साड़ी हमारे संस्कारों का भी प्रतीक है, जिसे हमें अगले पीढ़ी तक लेकर जाना है : ममता मोदानी


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा  2024-06-09 04:58:44



साड़ी हमारे संस्कारों का भी प्रतीक है, जिसे हमें अगले पीढ़ी तक लेकर जाना है : ममता मोदानी

♦ नगर माहेश्वरी संस्थान द्वारा साड़ी वोकेथान”’ का आयोजन, मातृ शक्ति ने लिया भाग

भीलवाड़ा (पंकज पोरवाल)। माहेश्वरी वंशोत्पत्ति पर्व महेश नवमी के उपलक्ष में अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन के निदेशानुसार अष्टसिद्धा व अध्यात्म समिति के तहत, नगर माहेश्वरी संस्थान अध्यक्ष डॉ. सुमन सोनी व सचिव सोनल माहेश्वरी के नेतृत्व मे साड़ी वॉकेथान का आयोजन किया गया। गाजे बाजे के साथ यह साड़ी वॉकथॉन मेन मार्केट बालाजी मंदिर में पहुंची। 

यह एक राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम था जिसे सभी प्रदेश एवं जिलो मे माहेश्वरी महिला मंडल द्वारा एक साथ शनिवार को आयोजित किया गया। आइए, संस्कृति का सम्मान करें, साड़ी अपनाकर नारी का मान बढ़ाएं को चरितार्थ करते हुए सेकडों महिलाओ ने साडी पहनकर इस आयोजन मे भाग लिया। 

महिला रेली को मुख्य अतिथी अखिल भारतीय माहेश्वरी महिला संगठन की संगठन मंत्री श्रीमति ममता मोदानी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रेली को सम्बोधित करते हुए श्रीमति मोदानी ने कहा की साड़ी भारतीयता की पहचान है और हमें इसे भूलना नहीं चाहिए। साड़ी हमारे संस्कारों का भी प्रतीक है, जिसे हमें अगले पीढ़ी तक लेकर जाना है। 

इस दौरान अतिथी के रूप मे प्रदेश महिला अध्यक्ष सीमा कोगटा, भाग्यश्री चांडक, भारती बाहेती उपस्थित रही। नगर माहेश्वरी संस्थान की अध्यक्ष डॉ. सुमन सोनी ने कहा कि अपनी परंपरा को पुनः स्थापित करने और साड़ी को आधुनिकता की पहचान दिलाने के उद्देश्य से साड़ी वाकेथान का आयोजन किया गया। साड़ी हमारा गरिमामय परिधान है और हमारी परंपरा है। 

संस्थान की सचिव सोनल माहेश्वरी ने बताया कि सभी माहेश्वरी महिलाओं ने केसरिया पीली साड़ी और लाल रंग के बंधेज दुपट्टे में रेलवे स्टेशन से लेकर बालाजी मंदिर तक मार्च पास्ट किया। इस कार्यक्रम की प्रभारी वीणा मोदी, अनीता सोमानी, विनीता तापडिया और रिंकु बाहेती थीं। सभी महिलाओं ने तीन-तीन की पंक्ति में अनुशासित रूप से भाग लिया। इस आयोजन ने न केवल साड़ी की महत्ता को प्रदर्शित किया बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को भी पुनर्जीवित करने का संदेश दिया। इस पहल को आगे बढ़ाएं और साड़ी को हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बनाकर अपनी संस्कृति और परंपराओं को संजोएं रखें का सन्देश इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य रहा।


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