बस अब चार जून में कुछ ही दिन शेष हैं। चार जून को दुनिया जान जायेगी कि अब देश में ख़ुशहाली और समृद्धि का नया दौर शुरू होगा। वो सुबह आई समझो


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा  2024-05-27 12:17:14



लो वो सुबह लो आ गई। 

बस अब चार जून में कुछ ही दिन शेष हैं। चार जून को दुनिया जान जायेगी कि अब देश में ख़ुशहाली और समृद्धि का नया दौर शुरू होगा। वो सुबह आई समझो। बहुत बोलने वाले नेता घर बैठ जाएँगे। और काम करने वाले नेता आगे आयेगे। क्योंकि जनता ने इस बार बखूबी ऐसे नेताओ को वोट दिए हैं जो जनता के दर्द को समझ सके , महसूस कर सके। परिवर्तन का युग आने  को अब कोई रोक नहीं सकता।  वैसे तो नई सुबह आने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं देश में कुछ नया  होने भी लग गया  है। मसलन कश्मीर में ३७० धारा का हटना, राम मन्दिर का निर्माण , तीन बार तलाक़ बोलने का ख़ात्मा, भृष्ट लोगो का चेहरा लोगो को दिखाना , मुख्य मन्त्री तक को जेल की हवा खिलाना, निकम्मे और नकारा अधिकारियों और कर्मचारियों को घर बैठाया जा रहा हैं , और भी बहुत कुछ। अब राजस्थान में  भी थोड़ा  इसका टेलर देखिए—  पहले अपने बीकानेर नगर का। गर्मी में अपने कमरों में एसी में बैठने वाले अधिकारी पहले अपने कमरों से कभी बाहर नहीं निकलते थे। इस बार तो कलक्टर, एस पी, और सम्भागीय आयुक्त भयकर गर्मी में अपने अपने क्षेत्रों में रोज़ाना किसी न किसी दफ़्तर का निरीक्षण कर रहे हैं अनुपस्थित कर्मचारियों को नोटिस थमा रहे हैं और सम्बन्धित अधिकारियों को व्यवस्था सुधारने के निर्देश दे रहे हैं।  गावो कॉ दौरा कर रहें हैं। पीबीएम अस्पताल का भी बार- बार निरीक्षण हो रहा हैं। बरसों से जमी अव्यवस्था जनता के सामने आ रही हैं। इधर हमारे नगर विधायक जेठानन्द व्यास भी काफ़ी सक्रिय हैं। वे भी जनता से जुड़े विभागों का निरीक्षण कर  , बार बार पीबी एम अस्पताल का निरीक्षण कर सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं कि वे अब पुराना रवैया बदले और जनता के काम करे। उन्होंने तो जन सुनवाई का एक कार्यालय भी स्थापित किया हैं। जहाँ वह अधिकारियों को बुलाकर जनता की समस्या समाधान के लिए निर्देश देते हैं। लेकिन हमारी दूसरी विधायिका सिद्धि कुमारी महलों से  कुछ कम ही बाहर निकल पा रही हैं उनके क्षेत्र की समस्याएँ मुँह बाये खड़ी हैं। मसलन टूटी हुई सड़के, सड़को पर बहता गंदा पानी, अतिक्रमणों की भरमार, अवैध निर्माण, और हवा, रोशनी को रोकने वाली  बिना इजाज़त बनने वाली बहुमंज़िला इमारतें, जिन्होंने आस- पास के लोगो का जीवन दुशवार कर रखा है। लेकिन विधायिका महोदया को इनसे कोई सरोकार नहीं। ख़ैर रेल फाटको की समस्या, बार बार जाम होते मार्ग, दुशवार यातायात , और भी अनगिनत समस्यायें हैं। जिस पर विधायिका महोदया को ग़ौर करना हैं।  वैसे उन्होंने भी पानी आपूर्ति के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये हैं। अखबारो में  भी अब रोज़ाना अधिकारियों की सक्रियता के समाचार छपते हैं। सीएमएचओ ने हज़ारो लीटर मिलावटी दूध, पनीर , मावा, मिठाई , तेल, घी मिर्च- मसाले फिंकवाये। क्योंकि वे सब मिलावटी थे। फिंकवाने के बाद क्या शहर में सब कुछ शुद्ध मिलने लग गया ? नहीं। फिर कुछ दिनों बाद वहीं ढ़रा  शुरू हो जाता हैं। ऐसे मिलावटी लोगो को जेल के सींकचों में बन्द क्यों नहीं किया जाता? जो लोगो के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं। क़ानून का डर इन्हें बताया जाना चाहिए। समय पर न आने, जल्दी दफ़्तर से जाने, अनुपस्थित रहने वालो को नौकरी से निकालने का भय होना चाहिए। सिर्फ़ इन्हें नोटिस देने से काम नहीं चलने वाला।  क़ानून सख़्त हो, क़ानून का भय रहे , अपराधी अपराध करने से पहले काँपे , थड़थड़ाये और अपराध न कर पाये। दुष्कर्म करने वाले, भृष्टाचार करने वाले फाँसी पर चढ़े। ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये। सच बात तो यह है कि हमारे यहाँ क़ानून का भय नहीं रहा। पहुँच वाले लोग क़ानून को अपनी जेब में रखते हैं। ख़ैर यह राहत टेलर  हैं पिक्चर अभी बाक़ी है।  ४ जून के बाद नयी  सुबह होगी सरकार  नयी होगी और वो कुछ नया देंगी , इन्ही उम्मीदों के साथ। ——— मनोहर चावला

पूर्व pro बीकानेर 


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