायरसों को पहली बार 1981 में देखा गया था, जब वैज्ञानिकों को इनकी समुद्र में मौजूदगी का पता चला था। उसके बाद से लगातार इन पर शोध की गई। शोध में सामने आया है कि ये वायरस समुद्र में हरे शैवाल को संक्रमित करने में माहिर हैं। बाद में इन्हें जमीन, मिट्टी और यहां तक की मनुष्यों में भी खोजा गया था। शोधकर्ताओं के अनुसार, इनके केंद्र में डीएनए का एक समूह होता है। इस डीएनए में प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक सभी आनुवंशिक जानकारी या नुस्खे होते हैं जो अधिकतर वायरस में काम करते हैं, लेकिन इन नुस्खों का उपयोग करने के लिए वायरस के डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए को सिंगल-स्ट्रैंडेड एमआरएनए में बदलने की आवश्यकता होती है। सामान्य वायरस ऐसा नहीं कर सकते। इसके बजाय उनके पास आरएनए के स्ट्रैंड होते हैं, जो वायरस से कोशिका को संक्रमित करने और उसकी मशीनरी पर कब्जा करने के बाद सक्रिय होने की प्रतीक्षा करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ विशाल वायरस स्वयं ऐसा कर सकते हैं जो उन्हें सामान्य वायरस से बहुत अलग बनाता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, चूंकि ये विशाल वायरस अपेक्षाकृत नई खोज है, ऐसे में इनके बारे में ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। ज्यादातर वायरसों से इतर इनके पास कई सक्रिय जीन होते हैं जो उन्हें डीएनए की मरम्मत करने के साथ-साथ प्रतिकृति तैयार करने और उनका उपयोग करने की अनुमति देते हैं। उनके पास ये जीन क्यों हैं और वे उनका उपयोग कैसे करते हैं यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इन वायरस की खोज के लिए शोधकर्ताओं ने नमूनों में सभी डीएनए का विश्लेषण किया। इसमें से उन विशिष्ट जीन की पहचान की जो अब तक ज्ञात विशाल वायरसों के सीक्वेंस से मेल खाते हैं।
शोध के अनुसार विशिष्ट मार्कर जीन की तलाश में इस विशाल डेटासेट को छानने से, ऐसे अनुक्रम मिले जो ज्ञात विशाल वायरस से बहुत मिलते-जुलते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वायरल डीएनए लंबे समय से मृत सूक्ष्मजीवों से नहीं आया है, बल्कि जीवित और सक्रिय वायरस से आया है, उन्होंने नमूने से सभी एमआरएनए भी निकाले। वायरस बर्फ़ पर जीवित और सक्रिय हैं।