मौत का कारोबार: पंजाब से बिहार तक नकली शराब का जानलेवा जाल


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-16 07:05:43



 

कल्पना कीजिए, एक ऐसी शाम की जहाँ खुशियों के जाम छलके और अगले ही पल मातम पसर जाए। पंजाब से लेकर चंडीगढ़ तक फैला नकली शराब का यह काला कारोबार कुछ ऐसा ही खौफनाक मंजर पेश कर रहा है। यह सिर्फ अवैध शराब की बात नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध है, जिसमें डिस्टलरी कंपनियों से लेकर ट्रांसपोर्ट और कूरियर सेवाओं तक के तार जुड़े हुए हैं। यह गोरखधंधा न केवल लोगों की जान ले रहा है, बल्कि भरोसे और सुरक्षा की नींव को भी खोखला कर रहा है। आइए, इस स्याह सच की पड़ताल करते हैं।

पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़: नकली शराब का गढ़

पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ नकली शराब के अवैध व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन चुके हैं। यहां देसी ही नहीं, बल्कि नामी ब्रांडों की नकली शराब भी धड़ल्ले से बिक रही है। यह गोरखधंधा चोरी-छिपे लगातार जारी है, और प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद इस पर पूरी तरह से लगाम कसना मुश्किल साबित हो रहा है।

दिल्ली, राजस्थान और गोवा: ज़हर का स्रोत

नकली शराब बनाने के लिए आवश्यक कच्चा माल, जैसे कि स्प्रिट और ब्रांडेड शराब की खाली बोतलें, ढक्कन और लेबल, दूर-दराज के राज्यों से आता है। दिल्ली, राजस्थान, गोवा, नोएडा और छत्तीसगढ़ ऐसे ठिकाने हैं, जहां से यह जानलेवा सामग्री पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ तक पहुंचाई जाती है।

ट्रांसपोर्ट और कूरियर नेटवर्क: अपराध के मददगार

इस अवैध कारोबार में ट्रांसपोर्ट कंपनियों के ड्राइवर और कूरियर सेवाओं से जुड़े लोग भी शामिल हैं। ये लोग नकली शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले खतरनाक केमिकल और अन्य सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में मदद करते हैं, जिससे यह धंधा और भी संगठित और विस्तृत होता जाता है।

अमृतसर और सुनाम की त्रासदी: ज़हरीली शराब का कहर

यह कोई नई बात नहीं है कि नकली शराब पीने से लोगों की जान गई हो। हाल ही में पंजाब के अमृतसर के मजीठा में जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की मौत हो गई। इससे पहले मार्च 2024 में सुनाम और दिड़बा में भी ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें 22 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। बीते वर्ष चंडीगढ़ में भी नकली शराब की एक बड़ी खेप पकड़ी गई थी, जिसमें नामी ब्रांडों की नकली शराब शामिल थी। ये घटनाएं इस काले कारोबार की भयावहता को दर्शाती हैं।

कैसे बनती है नकली ब्रांडेड शराब?

नकली ब्रांडेड शराब बनाने का तरीका भी उतना ही खतरनाक है जितना यह शराब खुद। शराब में इस्तेमाल होने वाला मुख्य केमिकल यानी स्प्रिट राजस्थान, गोवा, नोएडा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से मंगवाया जाता है। कानूनी तौर पर, हर डिस्टलरी कंपनी के लिए स्प्रिट का कोटा निर्धारित होता है, और तैयार शराब की गुणवत्ता की जांच के बाद ही उसे बाजार में उतारा जाता है। लेकिन नकली शराब बनाने वाले गिरोह दूसरे राज्यों से अवैध रूप से स्प्रिट मंगवाकर डिस्टलरी प्लांट या अवैध कारखानों में इसे प्रोसेस करते हैं। इसके बाद, दिल्ली से बड़ी मात्रा में ब्रांडेड शराब की खाली बोतलें, ढक्कन और लेबल लाए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल नकली शराब को असली जैसा दिखाने के लिए किया जाता है। हैरानी की बात यह है कि चंडीगढ़ की कुछ डिस्टलरी कंपनियां भी अपने स्टॉक में हेरफेर करके इस गिरोह को नकली शराब बनाने का सामान मुहैया कराती हैं।

यूपी और बिहार तक फैला जाल

नकली शराब का यह काला कारोबार सिर्फ पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ तक ही सीमित नहीं है। इस गिरोह द्वारा तैयार की गई नकली ब्रांडेड शराब की खेप उत्तर प्रदेश और बिहार तक भी पहुंचाई जाती है। पुलिस की पुरानी जांचों में यह बात सामने आई है कि यह नकली शराब बाजार के रेट से लगभग आधे दाम पर तैयार की जाती है। अलग-अलग रास्तों से बड़ी संख्या में इसे यूपी और बिहार भेजा जाता है। इस पूरे नेक्सस में कई बड़े लोग भी शामिल हैं, जो न केवल डिस्टलरी कंपनियां चलाते हैं, बल्कि शराब के ठेकों पर भी अपना नियंत्रण रखते हैं, जिससे इस अवैध व्यापार को और बढ़ावा मिलता है।


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