राजस्थान में खेजड़ी सरंक्षण का सबसे बड़ा अभियान चलेगा, एक लाख पौधे बांटे जाएंगे


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा  2024-06-04 18:01:21



राजस्थान में खेजड़ी सरंक्षण का सबसे बड़ा अभियान चलेगा, एक लाख पौधे बांटे जाएंगे

राजस्थान में सौर उर्जा प्लांट्स के विस्तार से प्रदेश के राज्य वृक्ष खेजड़ी की अंधाधुंध कटाई हो रही है। इसे संरक्षण देने के लिए गहरी फाउंडेशन ने सबसे बड़ी पहल की है। जोधपुर के पास मियासनी गांव में तीन बीघा जमीन पर बकायदा खेजड़ी के लिए नर्सरी स्थापित की है। यहां एक लाख खेजड़ियां तैयार हो रही हैं। 

फाउंडेशन के सीईओ बलदेव गौरा ने बताया कि 31 अक्टूबर को खेजड़ी दिवस से इनका वितरण शुरू करेंगे। पंचायतों में खेजड़ी उद्यान भी स्थापित करेंगे। उन्होंने बताया कि बारिश में खेजड़ी के पौधों की कलम लगाई जाएगी। इससे खेजड़ियां थार की शोभा बढ़ाएंगी। कलम लगाने के बाद एक साल में खेजड़ी काफी बड़ी हो जाएगी। दो साल बाद सांगरी देने लगेगी। उन्होंने बताया कि इन दिनों में चल रही हीट वेव में एक मात्र खेजड़ी का पेड़ है जो जीवित है। यह पेड़ बिना बारिश के भी हरा रहता है। यह दर्शाता है कि यह पेड़ थार के लिए कितना जरूरी है।

एक रुपए प्रतिदिन की स्पॉन्सरशिप जनता से 

गोरा ने बताया कि तरशोभा खेजड़ी को घरों में भी लगाया जा सकता है। इसमें कांटे नहीं होते हैं। खेजड़ी सहेजो अभियान के तहत परिवार के विशेष दिन जैसे किसी का जन्म दिवस या वैवाहिक वर्षगांठ पर खेजड़ी के पेड़ लगवाए जा रहे हैं। गौरा ने बताया कि लोगों में खेजड़ी के प्रति जुड़ाव हो, इसके लिए एक रुपए प्रतिदिन की स्पॉन्सरशिप के साथ हम खेजड़ी की देख-रेख करेंगे। जो व्यक्ति इसके लिए स्पॉन्सरशिप देगा, उसके नाम का टैग खेजड़ी पर लगेगा। लोग जाकर देख सकेंगे कि पेड़ की स्थिति क्या है। इसकी पूरी देख-रेख हमारा फाउंडेशन करेगा।

लंबी उम्र है खेजड़ी की 

देशी खेजड़ी खेतों में बड़ी संख्या में पाई जाती है। यह लंबा जीवित रहने वाला पेड़ है। इसकी उम्र 50 साल से ज्यादा होती है। हर साल फल के रूप में सांगरी देता है। इसे सुखाने के बाद सांगरी काफी महंगी बिकती है। इसके पेड़ के सूखे हुए पत्ते पशुओं के पौष्टिक चारे के रूप में काम आते हैं। कहा जाता है कि खेजड़ी से किसान अपना परिवार पाल सकता है। इस वृक्ष ने नीचे की जमीन काफी उपजाऊ होती है।

सोलर प्लांट ने जमीदोंज कर दी हजारों खेजड़ियां 

जोधपुर और फलोदी जिले में दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर पार्क विकसित हुआ है। यहां पर 18 कंपनियों के दर्जनों प्लांट लगे हुए हैं। इनका क्षेत्रफल करीब 14 हजार हेक्टेयर है, जो 50 वर्ग किमी के बराबर है। इसमें सबसे बड़ा अडानी ग्रुप का प्लांट है। इस क्षेत्र में लगातार काम चल रहा है। यहां पर सरकार की जमीन के साथ-साथ किसानों ने भी अपनी जमीनें लीज पर दी हैं। इन जमीनों पर लगे खेजड़ी व अन्य पेड़ों को काटा गया है।

चार दशक पहले मिला राज्य वृक्ष का दर्जा 

खेजड़ी को राज्य सरकार ने चार दशक पहले 1983 में राज्य वृक्ष का दर्जा दिया था, लेकिन उसके बावजूद भी इसके संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए गए। खेजड़ी ज्यादातर खेतों में ही पाई जाती है। इसलिए सरकार ने इसे भी टेनेंसी एक्ट के भरोसे छोड़ दिया। राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 की धारा 80 से 86 तक में खेतों में मौजूद वृक्षों को लेकर प्रावधान किए गए हैं। इसमें वृक्ष काटने पर सिर्फ 100 रुपए का जुर्माना है। दोबारा काटने पर 200 सौ रुपए का अधिकतम जुर्माना है। इसमें बरसों बाद भी बदलाव नहीं हुआ है। अब इसे काटने के लिए प्रशासनिक अनुमति जरूरी की है, लेकिन पालना नहीं हो रही है।


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