वसई-विरार में ED की दस्तक: अवैध निर्माण के काले कारोबार पर प्रहार
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-16 06:21:51

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को वसई-विरार नगर निगम क्षेत्र में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 13 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। इस कार्रवाई का केंद्र वसई के एक जाने-माने बिल्डर अनिल गुप्ता का आवास और कार्यालय है। ED की यह छापेमारी नालासोपारा में 60 एकड़ जमीन पर बने 41 अवैध आवासीय-सह-व्यावसायिक भवनों के निर्माण से जुड़े एक बड़े घोटाले की जांच का हिस्सा है, जिसने हजारों गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को बेघर कर दिया।
अवैध निर्माण का षड्यंत्र और धोखाधड़ी
यह पूरा मामला नालासोपारा में एक 60 एकड़ के भूखंड पर 41 अनधिकृत आवासीय और वाणिज्यिक इमारतों के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमता है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह जमीन मूल रूप से एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और एक डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित थी। आरोपी बिल्डरों ने अपने स्थानीय सहयोगियों के साथ मिलकर अनुमोदन दस्तावेजों में जालसाजी की और नकली बिक्री समझौते तैयार किए। इस धोखाधड़ी के जरिए उन्होंने कमजोर और निम्न-आय वर्ग के निवासियों को ठगा, जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर इन अवैध इमारतों में घर खरीदे थे। ED की मौजूदा तलाशी अभियान का उद्देश्य इस अवैध निर्माण गतिविधियों और धोखाधड़ी योजनाओं में शामिल व्यक्तियों और आगे के सबूतों को इकट्ठा करना है।
पुलिस FIR और ED की ECIR
ED की यह कार्रवाई मीरा भायंदर पुलिस आयुक्तालय द्वारा दर्ज की गई कई प्रथम सूचना रिपोर्टों (FIR) के बाद हुई है। इन्हीं FIR के आधार पर ED ने एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की और अपनी जांच शुरू की। ED मुख्य रूप से जमीन हड़पने और अवैध निर्माण के आरोपों की जांच कर रही है। जांच का ध्यान निर्माण और विध्वंस में शामिल घटनाओं की श्रृंखला और व्यक्तियों पर केंद्रित है, ताकि इस पूरे गोरखधंधे की जड़ तक पहुंचा जा सके और सभी दोषियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सके।
बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश और इमारतों का विध्वंस
इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब नवंबर 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नालासोपारा में इन 41 अनधिकृत आवासीय भवनों को ध्वस्त कर दिया गया। वसई-विरार नगर निगम द्वारा चलाए गए इस विध्वंस अभियान के कारण 2500 से अधिक परिवार बेघर हो गए। इन परिवारों ने न केवल अपनी आश्रय खो दिया, बल्कि अपनी जीवन भर की बचत भी गंवा दी, क्योंकि उनके घर अवैध रूप से बनाए गए थे। ED की जांच अब यह पता लगाने पर केंद्रित है कि इन अवैध निर्माणों की अनुमति कैसे दी गई, किन अधिकारियों ने इसमें साथ दिया और इस धोखाधड़ी से बिल्डरों और अन्य शामिल लोगों ने कितना लाभ कमाया। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए न्याय की उम्मीद जगाती है जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई गंवा दी।