न्याय के शिखर पर नया सूर्योदय: न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का ऐतिहासिक पदभार


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-15 16:02:21



 

न्यायपालिका के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। आज, न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई भारत के 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। यह क्षण न केवल भारतीय न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश के सामाजिक न्याय और समानता के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।

न्यायमूर्ति गवई की नियुक्ति:

कानून मंत्रालय ने 30 मई को न्यायमूर्ति गवई की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद, न्यायमूर्ति गवई ने यह महत्वपूर्ण पद संभाला है। न्यायमूर्ति खन्ना ने सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी आधिकारिक पद को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कानून के क्षेत्र में काम जारी रखने की इच्छा व्यक्त की।

न्यायमूर्ति गवई का जीवन और करियर:

न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था।

उनके पिता, दिवंगत आर.एस. गवई, एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल थे।

उन्होंने 2003 में बॉम्बे उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की और 2005 में स्थायी न्यायाधीश बने।   

2019 में, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

महत्वपूर्ण फैसले:

नोटबंदी: न्यायमूर्ति गवई 2016 में नोटबंदी के फैसले को मंजूरी देने वाली पीठ का हिस्सा थे।

इलेक्टोरल बॉन्ड: उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को रद्द करने वाली पीठ में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बुलडोजर कार्रवाई: उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ आदेश पारित किया, जिसमें कानूनी प्रक्रिया के बिना संपत्ति विध्वंस को असंवैधानिक बताया गया।

राजीव गांधी हत्याकांड: उन्होंने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई का आदेश दिया।

वणियार आरक्षण: उन्होंने वणियार आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया।

ईडी निदेशक का कार्यकाल: उन्होंने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध करार दिया।

अनुच्छेद 370: उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा।

अन्य फैसले: मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को राहत, तीस्ता शीतलवाड़ और मनीष सिसोदिया को जमानत दी।

दलित न्याय का प्रतीक:

न्यायमूर्ति गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले, न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन ने 2007 में यह पद संभाला था। न्यायमूर्ति गवई का यह पदभार दलित समुदाय के लिए न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

न्यायमूर्ति खन्ना की सेवानिवृत्ति:

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना मंगलवार को सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे सेवानिवृत्ति के बाद कोई आधिकारिक पद नहीं संभालेंगे, लेकिन कानून के क्षेत्र में अपना योगदान जारी रखेंगे।


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