आँखें खुली, कान खुले, मुंह बंद और कलम स्वतंत्र - डॉ.प्रदीप श्रीवास्तव


के कुमार आहूजा, कान्ता आहूजा  2024-05-26 10:18:17



आँखें खुली, कान खुले, मुंह बंद और कलम स्वतंत्र - डॉ.प्रदीप श्रीवास्तव

नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित ऑनलाइन पत्रकारिता प्रशिक्षण का छठा दिन

नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा मगध समाज कल्याण प्रतिष्ठान के सहयोग से आयोजित ऑनलाइन मुफ्त पत्रकारिता प्रशिक्षण के छठे दिन आज ब्यूरो की ओर से नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के महासचिव कुमुद रंजन सिंह बिहार से, सुश्री गीता कौर उत्तराखंड से, श्रीमती सुप्रिया सिंह झारखण्ड से पटल पर उपस्थित रहे। देश के तकरीबन 11 राज्यों से प्रशिक्षणार्थी पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु पटल पर एक साथ उपस्थित हुए।

 

मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रणाम पर्यटन के संपादक, लखनऊ के डॉ0 प्रदीप श्रीवास्तव व पत्रकार मनोज कुमार वेदी नालंदा बिहार से अपने वक्तव्य के लिए उपस्थित रहे। प्रशिक्षणार्थियों ने दोनों पत्रकारों के अनुभव और ज्ञान से बहुत कुछ सीखा। पत्रकारों को खोजी पत्रकारिता एवं इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता के विषय में क्रमशः दोनों वक्ताओं ने जानकारी दी। उन्होंने अपने समय के उदाहरणों से भी प्रशिक्षणारियों को सिखाया। पत्रकारिता के बदले मापदंडों पर चर्चा की गई। विषय की गहराई में जाने पर बल दिया। हर विषय को पढें, बंधन से बंधकर न पढ़ें, सीखने की ललक होनी चाहिए, फील्ड में काम करें इत्यादि उन्होंने सुझाव प्रशिक्षणार्थीयों को दिये। समकालीन पत्रकारों को सिखाने और बताने के लिए उनके पास बहुत कुछ था।

डॉ प्रदीप श्रीवास्तव जी ने खोजी पत्रकारिता को महत्व देते हुए कहा कि पत्रकार को सही सूचना प्राप्त करने के लिए गूगल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पढ़ने या देखने से ज्यादा फील्ड सर्वे पर काम करना चाहिए। जिससे अपनी आंखों देखी और सुनी घटना को सही अंजाम दिया जा सके। ऐसा करने से फेक न्यूज़ से बचा जा सकता है और कुछ नया सीखने का अनुभव प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि इंटरनेट की लोकप्रियता बढ़ाने के साथ-साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में खोजी पत्रिका का महत्व काम होता जा रहा है जिससे नए पत्रकार खबरों का गंभीर विषय ना लेकर सही परिणाम तक नहीं पहुंच पाए इसलिए पत्रकारों को खोजी पत्रकारिता पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इसे गहराइयों से छानबीन करके ऐसी सूचना और तथ्यों को सामने लाया जाता है जिन सूचनाओं को छुपाने और दबाने की कोशिश की जाती है। अंग्रेजी भाषा में इसे स्ट्रिंग ऑपरेशन कहा जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि एक पत्रकार को ईमानदारी और निष्ठा के साथ ही अपने काम को करना चाहिए। किसी एक विषय पर लिखने की बजाय हर क्षेत्र के विषयों पर जैसे की लाइफस्टाइल, खेलकूद सेहत संबंधी, शिक्षा, वस्त्र, फिटनेस, सामाजिक धार्मिक और ऐतिहासिक आदि पर पूर्ण रूप से सूचना को छानबीन कर ही प्रकाशित करना चाहिए।

डॉ0 प्रदीप श्रीवास्तव मूल निवासी अयोध्या के हैं तो अयोध्या को राम मंदिर के नाम पर पर्यटन स्थल बना देने पर बहुत विचलित थे। किस तरह अयोध्या वासी इस समय परेशान हैं, वो परेशानी उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों के सामने रखी। खोजी पत्रकारिता के बारे मे उनका कहना था कि सही खबर को सही दृष्टिकोण से आम पाठक तक पहुंचाना ही आदर्श होना चाहिए। खबर सच्ची और गंभीर हो और पाठक तक निष्कपट पहुंचाने का प्रयास करें। उन्होंने प्रशिक्षणार्थीयों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये। अपने समय की खोजी पत्रकारिता के कई उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किए। रिसर्च, शोध कार्य एवं खोजी पत्रकारिता का अंतर उन्होंने समझाया। 

नालंदा न्यूज नामक चैनल से टीवी पत्रकारिता के जनक मनोज कुमार बेदी आज के दूसरे मुख्य वक्ता रहे। मनोज कुमार बेदी जी ने प्रिंट मीडिया के विपरीत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बारे में व्याख्यान दिया। यहां मास मीडिया का वह रूप है जिसमें लिखी गई सूचना या खबरों को ऑडियो- वीडियो के जरिए टीवी रेडियो इंटरनेट पर  दर्शाया जाता है। इसमें लोग किसी भी एक खबर को एक ही समय पर सुन सकते हैं देख सकते हैं और पढ़ सकते हैं। मुख्य वक्ता ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की जानकारी देते हुए कहा की आधुनिक युग में इसका चलन बहुत ज्यादा है परंतु इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आ जाने से या लोकप्रियता बढ़ जाने से प्रिंट मीडिया का महत्व कभी कम नहीं हो सकता। पत्रकार को प्रिंट मीडिया की जानकारी होने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सही जानकारी और इसके प्रयोग करने के सही ढंग को जानना चाहिए। इंटरनेट की दुनिया का रूप सोशल मीडिया जिसका गलत इस्तेमाल करने से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भी गलत असर पड़ रहा है। जिस कारण जनता के मन में पत्रकार के लिए एक गलत धारणा बनती जा रही है क्योंकि सोशल मीडिया पर ऐसी खबरों को प्रकाशित किया जाता है जिसका कोई प्रमाण नहीं होता। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़  पोस्ट करने वालों को कठोर दंड मिलनी चाहिए और साथ के साथ कुछ नियम भी लागू कर देनी चाहिए जिससे आगे चलकर ऐसे गलत कामों को करने का प्रोत्साहन किसी को ना मिले। इसी के साथ मुख्य वक्ता ने यह भी बताया कि किसी मीटिंग या कॉन्फ्रेंस पर उपस्थित होकर खबरों को रिकॉर्ड  कैसे करना चाहिए। किसी भी कार्यक्रम का पूरा कवरेज रिकॉर्ड होना चाहिए बैनर की फोटो क्लिक अच्छे से होनी चाहिए। शोक वेदना आदि की तस्वीरें नहीं दिखानी चाहिए। ऐसी चित्रों की जगह एनीमेशन का प्रयोग करके अपनी खबरों को जनता तक पहुंचा सकते हैं। 

दोनों मुख्य वक्ताओं ने बताया कि एक पत्रकार अपने विचारों को लिखने, पढ़ने और प्रकाशित करने में पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। अगर वह कार्य को करने से लेकर आखिरी नतीजे तक सही नियमों का पालन करता हो। एक पत्रकार को ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए जिससे उसके स्वाभिमान के साथ-साथ उसके समाज और राष्ट्र के नाम को भी ठेस पहुंचे।

प्रशिक्षणार्थीयों ने विभिन्न सवाल उनसे पूछे। इस समय जो पत्रकार यूट्यूबर्स के कारण परेशानी झेल रहे हैं, उसका उन्होंने संक्षिप्त विवरण दिया और चर्चा की। उनका मानना है कि यूट्टूबर के कुछ मापदंड होने चाहिएं। उनको स्पेशल परमिशन की आवश्यकता होनी चाहिए। उनके पास रूपरेखा होनी चाहिए। प्रेस कांफ्र्स में पत्रकारों को बुलाने के विषय में भी उन्होंने जानकारी प्रशिक्षणार्थियों को दी एक फोटो को किस तरह से छापना है? किस तरह घटना की रिकॉर्डिंग कैमरे पर की जानी चाहिए, यह सब उन्होंने बताया। दुखदायी चित्र न दिखाने के लिए कहा। प्रमाण को अपने पास रखने की राय दी। कम से कम एक सप्ताह तक और अगर कोई ऐसा प्रमाण है जिसको रखना चाहिए, उसको लम्बे समय तक रखिए।

इस अवसर पर महाराष्ट्र से  डॉ .कृष्ण कुमार द्विवेदी, राजस्थान से ऋषभ नागर, उत्तर प्रदेश से योगेंद्र प्रताप सिंह, युवराज सिंह तोमर, राहुल कुशवाहा, बिहार से शशि प्रकाश सिन्हा, मो मोक्तादिर फिरदौसी, राजा कुमार, सरिता कुमारी, गुजरात के अहमदाबाद से कुमुद वर्मा, नई दिल्ली से प्रेरणा बुडाकोटि, ग्वालियर मध्यप्रदेश से लक्ष्मी दिक्षित सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।


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